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Udaipur News : सुपर 30 से प्रेरित होकर शुरू की माय मिशन कोचिंग, 1600 से अधिक छात्र हो चुके चयनित

माय मिशन नि:शुल्क, उदयपुर की ऐसी कोचिंग है, जहां सख्त अनुशासन और कठोर परिश्रम के दम पर युवाओं के रोजगार के सपने साकार ह ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट : निशा राठौड़

उदयपुर. कोचिंग संस्थाओं की महंगी फीस के कारण आर्थिक दुश्वारियों के चलते कर्ज के दलदल में फंसने के कारण कई प्रतिभाशाली युवक मार्गदर्शन के अभाव में नौकरियों हेतु भर्ती परीक्षाओं में चयन से वंचित होकर बेरोजगारी का दंश भुगतने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

अपने पिता से प्रेरित होकर शुरू किया कोचिंग संस्थान

अपने पिता समाजसेवी सुरेश चंद्र लुणावत के स्वर्गवास होने पर उनके नेत्र के कार्निया दान से संजय में समाज सेवा के बीज प्रस्फुटित हुए. निजी कोचिंग संस्थानों में भारी-भरकम फीस के चलते विद्यार्थियों की पीड़ा महसूस की.

अत: प्रधानाध्यापक (माध्यमिक शिक्षा) के पद पर चयनित होने के बाद संजय ने अपने जैसे युवाओं के करियर को संवारने की ठानी और पटना (बिहार) के आनंद कुमार के “सुपर 30” से प्रेरित होकर माय मिशन की स्थापना भाई शुभम जैन के सहयोग से उदयपुर में की.

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की कराई जाती तैयारी

यहां शिक्षक, पटवारी, क्लर्क, पुलिस इत्यादि भर्ती हेतु प्रतियोगी परीक्षाओं की नि:शुल्क कोचिंग प्रदान की जाती है. माय मिशन से अब तक लगभग 5200 से भी अधिक विद्यार्थी नि:शुल्क कोचिंग प्राप्त कर चुके हैं और 1600 से भी अधिक चयनित भी हो चुके हैं.

अभ्यर्थियों के ठहरने की भी नि:शुल्क व्यवस्था

गुरु दक्षिणा के रूप में संजय और शुभम अपने विद्यार्थियों से जीते-जी रक्तदान और जाते-जाते नेत्र के कार्निया दान की अपील करते हैं.

क्या कुछ आई कठिनाइयां

संजय द्वारा किसी भी संस्था या व्यक्ति से किसी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं ली जाती है. वह अपने विद्यार्थियों के सहयोग से ही सारी व्यवस्थाएं करते हैं. प्रचार-प्रसार-विज्ञापन नहीं किया जाता है. अतः विद्यार्थी ही सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़ते रहते हैं. संजय अपने स्वयं के वेतन से कोचिंग संचालन संबंधी व्यय को मैनेज करते हैं. समय-समय पर आर्थिक सहयोग बड़े भाई राजेश लुणावत द्वारा किया जाता है.

माय मिशन नि:शुल्क, उदयपुर की ऐसी कोचिंग है, जहां सख्त अनुशासन और कठोर परिश्रम के दम पर युवाओं के रोजगार के सपने साकार हो रहे है. यहां से कुल्फी बेचने वाले, भैंस चराने वाले युवा भी सरकारी अधिकारी बन रहे हैं.

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