रिपोर्ट-शक्तिसिंह
कोटा. शहर के दादाबाड़ी इलाके में गुरुवार को एक अनोखी शादी हुई. इस शादी में दुल्हा-दुल्हन से पहले उनके परिवार के लोगों ने आपस में फेरे लिए. इस शादी में दूल्हे की मां व दुल्हन की मां तथा दोनों की चाचियों सहित अन्य परिजनों ने आपस में फेरे लिए. वहीं इस शादी में दुल्हन घोड़े पर सवार होकर दूल्हे के द्वार पहुंची, जहां दूल्हे पक्ष के पुरुष नहीं थे केवल महिलाएं थी. उन महिलाओं ने दुल्हन का स्वागत सत्कार बारात लेकर आने वाले दूल्हे की तरह ही किया.
श्रीमाली समाज में होती हैं ऐसी शादियां
दरअसल, श्रीमाली ब्राह्मण समाज में होने वाली शादियों में आड़ बंदोला नाम की प्रथा होती है. इस प्रथा में दुल्हन घोड़ी पर बैठ दूल्हे के द्वार जाती है तथा दूल्हा-दुल्हन के फेरे लेने पहले दोनों के परिवार के लोग आपस में फेरे लेते हैं. कोटा के दादाबाड़ी की आयुर्वेद सर्जन डॉ. दीक्षा त्रिवेदी और जोधपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रतीक दवे की शादी भी इसी तरह से संपन्न हुई.
शादी की रात केवल होते हैं चार फेरे
दुल्हन के चाचा मुकेश बोहरा ने बताया कि इस परंपरा को आड़ बंदोला कहा जाता है. इनके समाज में होने वाली शादियों में दुल्हा-दुल्हन के हाथ में मेहंदी की बजाय खेजडी के पत्ते होते हैं. दूल्हा भी तलवार लेकर नहीं आता, बल्कि सात गांठ वाली छड़ी लेकर आता है. वहीं इस शादी में फेरे वाली रात को केवल चार फेरे होते हैं. बाकि तीन फेरे अगले दिन दुल्हन की विदाई से पहले होते हैं.
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