हार्दिक और क्रुणाल को क्रिकेटर बनाने के लिए पिता ने किया था बड़ा त्याग, बिजनेस छोड़कर बस गए थे दूसरे शहर

पिता के साथ क्रुणाल और हार्दिक पंड्या (फोटो क्रेडिट: हार्दिक पंड्या इंस्टाग्राम )
हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya Father Passed Away) और क्रुणाल पंड्या के पिता हिमांशु पंड्या (Himanshu Pandya) ने वडोदरा में आखिरी सांस ली, उन्हें दिल का दौरा पड़ा था.
- News18Hindi
- Last Updated: January 16, 2021, 2:22 PM IST
नई दिल्ली. भारत के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) और क्रुणाल पंड्या (Krunal Pandya) के पिता हिमांशु पंड्या का शनिवार सुबह निधन हो गया. उनके निधन की वजह कार्डियक अरेस्ट है. पिता के निधन की खबर मिलते ही वडोदरा के कप्तान क्रुणाल पंड्या सैयद मुश्ताक बबल छोड़कर घर रवाना हो गए है. ता दें क्रुणाल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में बड़ौदा का नेतृत्व कर रहे थे. वहीं हार्दिक पंड्या इस टूर्नामेंट में नहीं खेल रहे थे. देश को दो विस्फोटक खिलाड़ी देने के लिए हिमांशु पंड्या ने काफी त्याग किए थे. अपने दोनों बच्चों के लिए उन्होंने अपना बिजनेस तक बंद कर दिया और दूसरे शहर में बस गए. ताकि दोनों बच्चों को बेहतर क्रिकेट की सुविधा मुहैया कराई जा सके.
हिमांशु सूरत में कार फाइनेंस का छोटा सा बिजनेस चलाते थे, जिसे उन्होंने बंद कर दिया और फिर वडोदरा शिफ्ट हो गए. उस समय हार्दिक पांच साल के थे. वहां पर उन्होंने अपने बच्चों को क्रिकेट की बेहतर सुविधा दी और उन्होंने किरण मोरे एकेडमी में दोनों का एडमिशन करवाया.
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हार्दिक और क्रुणाल के बारे में बात करते आंसू नहीं रोक पाते थे पिता
आर्थिक रूप से कमजोर पंड्या का परिवार किराए के घर में रहता था. इसके बावजूद दोनों स्टार क्रिकेटर्स के पिता ने उन्हें किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं दी. एक इंटरव्यू में हिमांशु पंड्या ने कहा था कि जब भी वह हार्दिक और क्रुणाल के बारे में बात करते, वो अपने आंसूओ पर कंट्रोल नहीं कर पाते. उन्होंने कहा था कि जब वह काफी कम उम्र में दोनों को क्रिकेट सिखा रहे थे तो काफी रिश्तेदारों ने सवाल खड़े किए थे, मगर उन सवालों के बावजूद वह अपनी योजना पर टिके रहे. बता दें हार्दिक पंड्या ने साल 2017 में जब श्रीलंका के खिलाफ शतक ठोका था तो उन्होंने अपने पिता को कार गिफ्ट में दी थी. हार्दिक पंड्या ने एक ट्वीट के जरिये कहा था कि उनके पिता को जीवन की सभी खुशियां मिलनी चाहिए.
हिमांशु सूरत में कार फाइनेंस का छोटा सा बिजनेस चलाते थे, जिसे उन्होंने बंद कर दिया और फिर वडोदरा शिफ्ट हो गए. उस समय हार्दिक पांच साल के थे. वहां पर उन्होंने अपने बच्चों को क्रिकेट की बेहतर सुविधा दी और उन्होंने किरण मोरे एकेडमी में दोनों का एडमिशन करवाया.
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हार्दिक और क्रुणाल के बारे में बात करते आंसू नहीं रोक पाते थे पिता
आर्थिक रूप से कमजोर पंड्या का परिवार किराए के घर में रहता था. इसके बावजूद दोनों स्टार क्रिकेटर्स के पिता ने उन्हें किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं दी. एक इंटरव्यू में हिमांशु पंड्या ने कहा था कि जब भी वह हार्दिक और क्रुणाल के बारे में बात करते, वो अपने आंसूओ पर कंट्रोल नहीं कर पाते. उन्होंने कहा था कि जब वह काफी कम उम्र में दोनों को क्रिकेट सिखा रहे थे तो काफी रिश्तेदारों ने सवाल खड़े किए थे, मगर उन सवालों के बावजूद वह अपनी योजना पर टिके रहे. बता दें हार्दिक पंड्या ने साल 2017 में जब श्रीलंका के खिलाफ शतक ठोका था तो उन्होंने अपने पिता को कार गिफ्ट में दी थी. हार्दिक पंड्या ने एक ट्वीट के जरिये कहा था कि उनके पिता को जीवन की सभी खुशियां मिलनी चाहिए.