यूं तो दिवाली के पांच दिन हर तरफ खुशियों का माहौल और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देने का दौर चलता है लेकिन ये अवसर एक जीव पर हर बार भारी पड़ता है. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के कुछ आदिवासी इलाकों की जहां दिवाली पर उल्लू की बलि देने और उससे जुड़ा अंध विश्वास आज भी कायम है.
दरअसल, राजस्थान में दिवाली पर उल्लू तांत्रिकों के निशाने पर रहते हैं. संकट में इस प्रजाति पर तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास भारी पड़ता है. लक्ष्मी के वाहक माने जाने वाले उल्लू की जान पर बन आती है.
सिद्धी प्राप्ति के लिए उल्लू तस्करों के निशाने पर रहते हैं. इससे लगातार उल्लू की तादाद में गिरावट आ रही है और अब हालात ये हैं कि प्रदेश में पाई जाने वाली उल्लू की आठों प्रजाति लुप्त होने के कगार पर है. पूरे देश में लक्ष्मी जी की सवारी माने जाने वाला उल्लू शिकारियों और तस्करों के निशाने पर है. दिपावाली पर इस तरह के मामलों में इजाफा हो जाता है और शिकारी व तस्कर ज्यादा सक्रिय रहते हैं. देश के कई राज्यों में तांत्रिकों में तंत्र साधना के लिए दिवाली से पूर्व उल्लू की बलि चढ़ाने का अंध विश्वास रहता है. इसके कारण उल्लू की मांग काफी बढ़ जाती है और शिकारी व तस्कर उल्लुओं को पकड़ने के लिए जंगलों को खंगालने में जुट जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2017, 11:09 IST