रिपोर्ट: निशा राठौड़
उदयपुर. क्या कोई सोच सकता है की चीनी मिट्टी के प्यालों ने पानी भर के भीमधुर संगीत निकाला जा सकता है. जी हां यह भी संगीत की एक विधा है. उदयपुर शहर के इकलौते ऐसे कलाकार है जो जल तरंग से मधुर संगीत को निकलते है. यह फिल्मी गीतों के साथ ही देश भक्ति गीतों को सुना हर किसी को अपनी कला का मुरीद बना लेते है.
लोक कला मंडल में सीखा इस हुनर को, देश भर में दी प्रस्तुति
यह कला उन्होंने लोक कला मंडल में काम करते हुए ही सीखी थी. वे इससे पहले शहनाई और हार्मोनियम बजाने का काम करते थे. इस शैली के शहर वे इकलौते कलाकार है. पूरे देश में कुछ ही कलाकर है जो इस कला की प्रस्तुतियां देते है. रोशनलालभाट ने देश भर के स्टेज पर अपनी प्रस्तुतियां दी है.
जल तरंग कला को बचाने कीजरूरत
राजस्थान में भी जल तरंग के मुश्किल 3 से 4 कलाकार बचे होंगे. रोशनलाल का कहना हैं कि यह कला विलुप्त होती जा रही है. मौके और उचित मंच नहीं मिलने से कलाकारों ने इस कला मुंह फेर लिया है. इन कलाओं को बचाने की जरूरत है.
क्या है जल तरंग
जल तरंग सेचीनी मिट्टी के प्यालों में निश्चित मात्रा में पानी भर कर रखा जाता है. इसके बादलकड़ीसे उसे मार के उससे स्वर निकाला जाता है. जिससे तरंग के रूप में मधुर स्वर निकलता है. इस स्वर को जल तरंग कहा जाता है.
यूवाओं में अब बढ़ने लगी रुचि
युवाओं को यह कला सिखाने के लिए लोक कला मंडल में क्लासलगती है. लोक कला मंडल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि विलुप्त होती इन कलाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए क्लासेज लगाई जाती है. जिसमें संस्था में मौजूद सभी कलाओं को सिखाया जाता है. अभी दो से तीन बच्चों ने इस कला के बारे में सीखा है. हालांकि इसमें बहुत ज्यादा प्रैक्टिस की जरूरत रहती है. समय-समय पर संस्था अलग- अलग विषयों पर कार्यशालाएं भी की जाती है.
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