रिपोर्ट: निशा राठौड़
उदयपुर. ‘अटल रह तू बस अपने फैसलों पर, चलता रह मत रख नज़र फासलों पर, मंज़िल मिलेगी ज़रूर तुझे, तू बस टिका रह अपने हौसलों पर…’ कुछ ऐसे ही हौसलों की उड़ान सुरणा की भी थी. कभी गांवों में भैंसे चराया करती थी. उसकी नजरों के सामने भैंसे चरती रहती थीं और वह किसी पेड़ या झाड़ के नीचे बैठकर घंटों अपनी पढ़ाई किया करती थी. आज ग्राम विकास अधिकारी का पद संभाल रही है. सुरणा शुरू से ही सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रही थी.
सुरणा ने बताया वह राजस्थान के सबसे दूरस्थ क्षेत्र कुशलगढ़ के वसुनिया गांव की रहने वाली है. शुरू से ही सरकारी स्कूल में पढ़ी और स्कूल के बाद माता पिता की मदद कृषि कार्यों में किया करती थी. लेकिन पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी. कई बार ऐसा मुश्किल वक्त आया जब लगा कि अब आगे पढ़ाई शायद नहीं हो पाएगी लेकिन किताबों से इतना लगाव था कि पढ़ाई जारी रखी. किसान परिवार में पली बढ़ी, लेकिन माता पिता ने पढ़ाई के लिए हमेशा सपोर्ट किया. कॉलेज शिक्षा के उदयपुर आई और सरकारी नौकरी के तैयारियों में जुट गई.
सुरणा वसुंद का कहना है जब वह गांव के बाहर अपनी भैंस चराने जाया करती थी. तबसे ही किताबों को अपना दोस्त बना लिया था. रोजाना करीब 5 से 7 घंटे की पढ़ाई के साथ जॉब करने की बात भी सुरणा ने बताई. शुरू से ही यह लक्ष्य था कि सरकारी सेवा में चयन हो. सुरणा अभी तक पांच एग्जाम क्लियर कर चुकी है. ‘मैंने रीट 2022, ग्रामसेवक प्री व वनपाल भर्ती की परीक्षा पास की है. मेरा लक्ष्य लोक प्रशासनिक सेवा में जाने का है इसलिए अभी मुझे और मेहनत करनी है.’
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Tags: Success Story, Udaipur news
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