जकार्ता. गत चैंपियन भारत को एशिया कप मैंस हॉकी टूर्नामेंट के नॉकआउट चरण में पहुंचने के लिये गुरुवार को इंडोनेशिया को बड़े अंतर से हराने के साथ पूल ए के दूसरे मैच में जापान की पाकिस्तान पर जीत की दुआ भी करनी होगी. भारत का काम अब सिर्फ अपना मैच जीतने से नहीं चलेगा. इसके लिये जापान और पाकिस्तान के मैच के नतीजे का भी उसे इंतजार करना होगा. भारत पूल ए में जापान (6 अंक ) और पाकिस्तान (4 अंक ) के बाद तीसरे स्थान पर है.
सरदार सिंह के मार्गदर्शन में भारत ने टूर्नामेंट में युवा टीम उतारी है, जिसमें बीरेंद्र लाकड़ा और एस वी सुनील जैसे 2 दिग्गज संन्यास का फैसला वापिस लेकर लौटे थे. दोनों मैचों में हालांकि ये दोनों खिलाड़ी कुछ खास नहीं कर पाये. भारत ने पहले मैच में आखिरी क्षणों में गोल गंवाकर पाकिस्तान से 1-1 से ड्रॉ खेला. इसके बाद जापान ने भारत को 5-2 से हराया. अब भारत के सामने इंडोनेशिया को बड़े अंतर से हराने की चुनौती है. इसके साथ ही दूसरे मैच में जापान की पाकिस्तान पर जीत भी जरूरी है.
हर जगह जूझता नजर आया भारत
भारत का गोल औसत -3 है, जबकि पाकिस्तान का +13 है. पाकिस्तान अगर जापान से हार जाता है और भारत गोल औसत के अंतर को खत्म करके इंडोनेशिया को हराता है तो ही सुपर 4 में उसे जगह मिलेगी. भारतीय युवा खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन का कारण अनुभवहीनता रही. अंतरराष्ट्रीय हॉकी के दबाव को ये खिलाड़ी झेल नहीं पाये. 2 मैचों में भारत तीनों विभागों रक्षण, मिडफील्ड और आक्रमण में जूझता नजर आया.
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भारत के पास मिडफील्ड में सरदार या मनप्रीत सिंह जैसा प्लेमेकर नहीं है. लाकड़ा डिफेंस में लय के लिये जूझते रहे और निर्णायक क्षणों में भारतीय डिफेंस चरमरा गया. फॉरवर्ड पंक्ति में टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज पदक विजेता टीम के सदस्य रहे सिमरनजीत सिंह और युवा उत्तम सिंह कुछ नहीं कर सके. पवन राजभर ने जरूर प्रभावित किया. भारत का पेनल्टी कॉर्नर भी खराब रहा, क्योंकि रूपिंदर पाल सिंह के कलाई की चोट के कारण ऐन मौके पर हटने के बाद कोई स्तरीय ड्रैग फ्लिकर टीम के पास नहीं था.
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