कैसे बने सचिन तेंदुलकर टीम इंडिया में भाई से पाजी. (AFP)
नई दिल्ली. सचिन तेंदुलकर को यूं तो अपने करियर के शुरुआती 12-13 सालों तक सचिन भाई के नाम से टीम इंडिया में जाना जाता था लेकिन अचानक टीम में कुछ ऐसा हुआ कि सभी ने उन्हें सचिन पाजी कहकर पुकारना शुरू कर दिया. साल 2003 विश्व कप के दौरान यह घटना सामने आई थी. भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज और मौजूदा वक्त में गुजरात टाइटंस के मुख्य कोच आशीष नेहरा (Ashish Nehra) ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) से जुड़े इस किस्से को बताया था.
पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप मैच के दौरान सचिन ने 75 गेंदों पर 98 रनों की पारी खेली थी. सचिन ने इसी मैच के दौरान अपने 12 हजार वनडे रन भी पूरे किए थे. पाकिस्तान की टीम ने 273 रन बनाए और भारत ने इस लक्ष्य को छह विकेट खोने के बाद बना दिया था. यह मैच सचिन शोएब प्रकरण के लिए भी जाना जाता है. सचिन ने शोएब अख्तर की आग उगलती हुई गेंद पर प्वाइंट की दिशा में छक्का लगाया था. आज भी इस छक्के का वीडियो काफी चर्चित है. पाक टीम का हिस्सा वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे गेंदबाज थे. सचिन ने उनकी भी खूब ठुकाई की थी.
2003 विश्व कप के दौरान आशीष नेहरा भी टीम इंडिया का हिस्सा थे. स्टार स्पोर्ट्स के एक कार्यक्रम के दौरान आशीष नेहरा ने कहा, “इस पारी से पहले तक हम उन्हें टीम में सचिन या सचिन भाई कहकर पुकारते थे. पाजी शब्दा का इस्तेमाल सचिन के लिए 2003 के विश्व कप के बाद नियमित तौर पर होना शुरू हो गया.”
नेहरा जी ने बताया, “इस मैच के बाद स्टेडियम से होटल लौटते वक्त हरभजन सिंह ने बस में सचिन के लिए गाना शुरू कर किया, “पाजी नंबर-1, इसके बाद पूरी टीम ने ही उन्हें पाजी कहना शुरू कर दिया. सचिन से पहले इस शब्द का इस्तेमाल केवल कपिल देव के लिए हुआ करता था.”
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