राजा मानसिंह सिंह महाराणा प्रताप से नाराज हो कर अकबर के दरबार में पहुंचे.
निशा राठौड़/उदयपुर. वैसे तो राजस्थान के इतिहास की गौरव गाथा किसी के लिए अनसुनी नहीं है. लेकिन जब बात उदयपुर के मेवाड़ राजघराने की होती है, तब महाराणा शाखा से निकले प्रताप की बात जरूर होती है. बता दें मेवाड़ के इतिहास में कई रोचक युद्ध हुए जिनके बाद तत्कालीन मुगल बादशाहों से लंबी लड़ाई मेवाड़ के महाराणाओं को लड़नी पड़ी. ऐसा ही एक युद्ध मुगलों और महाराणा प्रताप के बीच भी लड़ा गया जिसका नाम था हल्दीघाटी. इस हल्दीघाटी युद्ध के पीछे एक बड़ा कारण है.
जयपुर के महाराजा मान सिंह उदयपुर पहुंचे थे तो उन्होंने महाराणा प्रताप के साथ भोजन करने की इच्छा जाहिर की, लेकिन महाराणा प्रताप ने मना कर दिया. इससे मान सिंह गुस्सा हो कर मेवाड़ छोड़ कर चले गए और माना जाता ही की इसी कारण से ही हल्दीघाटी का युद्ध नीव पड़ी.
उदयसागर बाध बनने से थे नाराज
इतिहासकार कृष्ण जुगनू ने बताया कि मान सिंह जब मेवाड़ क्षेत्र में पहुंचे तो उन्हें उदयसागर बाध बनने की सूचना मिली. बाध बनने से प्रजा का भरण पोषण अच्छे तरीके से हो सकता सकता था. किसानों को भी साल भर पानी की सिंचाई हो जाती थी. इसी को देख कर मान सिंह ने बाध बनने के लिए इनकार किया, लेकिन मेवाड़ के महाराणा के आदेश यह बाध बनवा जा रहा था. इससे से प्रजा को आर्थिक लाभ मिल सके. इसके कारण मान सिंह गुस्सा हो गए थे. महाराणा प्रताप उस समय गोगुंदा, जो उस समय की तत्कालीन राजधानी थी. वहा थे तो उनके अपने पुत्र अमर सिंह को मान सिंह की मेहमान नवाजी के लिए भेजा था. इससे भी मान सिंह क्रोधित हो गए.
मुगलों से पारिवारिक संबध, यह भी माना जाता है कारण
कुछ इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में यह भी बताया है कि मान सिंह और मुगल बादशाह अकबर के पारिवारिक संबध थे. मेवाड़ के महाराणाओ ने कभी भी मुगलों की अधीनता स्वीकार नही की. महाराणा प्रताप के सैनिक जब यह सूचना ले कर प्रताप के पास पहुंचे तो उनके सैनिकों ने यह सारी बात बताई.इसके बाद महाराणा ने मान सिंह के साथ भोजन करना अनुचित समझा लेकिन घर आए मेहमान के स्वागत अभिनंदन के लिए उन्होंने उनके पुत्र को भेजा.
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