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साउथ अफ्रीका के दिग्गज बल्लेबाज जोंटी रोड्स का बड़ा खुलासा, नेशनल टीम में मिला गोरे होने का फायदा

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जोंटी रोड्स (Jonty Rhodes) ने कहा कि जब उन्हें नेशनल टीम में चुना गया तो उनके आंकड़े बतौर खिलाड़ी औसत ही थे.

जोंटी रोड्स का बड़ा खुलासा, नेशनल टीम में मिला गोरे होने का फायदाजोंटी रोड्स ने कहा कि साउथ अफ्रीका क्रिकेट को अपनी रग्‍बी टीम से सीखने की जरूरत है
नई दिल्ली. साउथ अफ्रीका के पूर्व बल्लेबाज जोंटी रोड्स ( Jonty Rhodes) ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि उन्हें टीम में गोरे होने का फायदा मिला. उन्होंने कहा कि औसत नंबर्स के बावजूद भी उन्हें सीनियर नेशनल टीम में खेलने  का मौका मिला. इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू से एक बातचीत में साउथ अफ्रीका के दिग्गज बल्लेबाज ने टीम में गोरे खिलाड़ियों को मिलने वाली तवज्जो पर खुलकर बात की, जो साउथ अफ्रीकन क्रिकेट में मौजूद है. पिछले कई सालों से साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम (South Africa Cricket Team) में नस्‍लीय बनावट चर्चा का एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. जोंटी ने कहा कि जब इन पिछड़े समुदायों के  युवाओं को अवसर देने की बात आती है. उस समय क्रिकेट को साउथ अफ्रीकन रग्बी टीम से काफी कुछ सीखने की  जरूरत है. जोंटी रोड्स (Jonty Rhodes) ने खुलासा किया  है कि जब सीनियर टीम से उनका बुलावा आया तो वह सिर्फ गोरे क्रिकेटर्स के साथ ही प्रतिस्पर्धा  कर रहे थे.

जोंटी रोड्स शानदार फील्डिंग के लिए भी जाने जाते हैं


उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से गोरे होने का उन्हें फायदा मिला, क्योंकि वह आधी आबादी के साथ तो प्रतिस्पर्धा ही नहीं कर रहे थे. उनका  मुकाबला तो सिर्फ 50 फीसदी के साथ ही था. वह सिर्फ गोरे खिलाड़ियों के साथ मुकाबला कर रहे थे. जोंटी ने कहा जब उन्हें टीम में चुना गया ताे बतौर खिलाड़ी उनके आंकड़े औसत थे. उन्होंने कहा कि अगर वे देश के बचे हुए हिस्से के साथ भी मुकाबला करते तो यह संभव था कि उन्हें टीम में नहीं चुना जाता और वह मैदान के आस पास दिखाई भी नहीं देते.

जोंटी रोड्स ने कहा कि वह सिर्फ गोरे खिलाड़ियों से मुकाबला कर रहे थे. (फाइल फोटो)


20 वर्षों में पिछड़े युवाओं को क्यों नहीं मिला मौका
पिछले तीन दशक से भी अधिक समय में नाटकीय रूप से साउथ अफ्रीका (South Africa) की पूरी सफेद टीम बदल गई है. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए परिवर्तन  कोटा को लाया गया. जिसमें साउथ अफ्रीकी की अंतिम एकादश में कम से कम दो काले खिलाड़ी और चार अन्य रंग के खिलाड़ियों को टीम में शामिल करना अनिवार्य किया गया. जोंटी रोड्स  (Jonty Rhodes) भी इस कोटे के पूरे समर्थन में हैं. उन्होंने कहा कि उनका सबसे बड़ा सवाल यह ‌ है कि पिछले 20 वर्षों में हमने उन समुदायों के युवा खिलाड़ियों को अवसर क्यों नहीं दिया. यह नस्लवाद के बारे में नहीं है. यह सभी को समान अवसर देने के बारे में हैं, मगर ऐसा नहीं  हो पा रहा. उन्होंने कहा कि रग्बी ने इन समुदायों में अपना ढांचा और काम अच्छे तरह से बढ़ाया. क्रिकेट को अभी काफी कुछ सीखने की जरूरत है.



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जोंटी रोड्स का बड़ा खुलासा, नेशनल टीम में मिला गोरे होने का फायदा
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