नई दिल्ली. भारत और इंग्लैंड के बीच एजबेस्टन में खेले जा रहे रीशेड्यूल टेस्ट मैच तीन दिन के खेल के बाद रोमांचक मोड़ पर खड़ा है. इस टेस्ट का चौथा दिन दोनों ही टीमों के लिए अहम रहने वाला है. अगर भारत बढ़त को 400 के पार ले जाने में सफल रहा, तो फिर इंग्लैंड के हाथ से सीरीज फिसलते देर नहीं लगेगी और अगर इंग्लैंड ने पलटवार किया तो फिर भारत के 15 साल बाद इंग्लैंड में सीरीज जीत का सपना पूरा नहीं होगा. चेतेश्वर पुजारा ने चौथे दिन आउट होने से पहले 66 रनों की पारी खेलकर टीम इंडिया भारत को मैच में आगे कर दिया है.
तीसरे दिन की शुरुआत जॉनी बेयरस्टो के शतक से हुई. यह टेस्ट में उनकी लगातार तीसरी सेंचुरी थी. बेयरस्टो ने भले ही धीमी शुरुआत की. लेकिन, बाद में गियर बदले हुए ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की और 119 गेंद में अपना सैकड़ पूरा किया. तीसरे दिन पुजारा ने भी 139 गेंद में 50 रन बनाए. लेकिन, इसकी उतनी चर्चा नहीं हुई. हालांकि, भारत के लिहाज से यह पारी अहम रही. अगर टीम इंडिया एजबेस्टन टेस्ट में जीतने में सफल रहती है तो उसमें पुजारा का भी योगदान अहम रहेगा. उनके लिए टीम इंडिया में कमबैक आसान नहीं रहा.
पुजारा श्रीलंका सीरीज से ड्रॉप हुए
पुजारा को आईपीएल 2022 के मेगा ऑक्शन में किसी टीम ने नहीं खरीदा था. हालांकि, उनके लिए यह कोई नहीं बात नहीं थी, क्योंकि वो 2015 से ही आईपीएल के ऑक्शन में नहीं बिक रहे थे. 2021 में जरूर चेन्नई सुपर किंग्स ने ‘टीम इंडिया की दीवार’ माने जाने वाले पुजारा को खरीदा. लेकिन, पूरे सीजन में एक भी मैच खेलने का मौका नहीं दिया. 2022 भी पुजारा के लिए कुछ अलग नहीं रहा. उनपर मेगा ऑक्शन पर किसी टीम ने दांव नहीं खेला और श्रीलंका के खिलाफ 2 टेस्ट की सीरीज के लिए चुनी गई भारतीय टीम से भी वो ड्रॉप हुए.
पिछले 28 टेस्ट में 28 की औसत से रन बनाए
2017 के बाद ऐसा पहली बार हुआ, जब वो भारतीय टेस्ट टीम की योजना से बाहर हुए. इसका वजह थी बीते 3 साल में टेस्ट क्रिकेट में उनका प्रदर्शन. पुजारा ने 2019 में सिडनी टेस्ट के बाद से कोई शतक नहीं लगाया था. पिछले 28 टेस्ट में उन्होंने 28 के औसत से रन बनाए थे.
ऐसा नहीं था कि पुजारा टीम के लिए अपना योगदान नहीं दे रहे थे. ब्रिसबेन टेस्ट में 56, सिडनी में 77 रन की पारियां भारत की हार टालने वाली रही. पिछले साल इंग्लैंड दौरे पर जब भारत ने लॉर्ड्स टेस्ट जीता था. उसमें भी पुजारा का अहम योगदान रहा. उन्होंने दूसरी पारी में भले ही 45 रन बनाए. लेकिन, उनकी यह पारी भारत को बढ़त दिलाने में काम आई और इसी के दम पर भारत ने वो टेस्ट जीता था. यही वजह थी कि इंग्लैंड दौरे पर दवाब के बावजूद पुजारा को टीम से ड्रॉप नहीं किया गया.
आईपीएल में नहीं बिकना फायदे का सौदा रहा
पुजारा के लिए इस साल आईपीएल में कोई खरीदार नहीं मिलना बड़े फायदे का सौदा साबित हुआ, क्योंकि इससे उनके काउंटी क्रिकेट खेलने का रास्ता साफ हुआ और टीम इंडिया में कमबैक की राह तैयार हुई. जब पूरी टीम आईपीएल खेल रही थी, तब पुजारा इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट में रनों का अंबार लगा रहे थे और वो सिर्फ शतक नहीं, बल्कि बड़ी पारियां खेल रहे थे. उन्होंने काउंटी क्रिकेट में 2 दोहरे शतक लगाए. ससेक्स के लिए 170 रन की नाबाद पारी खेली. इंग्लिश कंडीशन में क्रीज पर बिताए वक्त ने उनके डूबते टेस्ट करियर को सहारा दिया. इसी प्रदर्शन के दम पर एजबेस्टन टेस्ट के जरिए पुजारा की भारतीय टीम में वापसी हुई.
पुजारा ने स्टांस में मामूली बदलाव किया
एजबेस्टन में पुजारा बदली हुई तकनीक के साथ खेलते नजर आए. कमेंट्री के दौरान श्रीलंकाई दिग्गज कुमार संगकारा ने इस बात को पकड़ा और उन्होंने बताया कि पुजारा क्यों इस बार तकनीकी रूप से ज्यादा मजबूत नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुजारा ने अपने स्टांस में बदलाव किया है. वो पिछले साल के मुकाबले थोड़ा साइन-ऑन खड़े हो रहे हैं. इसी वजह से वो गेंद को बेहतर तरीके से देख पा रहे हैं और खेलने या छोड़ने का सही फैसला ले रहे हैं.
खासतौर पर स्टुअर्ट ब्रॉड की गेंदों को. हालांकि, पुजारा की बल्लेबाजी में इसके अलावा कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. वो पहले भी इंग्लैंड में ऑफ स्टम्प के बाहर जाती गेंदों को छोड़ते थे. इंग्लैंड में खेले पिछले 9 टेस्ट में उन्होंने बल्लेबाजी के दौरान 30 फीसदी गेंद छोड़ी है.
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साथी खिलाड़ियों के लिए पुजारा योद्धा
इंग्लैंड में इस गर्मी में, टेस्ट मैच में टीमों ने नई गेंद से 30 ओवर बीत जाने के बाद ज्यादा रन आए हैं, जब गेंद नरम हो गई है और मध्य क्रम के बल्लेबाजों ने इसका पूरा फायदा उठाया. हालांकि, पुजारा के लिए हालात नहीं बदले, क्योंकि उन्हें ज्यादातर मौकों पर नई गेंद का ही सामना करना पड़ा और हर बार पुजारा टीम के लिए संकचमोचक बनकर उभरे. इसी वजह से टीम के साथी खिलाड़ी भी उन्हें योद्धा मानते हैं. एजबेस्टन टेस्ट में तीसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद खुद मोहम्मद सिराज ने यह बात कही.
उन्होंने कहा, “पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया में दिखाया, अब एजबेस्टन में ही वही काम कर रहे हैं. जब भी टीम को जरूरत होती है, तो वो इसी जज्बे से खेलते हैं. जब हालात मुश्किल होते हैं तो वो डटे रहते हैं और यही उनकी सबसे बड़ी खूबी है.”
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