रिपोर्ट- निशा राठौड़
उदयपुर.राजस्थान के उदयपुर शहर में आदिवासी महिलाओं के उत्थान के लिए ट्राइबल वेदा संस्थान कार्य कर रहा है. इस संस्थान के जरिए जंगलों में उगने वाले विभिन्न फलों की प्रोसेसिंग कर उनसे फूड प्रोडक्ट्स तैयार कर बाजार में बेचे जा रहे हैं .ट्राइबल वेदा से करीब 800 महिलाएं जुड़ी हुई है और इसका लाभ का 60% इन महिलाओं के विकास के लिए खर्च होता है.
आदिवासी महिलाओं को मिल रहा रोजगार
उदयपुर के आसपास के क्षेत्र में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. जहां पर महिलाओं के लिए कोई रोजगार के साधन नहीं है. ऐसे में ट्राइबल वेदा इन महिलाओं को रोजगार देने के साथ ही इनके सामाजिक विकास कर रहा है. आदिवासी अंचल की करीब 800 से अधिक महिलाएं ट्राइबल वेदा के साथ जुड़ी हुई हैं. जिनमें यह जंगलों से फल चुनकर लाने से लेकर प्रोसेसिंग कार्य भी करती है.
जंगली फलों से बनाए जा रहे हैं विभिन्न खाद्य पदार्थ
ट्राइबल वेदा के रीजनल प्रोडक्शन मैनेजर अविनाश सोनी ने बताया कि उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र में मुख्य रूप से आंवला, जामुन, सीताफल, फ्रूट्स विशेष रूप से पाए जाते हैं इसी के चलते महिलाएं जंगलों से यह फल एकत्रित कर प्रोसेसिंग यूनिट तक लाती है. और इसके बाद विभिन्न प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं. इनकी मार्केट डिमांड भी काफी ज्यादा बढ़ीहै.
जामुन के बनाए जा रहे हैं खास प्रोडक्ट्स
अविनाश सोनी का कहना है कि जामुन से कई प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं. जिसमें जामुन स्ट्रिप्स में किसी तरीके का कोई केमिकल यूज नहीं किया जा सकता और जामुन केयूज़ से ही इसे बनाया जाता है. जामुन फ्लेक्स, जामुन ग्रीन टी ,जामुन सीड पाउडर, जामुन सिरका, जामुन अर्क भी तैयार किए जा रहे हैं. जो डायबिटीज पेशेंट के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भी इनकी बिक्री की जा रही है.जिससे करीब 7 से ₹8 लाख रुपए का लाभ हो रहा है. इसका 60 प्रतिशत इन महिलाओ के विकास के लिए खर्चे होता है.
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