उदयपुर: लेकसिटी में तैयार हुई अनोखी झोंपड़ी, नॉर्थ ईस्ट भारत की संस्कृति का है समावेश

इसमें नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के हथियारों की जानकारी के साथ साथ बैठने, सोने और खानपान के तरीकों से भी अवगत कराने का प्रयास किया गया है.
उदयपुर के पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र ने एक अनोखी झोपड़ी (Unique hut) का निर्माण कराया है. उसमें पूरे नॉर्थ ईस्ट (North East Culture) भारत की संस्कृति का समावेश किया गया है.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: December 23, 2020, 2:28 PM IST
उदयपुर. 'एक भारत शेष भारत' योजना के तहत पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र (Western Zone Cultural Arts Center) ने एक अनूठी झोंपड़ी तैयार करवाई है. यह झोपड़ी (Hut) संभवतया पूरे देश में सांस्कृतिक एकता की एक मिसाल है. नागालैंड के कलाकारों ने सांस्कृतिक पहचान को आदान प्रदान करने की इस योजना के तहत झोंपडी का जो ढांचा तैयार किया है वह ना सिर्फ देखने में अनूठा है बल्कि उसमें पूरे नॉर्थ ईस्ट (North East Culture) भारत की संस्कृति का समावेश किया गया है.
पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र के निदेशक सुधांशु सिंह ने बताया कि भारत के विभिन्न क्षत्रों की संस्कृति को अन्य भागों को जोड़ने के लिये ही 'एक भारत शेष भारत' योजना शुरू कि गई है. इसी के तहत शिल्पग्राम परिसर में यह प्रयास किया गया है. इसके लिये नागालैंड से एक टीम को बुलाया गया और उसे वहां की संस्कृति की झलक उदयपुर के शिल्पग्राम परिसर में दिखाने का जिम्मा दिया गया. शिल्पग्राम परिसर में देशी विदेशी पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है. ऐसे में पर्यटक अब इस झोंपडी और इसके माध्यम से बताई गई सांस्कृतिक पहचान को भी समझ सकेंगे. केन्द्र के निदेशक की मानें तो चालीस फीट ऊंची इस झोपड़ी के अन्दर पूरे नॉर्थ ईस्ट को समझाने का प्रयास किया गया हैं जो शायद देश में कहीं और नहीं हुआ है.
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18 कलाकारों ने 22 दिन तक मेहनत की है
इस अनूठे झोंपड़े नागा मोरंग को तैयार करने में 18 कलाकारों ने 22 दिन तक मेहनत की है. इन कलाकारों को नागालैंड से बुलाया गया था. उन्होंने इसमें नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के हथियारों की जानकारी के साथ साथ बैठने, सोने और खानपान के तरीकों से भी अवगत कराने की कोशिश की है. यह झोंपड़ी सांस्कृतिक आदान-प्रदान का बेजोड़ नमूना है. उम्मीद की जा रही है कि यह पर्यटकों के लिये भी अनोखा अनुभव होगा और वे उसे पसंद करेंगे.
पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र के निदेशक सुधांशु सिंह ने बताया कि भारत के विभिन्न क्षत्रों की संस्कृति को अन्य भागों को जोड़ने के लिये ही 'एक भारत शेष भारत' योजना शुरू कि गई है. इसी के तहत शिल्पग्राम परिसर में यह प्रयास किया गया है. इसके लिये नागालैंड से एक टीम को बुलाया गया और उसे वहां की संस्कृति की झलक उदयपुर के शिल्पग्राम परिसर में दिखाने का जिम्मा दिया गया. शिल्पग्राम परिसर में देशी विदेशी पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है. ऐसे में पर्यटक अब इस झोंपडी और इसके माध्यम से बताई गई सांस्कृतिक पहचान को भी समझ सकेंगे. केन्द्र के निदेशक की मानें तो चालीस फीट ऊंची इस झोपड़ी के अन्दर पूरे नॉर्थ ईस्ट को समझाने का प्रयास किया गया हैं जो शायद देश में कहीं और नहीं हुआ है.
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इस अनूठे झोंपड़े नागा मोरंग को तैयार करने में 18 कलाकारों ने 22 दिन तक मेहनत की है. इन कलाकारों को नागालैंड से बुलाया गया था. उन्होंने इसमें नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के हथियारों की जानकारी के साथ साथ बैठने, सोने और खानपान के तरीकों से भी अवगत कराने की कोशिश की है. यह झोंपड़ी सांस्कृतिक आदान-प्रदान का बेजोड़ नमूना है. उम्मीद की जा रही है कि यह पर्यटकों के लिये भी अनोखा अनुभव होगा और वे उसे पसंद करेंगे.