नई दिल्ली. जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान हीथ स्ट्रीक (Heath Streak) पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने भ्रष्टाचार में शामिल होने के मामले में 8 साल का बैन लगाया है. ये क्रिकेट में भ्रष्टाचार को खत्म करने की लड़ाई में एक बड़ा झटका है और ये साबित करता है कि खेल में भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. आईसीसी के मुताबिक, शुरुआत में तो स्ट्रीक ने भ्रष्टाचार में शामिल होने से सीधे तौर पर इंकार किया. लेकिन बाद में उन्होंने सितंबर 2017 से 15 महीने के दौरान अलग-अलग क्रिकेट टूर्नामेंट में आईसीसी के एंटी करप्शन कोड के पांच नियमों के उल्लंघन की बात स्वीकारी. इसमें बांग्लादेश प्रीमियर लीग, अफगानिस्तान प्रीमियर लीग, 2018 में जिम्बाब्वे, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के बीच हुई ट्राई सीरीज, इसी साल अफगानिस्तान और जिम्बाब्वे के बीच हुई द्विपक्षीय सीरीज और आईपीएल जैसे टूर्नामेंट शामिल हैं. स्ट्रीक 2018आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के गेंदबाजी कोच थे.
आईपीएल की तुलना में, अन्य सभी टूर्नामेंट, जिसमें स्ट्रीक को भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया है वो छोटे हैं और उनका दायरा सीमित है. लेकिन ये इस तथ्य को साफ नहीं करता है कि क्रिकेट में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं. अगर इससे कुछ भी साफ होता है तो ये है कि जांच के अभाव में कई लोग ऐसे हैं जो जहां भी और जब भी संभव हो इस तरह के भ्रष्टाचार में शामिल रहते हैं.
टी20 फॉर्मेट में फिक्सिंग की आशंका ज्यादा
आईसीसी का कहना है कि हीथ एक बुकी मिस्टर एक्स (जिसका नाम आईसीसी ने बताया नहीं है) के साथ सट्टेबाजी में शामिल था. हीथ ने न सिर्फ इस मिस्टर एक्स को गोपनीय जानकारी पहुंचाई, बल्कि चार खिलाड़ियों, जिसमें एक टीम का कप्तान भी शामिल है, उससे मुलाकात कराई. फिलहाल, इन नामों पर सस्पेंस बना हुआ है- कम से कम जनता से तो इसे छुपाया ही गया है. लेकिन इस मामले के उजागर होने से ये तो साफ हो गया है कि जिस खेल को लेकर लोगों में इतनी दीवानगी है, उसके भीतर बहुत कुछ काला है. जैसा आज से दो दशक पहले था. जब सबसे बड़े मैच फिक्सिंग रैकेट का भांडाफोड़ हुआ था. इसके बाद से ही क्रिकेट में मैच फिक्सिंग और भ्रष्टाचार के कई सारे मामले सामने आए. लेकिन वो उतने बड़े नहीं थे. हालांकि, खेल को चलाने वाले प्रशासकों को स्ट्रीक के मामले के खुलासे के बाद इस बात की चिंता करनी चाहिए कि खेल में भ्रष्टाचार का दायरा और बड़ा हो सकता है. खासतौर पर टी20 फॉर्मेट में.
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आईसीसी के लिए बुकीज पर नजर रखना मुश्किल
टी20 टूर्नामेंट में अलग-अलग देशों के खिलाड़ी शामिल होते हैं. ऐसे में प्रशासकों के लिए ऐसे लोगों पर नजर रखना बहुत मुश्किल होता है, जो गलत हरकत कर सकते हैं. ऐसा नहीं है कि आईसीसी की एंटी करप्शन यूनिट करप्शन को दूर करने की कोशिश नहीं कर रही है. क्योंकि अगर ऐसा ने होता तो हीथ स्ट्रीक के भ्रष्टाचार मामला उजागर नहीं होता. आईसीसी के साथ दूसरे क्रिकेट बोर्ड भी सट्टेबाजी, फिक्सिंग पर लगाम लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
स्ट्रीक का भ्रष्टाचार में शामिल होना हैरान करने वाला
क्रिकेट में सट्टेबाजे नए नहीं है. लंबे वक्त से इनके होने की जानकारी मिलती रही है. कुछ खिलाड़ी इनके झांसे में आए हों, इस पर किसी को हैरानी नहीं होगी. स्ट्रीक जिम्बाब्वे के सबसे बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं. ऐसे में उनका भ्रष्टाचार या सट्टेबाजी में शामिल होना हर किसी के लिए बड़ा झटका है. इसने उस दौर को उजागर कर दिया,जब साल 2000 में फिक्सिंग कांड में तब के बड़े-बड़े क्रिकेटरों का नाम सामने आया था. हालांकि, तब और अब में यही फर्क है कि स्ट्रीक को क्रिकेट से संन्यास लिए लंबा वक्त हो चुका है.
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स्ट्रीक के मामले में ये इसलिए भी हैरान करता है क्योंकि वो जिम्बाब्वे के सबसे बड़े खिलाड़ियों में शुमार किए जाते हैं. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वो बतौर कोच कई टीमों के साथ जुड़े. इस बात के कहीं सबूत नहीं मिलते हैं कि वो आर्थिक तौर पर कमजोर थे. वो संन्यास के बाद भी ठीक-ठाक पैसा कमा रहे थे. ऐसे में उनके जैसे खिलाड़ी के लिए चंद रूपयों के खातिर अपना इमान बेच देना वाकई हैरान करने वाला है. इससे न सिर्फ उनकी साख पर बट्टा लगा है, बल्कि उस खेल का दामन भी दागदार हुआ है, जिसने उन्हें इतनी पहचान और शोहरत दिलाई.
(डिस्क्लेमर: यह लेखक के निजी विचार हैं.) undefined
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Tags: Anti Corruption Unit, Cricket news, ICC, Zimbabwe
FIRST PUBLISHED : April 16, 2021, 13:47 IST