वह घरेलू और महिला क्रिकेट के प्रभारी थे. बीसीसीआई के अनुसार खेल विकास के महाप्रबंधक मैच खेलने के नियमों, पिच और आउटफील्ड स्थलों के अलावा ‘घरेलू मैचों के दौरा कार्यक्रम’ को निर्धारित करने और निगरानी के लिए जिम्मेदार होगा.
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी. इस महामारी के कारण लोग अपने घरों में कैद हैं. ज्यादातर देश लॉकडाउन (Lockdown) है. खेल इवेट्स भी ठप्प पड़े हुए हैं. हालांकि कुछ देशों में बिना दर्शकों के इवेंट शुरू हो गए है और भारत में भी चौथे लॉकडाउन में स्टेडियम को खोल दिया गया, ताकि खिलाड़ी ट्रेनिंग पर लौट सके. कोरोना के कारण सिर्फ खिलाडि़यों की ट्रेनिंग ही प्रभावित नहीं हुई है, बल्कि क्रिकेट पिच भी इस वायरस से जुझ रही है और अगर इसे समय पर इलाज नहीं मिला तो इसके परिणाम अगले सीजन में नजर आएंगे.
दरअसल जून में मानसून आने से पहले क्रिकेट पिच की ड्रेसिंग की जाती है. यानी इसमें खाद, उर्वरक और खास किस्म की मिट्टी डाली जाती है. जिससे मानसून आने पर यह तैयार हो सके और अगले सीजन में इस पर अच्छे तरह से मैच खेला जा सके. भारत के इंटरनेशनल मैचों की पिच के लिए यह पूरी तरह से 10 दिनों का काम है, जो पिछले सीजन की थकी हुई पिचों को फिर से ताजा करती है और खेलने लायक बनाती है. मगर कोरोना वायरस के निपटने के लिए जारी लॉकडाउन में यह काम काफी मुश्किल हो गया है.
धीमी हो जाएगी पिच
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए बीसीसीआई (BCCI) के पूर्व चीफ क्यूरेटर दलजीत सिंह ने कहा कि आप पूरे साल इस पर खेलते हैं. इस पर काफी कुछ होता है और सीजन के अंत में विकेट भी ओवरलोड हो जाता है. घास मर जाती है, कार्बनिक पदार्थ अंदर चले जाते हैं. अगले सीजन के लिए इसकी ड्रेसिंग करनी होती है. मानसून से पहले करने पर बारिश के दौरान यह सेट हो जाता है. नई घास उग जाती है. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो अगले साल आपकी पिच धीमी हो जाएगी. आपकी पिच थकी हुई होगी.
मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चीफ क्यूरेटर समंदर सिंह चौहान ने विकेट की तुलना पार्लर जाने से की. उन्होंने कहा कि विकेट की ड्रेसिंग करना ठीक उसी तरह है, जैसे आप ब्यूटी पार्लर जाएं और फिर फ्रेश होकर वापस आए. मानसून से पहले पिच को ट्रीटमेंट की जरूरत होती है. तभी वे अच्छा व्यवहार करती हैं.
मई में मध्य में आने लगती है मिट्टी
विकेट और आउटफील्ड के लिए मुंबई में मिट्टी का आना मई के दूसरे या तीसरे सप्ताह से शुरू हो जाता है. इसके लिए मुंबई क्रिकेट एसोसिशन अप्रैल के अंत में आदेश देती है और फिर इसकी आपूर्ति मई के दूसरे या तीसरे सप्ताह से शुरू हो जाती है. मिट्टी मुंबई से करीब 54 किलोमीटर दूर पड़घा गांव से आती है. आउटफील्ड के लिए मिट्टी की लागत एससीए वहन करती है, जबकि विकेटों के लिए क्लब करता है. मगर इस समय मुंबई देश का सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित शहर है और इस समय मिट्टी की आपूर्ति संभव नहीं है. एमसीए अपेक्स काउंसिल के सदस्य नदीम मेमन ने कहा कि मिट्टी लाने के लिए कोई ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है और गांव वाले भी अपने इलाके में किसी गाड़ी को आने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. इसके साथ ही स्टाफ की भी परेशानी है. अब सभी कोई यह काम मानसून के बाद होने की उम्मीद है.
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Tags: BCCI Cricket, Coronavirus, COVID 19, Cricket, India National Cricket Team, Lockdown-4, Sports news
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