IPL 2020: 7 साल पहले कोच से मिली सलाह ने बदली ऋतुराज गायकवाड़ की तकदीर, अब धोनी भी हैं मुरीद

IPL 2020: ऋतुराज गायकवाड़ के कोच की सलाह ने बदला करियर
चेन्नई सुपरकिंग्स के युवा ओपनर ऋतुराज गायकवाड़ (Ruturaj Gaikwad) ने लगातार तीन अर्धशतक ठोक एक नया रिकॉर्ड बनाया
- News18Hindi
- Last Updated: November 2, 2020, 4:55 PM IST
नई दिल्ली. चेन्नई सुपरकिंग्स के सलामी बल्लेबाज ऋतुराज गायकवाड़ (Ruturaj Gaikwad) ने अपने प्रदर्शन से सभी क्रिकेट एक्सपर्ट और फैंस का दिल जीत लिया. महाराष्ट्र के इस खिलाड़ी की तारीफ इंडियन प्रीमियर लीग की उनकी फ्रेंचाइजी के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने भी की. उन्होंने लगातार तीन पारियों में अर्धशतक लगाकर तीन मैन ऑफ द मैच हासिल किये. बता दें ऋतुराज गायकवाड़ की सफलता के पीछे 7 साल पहले मिली उस सलाह का बड़ा हाथ है जो उन्हें उनके कोच संदीप चव्हाण ने दी थी. ऋतुराज के कोच संदीप चव्हाण ने कहा कि उन्होंने सात साल पहले इस युवा खिलाड़ी को पारी का आगाज करने की सलाह दी थी.
कोच की सलाह ने बदली ऋतुराज की जिंदगी
ऋतुराज गायकवाड़ (Ruturaj Gaikwad) के कोच संदीप चव्हाण ने कहा, ' वह वेंगसरकर क्रिकेट अकादमी में हमारा प्रशिक्षु थे. मुझे लगता है तब वह 16 साल के थे और जूनियर स्तर पर महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते थे.' उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि मैंने रुतुराज से क्लब मैच में पारी का आगाज करने की सलाह दी और कहा कि इससे उन्हें भविष्य में फायदा होगा.'
चव्हाण ने कहा, ' वह 16 साल के थे और स्थानीय टूर्नामेंट (मांडके ट्रॉफी) के सीनियर स्तर के मैच में उन्होंने पारी का आगाज करते हुए 100 और 90 रन बनाकर मेरे फैसले को सही साबित किया.' उन्होंने कहा, 'राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए शुरुआत में सलामी बल्लेबाज के तौर पर उसे कुछ परेशानी हुई लेकिन वह इसमें ढल गया और अब विशेषज्ञ सलामी बल्लेबाज है.' चव्हाण ने कहा कि गायकवाड़ 2008-09 में 12 साल की उम्र में इस अकादमी में शामिल हुए और उन्हें तभी पता चल गया था कि उनमें एक विशेष प्रतिभा है.ऋतुराज गायकवाड़ की तकनीक में थी समस्या
कोच संदीप चव्हाण ने आगे कहा, 'शुरुआत में उसके साथ तकनीक की समस्या थी लेकिन उसने अंडर-14 की जगह अंडर-19 में खेलना शुरू किया और इससे उसका आत्मविश्वास काफी बढ़ा.' उनके बचपन के दिनों के एक अन्य कोच मोहन जाधव ने कहा कि गायकवाड़ ने आईपीएल में जैसी सफलता हासिल की वैसी ही सफलता उन्होंने सीनियर स्तर पर भी हासिल की थी. उन्होंने कहा, 'वह आमंत्रण टूर्नामेंट के शुरुआती दो मैचों में सफल नहीं रहे थे लेकिन उन्होंने तीसरे मैच में अच्छी पारी खेली जिससे उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा. उन्होंने फाइनल में 182 रन की पारी खेली जिसके बाद महाराष्ट्र की जूनियर टीम में उनका चयन हुआ.' उन्होंने कहा कि ऋतुराज की सबसे बड़ी विशेषता खुद में सुधार करने की ललक और अपने खेल को अच्छे तरह से समझना है.
कोच की सलाह ने बदली ऋतुराज की जिंदगी
ऋतुराज गायकवाड़ (Ruturaj Gaikwad) के कोच संदीप चव्हाण ने कहा, ' वह वेंगसरकर क्रिकेट अकादमी में हमारा प्रशिक्षु थे. मुझे लगता है तब वह 16 साल के थे और जूनियर स्तर पर महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते थे.' उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि मैंने रुतुराज से क्लब मैच में पारी का आगाज करने की सलाह दी और कहा कि इससे उन्हें भविष्य में फायदा होगा.'
चव्हाण ने कहा, ' वह 16 साल के थे और स्थानीय टूर्नामेंट (मांडके ट्रॉफी) के सीनियर स्तर के मैच में उन्होंने पारी का आगाज करते हुए 100 और 90 रन बनाकर मेरे फैसले को सही साबित किया.' उन्होंने कहा, 'राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए शुरुआत में सलामी बल्लेबाज के तौर पर उसे कुछ परेशानी हुई लेकिन वह इसमें ढल गया और अब विशेषज्ञ सलामी बल्लेबाज है.' चव्हाण ने कहा कि गायकवाड़ 2008-09 में 12 साल की उम्र में इस अकादमी में शामिल हुए और उन्हें तभी पता चल गया था कि उनमें एक विशेष प्रतिभा है.ऋतुराज गायकवाड़ की तकनीक में थी समस्या
कोच संदीप चव्हाण ने आगे कहा, 'शुरुआत में उसके साथ तकनीक की समस्या थी लेकिन उसने अंडर-14 की जगह अंडर-19 में खेलना शुरू किया और इससे उसका आत्मविश्वास काफी बढ़ा.' उनके बचपन के दिनों के एक अन्य कोच मोहन जाधव ने कहा कि गायकवाड़ ने आईपीएल में जैसी सफलता हासिल की वैसी ही सफलता उन्होंने सीनियर स्तर पर भी हासिल की थी. उन्होंने कहा, 'वह आमंत्रण टूर्नामेंट के शुरुआती दो मैचों में सफल नहीं रहे थे लेकिन उन्होंने तीसरे मैच में अच्छी पारी खेली जिससे उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा. उन्होंने फाइनल में 182 रन की पारी खेली जिसके बाद महाराष्ट्र की जूनियर टीम में उनका चयन हुआ.' उन्होंने कहा कि ऋतुराज की सबसे बड़ी विशेषता खुद में सुधार करने की ललक और अपने खेल को अच्छे तरह से समझना है.