पहली ही लाइन में यह साफ़ करना ज़रुरी है कि 'सेक्रेड गेम्स' एक वेब टेलिविज़न सीरीज़ है और ये एक फ़िल्म नहीं है क्योंकि ये फ़िल्म के मानको को पूरा नहीं करती. लेकिन इस सीरीज़ में कलाकार फ़िल्म के हैं, इसके दोनों निर्देशक फ़िल्में बनाते हैं और इसे बनाया भी फिल्म के अंदाज़ में गया है और अगर आप इसके सभी एपिसोड को बैक टू बैक देखेंगे तो आपको लगेगा कि आप कोई सीरीज़ नहीं बल्कि फ़िल्म ही देख रह हैं. इस सीरीज़ में आपको टेलिविज़न की तरह बार बार एक ही शॉट को नहीं देखना होगा, यहां कैमरा वर्क और कहानी को तेज़ चलाने की पूरी कोशिश की गई है, लेकिन 8 एपिसोड के बाद भी कहानी ख़त्म नहीं होती और यहीं ये वेब सीरीज़ के खांचे में फ़िट हो जाती है.
कहानी
अभी तक इस सीरीज़ के सात एपिसोड ही रिलीज़ किए गए हैं और इन 8 एपिसोड से 'सेक्रेड गेम्स' का पहला सीज़न पूरा हो गया है. फिल्म की कहानी 80 के दशक में मुंबई के एक हिन्दू डॉन गणेश गायतोंडे की वापसी से शुरु होती है. सालों से गायब गणेश एक मेगाडॉन है और पूरा शहर उसके नाम से थर्राता है. आप असल ज़िंदगी में इसे दाउद इब्राहिम के भारत लौट आने जैसा मान सकते हैं. गणेश अचानक एक दिन मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर सरताज सिंह (सैफ़ अली ख़ान) को फ़ोन करता है और उसे 25 दिनों में मुंबई को ख़त्म करने की एक सीक्रेट योजना के बारे में बताता है.

फिल्म में नीरज कबी डीसीपी पारुलकर के किरदार में अपनी छाप छोड़ते हैं
लेकिन इससे पहले की सरताज कुछ और जान पाता, गणेश खुद को गोली मार लेता है और सरताज के सामने छोड़ देता है कई सारे सवाल. मुंबई को 25 दिनों में कैसे ख़त्म किया जाएगा ? गणेश गायतोंडे ने सिर्फ़ सरताज सिंह को ही फ़ोन क्यों किया ? गणेश के वापस आने और फिर आत्महत्या कर लेने के पीछे क्या कारण है ?
धीरे धीरे इस रहस्य को सुलझाने के लिए सरताज के सामने एक के बाद एक कई राज़ खुलने लगते हैं और एक बड़े हमले में पुलिस से लेकर, रॉ और सरकार के भी तार जुड़े हैं और इस हमले के सूत्र जुड़े हैं एक धर्मगुरु से.
पटकथा
सेक्रेड गेम्स के लेखक वरुण ग्रोवर ने इस कहानी को बेहतरीन तरीके से बुना है. वेब सीरीज़ को एपिसोड फॉर्मेट में खींचने के लिए कहीं कहीं लंबे पॉज़ दिए गए हैं जो सस्पेंस को बढ़ाने की बजाए इसे खीझभरा बनाने लगते हैं. लेकिन कहानी कहीं भी कमज़ोर पड़ती नहीं लगती. आपकी मोबाइल स्क्रीन पर चल रहे इस ड्रामा में होने वाली हर घटना का तार एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और जैसे जैसे एपिसोड आगे बढ़ते हैं आपको छोटे से छोटे किरदार की कहानी में एहमियत समझ आने लगती है.

राधिका आप्टे एक रॉ एजेंट के रुप में नज़र आएंगी
वैसे तो ये विक्रम चंद्रा के 2006 के उपन्यास पर आधारित कहानी है लेकिन वेब सीरीज़ के लिए किरदारों को बेहद शानदार तरीके से दोबारा लिखा गया है और ये ओरिजनल किताब से कहीं ज्यादा डार्क हो जाती है. आमतौर पर लेखक अपने किरदारों को मारने से परहेज़ करते हैं लेकिन 'सेक्रेड गेम्स' में किरदार इतनी तेज़ी से मर जाते हैं कि आप अवाक रह जाएंगे और यही कहानी के लेखक की जीत है.
निर्देशन
इस वेब सीरीज़ को देखते समय आपको गैंग्स ऑफ वासेपुर से लेकर सत्या तक की अनुराग कश्यप की सभी फिल्मों की याद आएगी. नेटफ्लिक्स पर सेंसर का दबाव नहीं होने के चलते इस सीरीज़ में आपको फुल फ्रंटल न्यूडिटी दिखाई देगी जिसे बेहद एथिकल तरीके से फिल्माया गया है. एपिसोड फॉर्मेट के चलते कई मुद्दों पर विस्तार से बात करने का मौका निर्देशकों को मिला है और उन्होंने उसे हाथ से जाने नहीं दिया है. हर किरदार पर निर्देशक की मेहनत साफ़ नज़र आती है.
एक घरेलू नौकरानी का अचानक एक डॉन की बीवी बन जाना, एक कांस्टेबल की ज़िंदगी और पुलिस के लिए गोली खाने के बाद ईलाज में होती देरी, रॉ जैसी संस्था में एक लड़की होने का दबाव जैसे कई मुद्दों पर सीधी सीधी बात की गई है जो शायद फिल्म बनाए जाने पर संभव नहीं हो पाता. अनुराग कश्यप और विकास मोटवाने अपने किरदारों को बनाने पर काफ़ी मेहनत करते हैं और वो फिल्म को 'वीव' करना जानते हैं. उनकी यही खूबी इस वेब सीरीज़ में नज़र आती है.
एक्टिंग
सेक्रेड गेम्स का सबसे मज़बूत पक्ष है इसमें मौजूद कलाकार. नवाज़ुद्दीन, सैफ़, राधिका आप्टे, ल्यूक केनी, नीरज कबी, कुब्रा सैत, गिरीश कुलकर्णी और पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकारों ने इस सीरीज़ के एक एक फ्रेम को ज़िंदा कर दिया है. इस सीरीज़ की कमी निकालने के लिए आप इसे लंबा कह सकते हैं, वॉयलेंट और सेक्शुअल कह सकते हैं यहां तक कि प्रेडिक्टेबल भी कह सकते हैं लेकिन इसमें खराब अभिनय कहीं नहीं है, रत्ती भर भी नहीं.

सैफ़ अली ख़ान ने इससे पहले लव आजकल में एक सिख युवक का किरदार निभाया था
सैफ़ एक सिख पुलिस इंस्पेक्टर के रोल में जंचते हैं और देखने से लगता है कि उन्होंने इस किरदार की बॉडी लैंग्वेज पकड़ने के लिए मेहनत की है. नवाज़ुद्दीन अपना बहुत बेहतर फ़िल्मों में दे चुके हैं और ऐसे में उनका अभिनय इस फ़िल्म में एवरेज लगता है लेकिन उनका एवरेज भी बेस्ट जैसा ही है. सेक्रेड गेम्स की सपोर्टिंग कास्ट भी बेहद शानदार है और डीसीपी पारुलकर के किरदार में नीरज कबी और गृहमंत्री के किरदार में गिरीश कुलकर्णी दमदार अभिनय करते हैं. पंकज त्रिपाठी का इस सीज़न में बहुत ही छोटा सा रोल है लेकिन आखिरी एपिसोड आते आते ये साफ़ हो जाता है कि अगला सीज़न पंकज के इर्द गिर्द ही घूमने वाला और पूरी कहानी की धुरी वही हैं.
सेक्रेड गेम्स के पहले सीज़न के सात एपिसोड रिलीज़ हो चुके हैं हालांकि इसे देखने के लिए आपको नेटफ़्लिक्स का सब्सक्रिप्शन खरीदना पड़ेगा जो कि कई लोगों के लिए इस फिल्म को मिस करने का कारण हो सकता है. दूसरा इस वेब सीरीज़ में कई न्यूडिटी और हिंसा के कई दृश्य है तो कई लोगों को इससे गुरेज़ हो सकता है. लेकिन अगर आप अनुराग कश्यप की फिल्मों को पसंद करते हैं तो सेक्रेड गेम्स देखने पर आपको गैंग्स ऑफ वासेपुर की याद आ ही जाएगी.
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Tags: Netflix, Sacred Games
FIRST PUBLISHED : July 09, 2018, 14:36 IST