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2011 वर्ल्ड कप जीत पर गंभीर बोले-सिर्फ एक छक्के से नहीं, बल्कि हर खिलाड़ी के योगदान से बने चैंपियन

नई दिल्‍ली. इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज जोस बटलर (Jos Butler) का कहना है कि उन्‍हें पूर्व भारतीय कप्‍तान एमएस धोनी का करीब 10 साल पुराना एक शॉट काफी पसंद है.(Paddy Twitter)

नई दिल्‍ली. इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज जोस बटलर (Jos Butler) का कहना है कि उन्‍हें पूर्व भारतीय कप्‍तान एमएस धोनी का करीब 10 साल पुराना एक शॉट काफी पसंद है.(Paddy Twitter)

2011 वनडे वर्ल्ड कप (2011 ODI World Cup) जीत के 10 साल पूरे होने पर गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने कहा कि ये दुर्भाग्य ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. दस साल पहले आज ही के दिन भारत वर्ल्ड कप जीतकर (2011 ODI World Cup) वनडे क्रिकेट का नया बादशाह बना था. हालांकि, 1983 के बाद इस सपने को सच करने में 28 साल लग गए. लेकिन जब ये पूरा हुआ तो सारा देश खुशी से झूम उठा था. आज फिर से लाखों क्रिकेट फैंस उस लम्हे को याद कर रहे हैं. 2011 वर्ल्ड कप में हर खिलाड़ी ने अपने-अपने तरीके से टीम की जीत में योगदान दिया. लेकिन एक खिलाड़ी खास रहा. क्योंकि उसने श्रीलंका के खिलाफ फाइनल में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) और वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) के जल्दी आउट होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और 97 रन की पारी खेलते हुए टीम की जीत की नींव रखी. इस खिलाड़ी का नाम गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) है. गंभीर भी आज तक वर्ल्ड कप जीत को नहीं भूले हैं.

    इस जीत के 10 साल पूरे होने पर गंभीर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में भारतीय टीम की सफलता, कप्तान और कोच के योगदान और भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि भारत को 28 साल बाद वर्ल्ड चैम्पियन बनाने में हर खिलाड़ी का योगदान रहा. ये किसी एक की जीत नहीं थी.

    पिछले साल एक क्रिकेट वेबसाइट ने वर्ल्ड कप जीत के 9 साल पूरे होने पर महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की छक्का मारकर फाइनल जिताने की तस्वीर पोस्ट की थी. इस तस्वीर के साथ ये कैप्शन भी दिया था कि वो शॉट जिसने करोड़ों फैंस को खुशी में झूमने पर मजबूर कर दिया. गंभीर को ये बात हजम नहीं हुई थी और तब उन्होंने कहा था कि सिर्फ एक छक्के की बदौलत नहीं, बल्कि पूरी टीम और सपोर्ट स्टाफ की मेहनत के दम पर भारत चैम्पियन बना था. गंभीर ने यही बात वर्ल्ड कप जीत के 10 साल पूरे होने पर टीओआई को दिए इंटरव्य़ू में भी दोहराई.

    ये दुर्भाग्यपूर्ण कि हम देश में व्यक्तियों की पूजा करने लगते हैं: गंभीर
    उन्होंने कहा कि आपको लगता है क्या किसी एक खिलाड़ी ने व्यक्तिगत प्रदर्शन के दम पर हमें वर्ल़्ड कप जिताया ?. अगर ऐसा होता है तो टीम इंडिया अब तक हुए सभी वर्ल्ड कप जीत गई होती. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में हम कुछ व्यक्तियों की पूजा करने लगते हैं. मैं इस पर कभी विश्वास नहीं करता. किसी भी टीम गेम में, व्यक्तियों की कोई जगह नहीं है. ये सिर्फ योगदान की बात है. क्या आप फाइनल में जहीर खान के योगदान को भूल सकते हैं?. जब उन्होंने अपने पहले स्पैल में लगातार तीन मेडन ओवर फेंके थे. क्या आप ये भूल सकते हैं कि युवराज ने क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्या किया था?. इतना ही नहीं, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सचिन तेंदुलकर के शतक को कोई कैसे भूल सकता है?. हम एक छक्के को बार-बार क्यों याद करते हैं?. अगर एक छक्का हमें वर्ल्ड कप जिता सकता है, तो फिर मेरा मानना है कि कि युवराज सिंह को कम से कम भारत को 6 वर्ल्ड कप जिताने थे, क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में लगातार 6 गेंद पर 6 छक्के मारे थे. कोई युवराज के बारे में बात नहीं करता है. वो 2011 के वर्ल्ड कप में मैन ऑफ दे टूर्नामेंट थे. लेकिन हम सिर्फ एक छक्के के बारे में बात करते रहते हैं.

    ‘मेरी नजर में 2011 वर्ल्ड कप के 14 गुमनाम हीरो थे’
    उस वर्ल्ड कप में भारत की जीत के कई गुमनाम हीरो थे. मुनाफ पटेल ने कई मौकों पर किफायती और मैच का रुख बदलने वाली गेंदबाजी की, लेकिन उन्हें इसका वैसा श्रेय नहीं मिला. ठीक इसी तरह आशीष नेहरा ने भी सटीक गेंदबाजी की थी. खासतौर पर सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ. इस पर गंभीर ने कहा कि मेरी नजर में 2011 वर्ल्ड कप जीत के संभवत: 14 गुमनाम हीरो थे. मुनाफ, मैं, हरभजन सिंह और विराट कोहली जिन्होंने पहले मैच में शतक लगाया, सुरेश रैना जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ अहम पारी खेली. इन सभी खिलाड़ियों का योगदान बेशकीमती थी. अगर मैं आज उस 10 साल पहले को देखता हूं, तो मुझे लगता है कि ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ बनने के बावजूद युवराज गुमनाम हीरो रहे. आप इनके बारे में बात नहीं करते. इन सभी के योगदान से ही भारत विश्व चैंपियन बना था.

    गंभीर बोले- गैरी कर्स्टन अच्छे मैनेजर थे
    कोच गैरी कर्स्टन का शांत रवैया टीम की जीत में कितना काम आया? इससे जुड़े सवाल पर गंभीर ने कहा कि गैरी एक अच्छे मैनेजर थे. उन्होंने काफी मेहनत की थी. वो नेट्स पर भी घंटों बल्लेबाजों को गेंद फेंकते थे. अंत में, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में देखें तो एक बेहतर मैनेजर होने का काफी फर्क पड़ता है. आपको इस स्तर पर किसी खिलाड़ी को तकनीक सिखाने की जरूरत नहीं हैं. जब तक कि कोई बड़ी दिक्कत नहीं है. ऐसे में अगर एक कोच टीम का टीम के साथ बेहतर तालमेल है वो मेहनत कर रहा है तो इतना ही काफी है और गैरी में ये सारी खूबी थी.

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    ‘2011 वर्ल्ड कप में गेंदबाजों के किट बैग में 10-10 बल्ले थे’
    इस इंटरव्य़ू में जब गंभीर से पूछा गया कि क्या उन्हें 2011 के वर्ल्ड कप से जुड़ा कोई किस्सा य़ाद है. इस पर उन्होंने बड़ा ही दिलचस्प राज खोला. गंभीर ने बताया कि हम चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेल रहे थे और हमारे ड्रेसिंग रूम में 600-700 बल्ले थे. आप समझ सकते हैं कि किसी टीम के ड्रेसिंग रूम में इतने ज्यादा बैट होना कितना अजीब हो सकता है. जब हमने गिना कि हर खिलाड़ी के पास कितने बैट हैं तो पता चला कि बल्लेबाज तो ठीक गेंदबाजों के किट बैग में भी 10-10 बल्ले पड़े हुए थे. हमें अलग-अलग कंपनियों से इतने बल्ले मिले थे, जो वाकई हैरान करने वाला है. हमें टूर्नामेंट के बीच में घर जाने की इजाजत नहीं थी, इसलिए हम अलग-अलग कंपनियों से बल्ले मंगाते रहे.

    ‘कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया वर्ल्ड कप में अच्छा करेगी’
    गंभीर ने कोहली की कप्तानी में टी20 और वनडे वर्ल्ड कप में भारत के प्रदर्शन से जुड़े सवाल पर भी खुलकर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि मैं कोई ज्योतिषी तो नहीं हूं. लेकिन मुझे लगता है कि मौजूदा टीम इंडिया 2011 जैसा प्रदर्शन दोहराने की काबिलियत रखती है. क्योंकि देश के लिए सिर्फ गिनती के खिलाड़ी ही वर्ल्ड कप खेलते हैं. एक से दूसरे वर्ल्ड कप के बीच काफी चीजें बदल जाती हैं. मौजूदा खिलाड़ी खुशकिस्मत हैं कि उन्हें एक के बाद तीन वर्ल्ड कप खेलने का मौका मिल रहा है. ऐसे में उनके पास देश के लिए कुछ खास करने का मौका है और मुझे पूरा विश्वास है कि वो ऐसा करने में सफल रहेंगे. क्योंकि जब आप अपने मुल्क के लिए अच्छा करते हैं तो उसकी याद ता उम्र आपके जहन में रहती है.

    Tags: Cricket news, Gautam gambhir, ICC ODI World Cup 2011, Ms dhoni

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