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Asia Cup 2022: भारत के फाइनल खेलने की उम्मीद जागती आंखों के ख्वाब से ज्यादा कुछ भी नहीं!

Asia Cup 2022: भारतीय टीम पाकिस्तान के बाद श्रीलंका से भी हार गई.

Asia Cup 2022: भारतीय टीम पाकिस्तान के बाद श्रीलंका से भी हार गई.

Asia Cup 2022: भारत की सबसे बड़ी खामी इस बार फील्डिंग और गेंदबाजी मे देखने को मिली. जितने और जिस तरह के कैच छूटे हैं, वह ...अधिक पढ़ें

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ऑस्ट्रेलिया मे अगले महीने होने वाले विश्व कप को घर लाने की उम्मीदें संजोए भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह बड़ा सदमा है. भारत अब एशिया कप के फाइनल की दौड़ से लगभग बाहर हो चुका है. हालांकि गणितीय समीकरण अभी भी उसे फाइनल तक पहुंचा रहे हैं, लेकिन यह आकाश से तारे तोड़ लाने जैसा है. भारत-अफगानिस्तान को हरा दे, पाकिस्तान श्रीलंका और अफगानिस्तान दोनों से हार जाए, और फिर भारत बेहतर रन औसत के कंधों चढ़कर फाइनल पहुंच जाए. यह जागती आंखों के ख्वाब से ज्यादा कुछ भी नहीं.

अब तक सबसे ज्यादा सात बार एशिया कप का खिताब जीत चुकी टीम इंडिया, ने पाकिस्तान पर जीत से शुरुआत की, और उसके बाद असहाय हाँगकाँग को हराया. दोनों मैचों को नजदीक से देखें तो पाकिस्तान के खिलाफ तो डेढ़ सौ रन से कम मे मुकाबला फंस रहा था, और हाँगकाँग के विरुद्ध अगर सूर्यकुमार यादव न चले होते तो मुश्किल हो सकती थी. सुपर-4 मे पहुंचते ही, दुनिया की सुप्रीम टीम मानी जाने वाली टीम इंडिया पूरी तरह एक्सपोज हो गई, और उसे न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि श्रीलंका ने भी कशमकश से भरे हुए मैच मे एक गेंद बाकी रहते शिकस्त दे डाली. सच यह भी है कि दोनों मैचों मे टॉस की भी भूमिका रही, क्योंकि दुबई मे टॉस जीतने वाले की तरफ पलड़ा खुद ब खुद झुक जाता है. अब तक 9 मैचों मे 7 लक्ष्य का पीछा करते हुए जीते गए हैं, जबकि दो मैच पहले बल्लेबाजी करने वाली टीमों ने जीते हैं,और यह दोनों ही हाँगकाँग के खिलाफ भारत और पाकिस्तान के खाते मे गए हैं.

दुनिया की सबसे मजबूत बेंचस्ट्रेंग्थ वाली गुरु राहुल द्रविड़ की टीम को आखिर हुआ क्या है? विराट भी चल गए, रोहित ने भी लंबे समय बाद एक अर्धशतक बना ही दिया, कोहली ने 51 की औसत से 4 मैचों मे 156 रन बनाए जबकि रोहित ने 133 रन. आम तौर पर भारत का मध्य क्रम चलता रहा है, लेकिन इस बार सूर्य कुमार यादव और हार्दिक पंड्या की एक-एक पारी के अलावा इस क्रम से भारतीय टीम को कुछ खास मिला नहीं है.

भारत की सबसे बड़ी खामी इस बार फील्डिंग और गेंदबाजी मे देखने को मिली. फील्डिंग मे जितने और जिस तरह के कैच छूटे हैं, हाल फिलहाल भारतीय क्रिकेट मे वैसा देखने को नहीं मिला. अर्शदीप ने ही सिर्फ आसान कैच नहीं छोड़ा, चहल भी इस मामले मे किसी से कम नहीं थे. अर्शदीप के पास अनुभव की कमी हो सकती है, लेकिन चहल तो शायद हाथ मे गेंद आने का इंतज़ार कर रहे थे. कैच छोड़कर खिसियानी हंसी अब चुभती है. रन आउट के कई मौके सटीक थ्रो की कमी से दम तोड़ गए. क्रिकेट मे आसान कैच छूटना कोई नई बात नहीं, लेकिन यह ट्रेंड बन जाना परेशान करता है.

गेंदबाजी में भुवनेश्वर टीम के प्रमुख गेंदबाज हैं, टी20 में इससे पहले उनका रिकॉर्ड भी शानदार रहा है. इस साल सबसे ज्यादा विकेट भी उनके ही हैं. लेकिन एक बेहद नाजुक मौके पर उनके हाथ से एक नहीं लगातार दो वाइड बॉल होना भी चुभता है. अगर भुवनेश्वर जैसे तजुर्बेकार खिलाड़ी एशिया कप के सुपर 4 में इस कदर दबाव लेंगे, तो विश्व कप में क्या होगा!! अर्शदीप भले ही महंगे साबित हुए, कुल 15 ओवर में सवा नौ से ज्यादा की औसत से उन्होंने रन दिए है, लेकिन आखिरी ओवर बढ़िया डाल रहे हैं. जहां 19वें ओवर में भुवनेश्वर दबाव से चटक रहे हैं, वहाँ अर्शदीप का बेहतर आखिरी ओवर डालना एक सकारात्मक संकेत है.

आवेश खान ने दो मैचों मे 12 की औसत से 6 ओवर मे 72 रन दिए, हालांकि उनके पास गति है. आईपीएल में धूम मचा देने वाले युजवेन्द्र चहल ने 8 की औसत से रन देते हुए चार विकेट लिए. अश्विन को सिर्फ एक मैच मे मौका दिया गया, कुछ खास जुटा नहीं सके. सवाल यही है कि इस गेंदबाजी के साथ क्या हम विश्व कप मे कुछ बेहतर उम्मीद कर सकते हैं, शायद नहीं! गुरु द्रविड को टीम प्रबंधन के साथ आत्ममंथन करना होगा, और टीम इंडिया को आत्ममुग्धता की स्थिति से बाहर निकलना होगा.

आलराउंडर के तौर पर शामिल दीपक हुडा को सिर्फ बल्लेबाजी मिली, उसमें भी छाप नहीं छोड़ सके. ऋषभ पंत और दिनेश कार्तिक की बहस चलती रही, लेकिन विकेट के पीछे पंत खास असर नहीं छोड़ पाए. यही नहीं, पारी की शुरुआत करने उतर रहे लोकेश राहुल इंजरी से वापसी के बाद अब तक लय में दिखे नहीं हैं. शुक्र है विराट कोहली के बल्ले का, जो लंबे समय के बाद चला, शुरुआती मुकाबलों के बाद उनके ज्यादातर स्ट्रोक्स फिर तराशे हुए दिखाई दे रहे थे, हालांकि श्रीलंका के खिलाफ कल के मुकाबले मे एक बडा स्ट्रोक खेलने की कोशिश मे विकेट गंवा गए.

क्रिकेट वह भी टी20 क्रिकेट अनिश्चितताओं के लिए जाना जाता है, यहां अर्श से फर्श तक का सफर तय करने में वक्त नहीं लगता. भारत को अब सुपर 4 का आखिरी मुकाबला अफगानिस्तान से खेलना है.  और जिस बेखौफ तरीके से अफगानिस्तान इस समय क्रिकेट खेल रही है, टीम इंडिया को उन्हे गंभीरता से लेने की जरूरत है. उस मुकाबले मे संभवतः दोनों टीमों के लिए कुछ खास दांव पर नहीं होगा, ऐसे मेंं अफगानिस्तान ज्यादा खुल कर खेल सकती है, क्योंकि असली दबाव भारत पर होगा.

बहरहाल विश्व कप से पहले भारत के लिए यह एक अलार्म बेल की तरह है, जितनी जल्दी वह जाग जाए बेहतर है. टीम सलेक्शन में बड़े नाम नहीं बल्कि काम देखा जाना चाहिए. यह सच है कि जसप्रीत बुमराह की कमी भारत को शुरू से ही खली, लेकिन दुनिया मे सबसे मजबूत बेंच स्ट्रेंग मानी जाने वाली टीम की किसी एक गेंदबाज पर इस कदर निर्भरता कतई स्वागत योग्य नहीं है. फिर अगर हमारे पास बुमराह नहीं थे, तो पाकिस्तान के पास शाहीन शाह अफरीदी नहीं थे, श्रीलंका के पास दुसमंथा चमीरा नहीं थे. जब लगातार क्रिकेट हो रही हो, वहां इंजरी और अनुपलब्धता के दौर से तो गुजरना ही होगा.

भारत के प्रदर्शन को उदारवादी क्रिकेट पंडित महज एक दुर्योग करार देंगे. बिल्कुल ठीक बात है कि किसी की भी आलोचना सिर्फ आलोचना के मकसद से नहीं होनी चाहिए. यह खेल है और खेल मे जीत हार होती ही रहती है. लेकिन हमे यह भी याद रखना चाहिए कि क्रिकेट और उस के सितारे आज जहां हैं, उसके पीछे भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की बड़ी भूमिका है. यह वह लोग हैं जिनके लिए क्रिकेट जीत हार नहीं बल्कि आशा, निराशा, अवसाद और हताशा की वजह होती है. हार तो किसी भी दिन कोई सकता है, लेकिन लापरवाही की हार परेशान करती है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)

Tags: Asia cup, India Vs Pakistan, India Vs Sri lanka, Indian Cricket Team, Team india

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