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'अनुष्का की कॉफी' पर तो खूब आलोचना हुई, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में जीते तो किसी ने तारीफ नहीं की: प्रसाद

एमसके प्रसाद 2016 से 2020 तक सीनियर सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन थे. (MSK Prasad Twitter)

एमसके प्रसाद 2016 से 2020 तक सीनियर सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन थे. (MSK Prasad Twitter)

पूर्व चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद(MSK Prasad) ने सेलेक्टर्स की आलोचना करने वालों पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि 2019 के विश ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट में सेलेक्टर्स का काम ऐसा है कि उन्हें टीम के अच्छे प्रदर्शन का श्रेय कम ही मिलता है. उलटा उन्हें तो खिलाड़ियों को टीम में चुनने और बाहर करने के कारण कई बार कड़ी आलोचना झेलनी पड़ती है. पूर्व चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद को तो अपने कार्यकाल के दौरान इन बातों का अक्सर सामना करना पड़ा. उन्होंने इसे लेकर अपनी राय जाहिर की है. एमएसके प्रसाद ने दो साल पहले इंग्लैंड में हुए विश्व कप के दौरान अनुष्का शर्मा से जुड़ी एक घटना का जिक्र किया, जब सेलेक्टर्स को पूर्व क्रिकेटर्स और फैन की आलोचना का शिकार होना पड़ा था.

    एमसके प्रसाद 2016 से 2020 तक सीनियर सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन थे. उन्हें आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017, 2019 विश्व कप और 2018-19 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए खिलाड़ियों को चुनने में कड़े फैसले लेने पड़े. कई बार इसे लेकर विवाद भी खड़े हुए. लेकिन सिर्फ सेलेक्शन को लेकर ही उनकी आलोचना नहीं हुई, बल्कि 2019 के वनडे विश्व कप में तो टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा को लेकर भी सेलेक्टर्स निशाने पर आए.

    तब पूर्व भारतीय विकेटकीपर फारुख इंजीनियर ने एमएसके प्रसाद की अगुवाई वाली सेलेक्शन कमेटी के लिए कहा था कि हमारे पास मिकी माउस सेलेक्शन कमेटी है. इसमें शामिल खिलाड़ियों को 12 टेस्ट खेलने का भी अनुभव नहीं है.

    टीम मैनेजमेंट को पता है कि हमने क्या किया: एमसके प्रसाद
    इसी घटना का जिक्र करते प्रसाद ने ईएसपीएन क्रिकइंफो से बातचीत में कहा कि तब तो सेलेक्टर्स को कॉफी सर्व करने के मामले में जबरदस्ती घसीटा गया. खूब हंगामा मचा. लेकिन जब टीम इंडिया ने स्टार खिलाड़ियों की गैरहाजिरी में ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में टेस्ट सीरीज में हराया, तब किसी ने सेलेक्टर्स की पीठ नहीं थपथपाई. हमें इससे फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि टीम मैनेजमेंट ने हमारे काम को समझा और उसकी तारीफ की. हमारे लिए यही संतोषजनक है. भले ही बाहर वाले कुछ भी बोलें, लेकिन टीम के साथ जुड़े लोगों को पता है कि हमने क्या काम किया है. खासतौर पर टीम इंडिया के बॉलिंग कोच भरत अरूण और पारस म्हाम्ब्रे इसे जानते हैं.

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    ‘घरेलू क्रिकेट में नए खिलाड़ियों को तराशने का काम हुआ’
    उन्होंने आगे कहा कि हमने युवा खिलाड़ियों को तराशने के लिए पूरा नया ढांचा खड़ा किया. पहले गेंदबाज अपनी दिमाग और गलतियों से सीखता था. लेकिन अब सारी चीजें तय हैं. एक ट्रेनिंग प्रोग्राम बना हुआ है. गेंदबाजों को बताया जाता है कि उन्हें किस लाइन और लेंथ पर गेंदबाजी करनी है. उनकी गेंदबाजी का कमजोर पहलू क्या है. उन्हें पता है कि बड़े से बड़े बल्लेबाजों को कैसे आउट करना है और इसके लिए फिट रहना भी जरूरी है.

    प्रसाद के मुताबिक, हम युवा गेंदबाजों की फिटनेस पर शुरू से ही काम कर रहे हैं, जिसके नतीजे अब नजर आने लगे हैं. पहले गेंदबाज दो टेस्ट के बाद ही चोटिल हो जाते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होता है. इसमें बोर्ड के साथ-साथ सेलेक्शन कमेटी और ट्रेनिंग से जुड़े लोगों का रोल अहम है.

    Tags: Anushka sharma, Cricket news, Msk prasad

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