पूर्व कप्तान ने हरमनप्रीत कौर एंड कंपनी पर खड़े किए सवाल
नई दिल्ली. तरीका अलग हो सकता है, लेकिन कहानी वही है. लंदन, मेलबर्न, बर्मिंघम और अब केपटाउन में वही कहानी दोहराई गई. भारतीय महिला क्रिकेट टीम ट्रॉफी तक पहुंचने से पहले ही नॉकआउट में बाहर हो गई. दक्षिण अफ्रीका में चल रहे आईसीसी महिला टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों जीत की स्थिति में होने के बावजूद पांच रन की हार ने भारतीय महिला टीम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. वनडे विश्वकप 2017 के फाइनल में पहुंचने से भारत ने महिला क्रिकेट में क्रांति ला दी थी. उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम अब इससे एक कदम आगे बढ़ेगी और ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत को चुनौती देगी, लेकिन छह साल बाद भी कहानी में कोई बदलाव नहीं हुआ.
भारत गुरुवार को केपटाउन में जीत की दहलीज पर पहुंच गया था, लेकिन कप्तान हरमनप्रीत कौर के रन आउट होने से पूरी कहानी बदल गई और टीम को ऐसी हार मिली जिसे खिलाड़ी वर्षों तक नहीं भुला पाएंगे. ऐसे में पूर्व भारतीय कप्तान डायना एडुल्जी ने हरमनप्रीत कौर और पूरी महिला क्रिकेट टीम पर सवाल उठाए हैं. एडुल्जी ने महसूस किया कि भारत की कप्तान बेहतर कर सकती थीं. उन्होंने कहा कि वह दूसरा रन लेते समय जॉगिंग कर रही थीं.
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डायना एडुल्जी ने कहा, ”वह सोच रही हैं कि बल्ला फंस गया है, लेकिन अगर आप दूसरा रन देखेंगे तो वह जॉगिंग कर रही थीं. जब आप जानते हैं कि आपका विकेट इतना महत्वपूर्ण है तो आप आराम से क्यों दौड़ रहे हैं? आपको जीतने के लिए पेशेवर क्रिकेट खेलना होगा. उन दो रनों को बचाने के लिए किए गए डाइव लगाएं. यह ही प्रोफेशलिज्म है.” उन्होंने आगे कहा, ”वे अंत तक हार नहीं मानते और हम लड़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं. आप हर समय आखिर तक गिरते नहीं रह सकते.”
डायना एडुल्जी ने कहा, ”दूसरे रन में हरमनप्रीत कौर कैजुअल थीं. उन्होंने सोचा कि वह आराम से पहुंच जाएगी. हमें 1970 के दशक में सुनील गावस्कर ने कहा था कि हर गेंद पर आपको अपना बल्ला क्रीज तक पहुंचाना सीखना होता है, तभी आप उस आदत में आते हैं.” ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जबकि भारत नॉकआउट में बाहर हो गया हो. वनडे विश्व कप 2017 में वह फाइनल में इंग्लैंड से हार गया था. इसके बाद 2018 में टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में फिर से इंग्लैंड उसके सामने रोड़ा बना था. भारतीय टीम पिछले टी-20 विश्व कप के मेलबर्न में खेले गए फाइनल और पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडल मैच में भी हार गई थी. इन दोनों अवसरों पर उसे ऑस्ट्रेलिया ने पराजित किया.
वर्तमान वर्ल्ड कप के लीग चरण में भारतीय टीम का प्रदर्शन असंगत रहा था, लेकिन सेमीफाइनल में वह जीत की स्थिति में थी. ढीली फील्डिंग और औसत गेंदबाजी के बावजूद हरमनप्रीत और जेमिमा रोड्रिग्स की बल्लेबाजी से भारत जीत की स्थिति में था. ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय टीम इस तरह के दबाव वाले मैचों में अनुकूल परिणाम क्यों हासिल नहीं करती? क्या यह टीम के चयन से जुड़ा कोई मुद्दा है या फिटनेस जिसके कारण फील्डिंग बेहद खराब रही या फिर टीम की रणनीति या कुछ और?
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गुरुवार को भारत की फील्डिंग बेहद खराब रही. भारत की खराब फील्डिंग के कारण ऑस्ट्रेलिया 25 से 30 रन अधिक बनाने में सफल रहा. शेफाली वर्मा ने आसान कैच टपकाया तो विकेटकीपर रिचा घोष ने मेग लैनिंग को स्टंप आउट करने का आसान मौका गंवाया. पूर्व भारतीय कप्तान डायना एडुल्जी ने कहा, ”वर्ल्ड कप जीतने वाली भारत की अंडर-19 टीम अधिक फिट और मैदान पर चपल दिख रही थी. मैं शर्त लगाती हूं कि हमारी अधिकतर सीनियर क्रिकेटर यो यो टेस्ट ( जो पुरुष टीम के लिए अनिवार्य है) पास नहीं कर पाएंगी. खराब फिटनेस के कारण हम अच्छी फील्डिंग की उम्मीद नहीं कर सकते.” भारतीय बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट भी अच्छा नहीं था. शेफाली, दीप्ति शर्मा, यस्तिका भाटिया और कप्तान हरमनप्रीत का टूर्नामेंट में स्ट्राइक रेट 110 से कम था. वर्तमान क्रिकेट में 130 से कम का स्ट्राइक रेट अच्छा नहीं माना जाता है.
स्टार बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने 138.5 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए, लेकिन उनके प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव था. शेफाली लंबे समय से खराब फॉर्म में चल रही हैं और गेंदबाज शार्ट पिच गेंदों की उनकी कमजोरी को भुना रहे हैं. ऐसे में सलामी बल्लेबाज एस मेघना को मौका दिए जाने की जरूरत है. वह बहुत पुरानी बात नहीं जबकि स्पिनरों को भारत का मजबूत पक्ष माना जाता था लेकिन विश्व कप में उन्होंने निराश किया. राजेश्वरी गायकवाड़ टूर्नामेंट में एक भी विकेट नहीं ले पाई जबकि दीप्ति और राधा यादव भी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए.
तेज गेंदबाजी विभाग में रेणुका सिंह ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन शिखा पांडे वापसी पर प्रभावित नहीं कर पाई. इस विभाग में विकल्पों की कमी चिंता का विषय है. बाएं हाथ की तेज गेंदबाज अंजलि सर्वानी को एक मैच में भी नहीं खिलाया गया. मेघना सिंह को भी मौका नहीं दिया गया अब यही उम्मीद कर सकते हैं कि महिला प्रीमियर लीग से तेज गेंदबाजी विभाग में कुछ नई प्रतिभाएं सामने आएंगी. भारतीय टीम के पास स्थाई कोचिंग स्टाफ नहीं होना भी सवाल पैदा करता है. भारतीय क्रिकेट बोर्ड को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के कोचों को महिला टीम से जोड़ने के चलन से बचना होगा. अगला विश्व कप 18 महीने बाद होना है और भारत को उसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.
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Tags: Harmanpreet kaur, ICC T20 Women World Cup, Indian women's hockey team, Women cricket, Women's T20 World Cup
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