क्या पृथ्वी शॉ की वजह से खेल मंत्रालय के आगे BCCI ने घुटने टेके!

पृथ्वी शॉ को प्रतिबंधित दवा लिए जाने का दोषी पाया गया था.
बीसीसीआई (BCCI)कानूनी समिति के एक पूर्व सदस्य का मानना है कि सीओए (CoA) को खेल मंत्रालय (Sports Ministry)की दबाव की रणनीति के आगे नहीं झुकना चाहिए था.
- भाषा
- Last Updated: August 9, 2019, 6:36 PM IST
बीसीसीआई (BCCI) के वरिष्ठ सदस्यों ने बोर्ड के खेल मंत्रालय की बात मानने पर विरोध जताया है. उनका कहना है कि पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) के डोपिंग में नाकाम रहने पर उनके मामले में ढीला रवैया अपनाने और प्रशासकों की समिति (CoA) के नीतिगत फैसलों में अपनी सीमाओं को लांघने के कारण भारतीय क्रिकेट बोर्ड को राष्ट्रीय डोपिंगरोधी एजेंसी (NADA) के अंतर्गत आने के लिये मजबूर होना पड़ा. सामने आया है कि पृथ्वी शॉ के डोपिंग मामले से सही से नहीं निपटने की वजह से बीसीसीआई का पलड़ा कमजोर हो गया. इसके बाद खेल मंत्रालय (Sports Ministry) ने उस पर शिकंजा कस दिया. इसने बीसीसीआई को झुकने पर मजबूर कर दिया.
शॉ के मामले ने बिगाड़ा खेल
कार्यकारी समिति के एक पूर्व सदस्य का मानना है कि जिस तरह से शॉ के मामले से निपटा गया वह खेल मंत्रालय और नाडा के हाथों में खेलने जैसा था. शॉ को टरबुटैलाइन के सेवन का दोषी पाये जाने के बाद आठ महीने के लिये प्रतिबंधित किया गया. लेकिन उन पर प्रतिबंध फरवरी के महीने से लगाया गया.
डोपिंग में फंसे शॉ को आईपीएल खेलने दिया
उन्होंने कहा, ‘नाडा को बाहर रखने के लिये आपको अपनी प्रणाली मजबूत करने की जरूरत थी. इसके बजाय हमने क्या देखा. हमने देखा कि डोप परीक्षण में नाकाम होने के बावजूद शॉ को आईपीएल में खेलने की अनुमति दी गयी और सब कुछ लिखित में हो जाने के बाद उसने एनसीए की सुविधाओं का उपयोग किया.’
खेल मंत्रालय ने रोका टीमों का वीजा
बीसीसीआई कानूनी समिति के एक पूर्व सदस्य का मानना है कि सीओए को खेल मंत्रालय की दबाव की रणनीति के आगे नहीं झुकना चाहिए था. मंत्रालय ने दक्षिण अफ्रीका ए और महिला टीमों के आगामी भारत दौरे के लिये वीजा संबंधी पत्र रोक दिया था.

जौहरी ने समझौते पर किए साइन
बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी समझौते पर हस्ताक्षर करने पर सहमत हो गए. इससे देश की सबसे धनी खेल संस्था नाडा के अंतर्गत आ गई और वह राष्ट्रीय खेल महासंघ भी बन गया. बीसीसीआई के वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि यह सरकार के दबाव में किए गए इस फैसले से बोर्ड वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने के बावजूद अपनी स्वायत्तता खो सकता है.
'जौहरी और सीओए को नीतिगत फैसले करने का अधिकार नहीं'
बोर्ड के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा, ‘सीईओ (राहुल जौहरी) या सीओए को को इस तरह के नीतिगत फैसले करने का अधिकार नहीं है. यह बीसीसीआई की संचालन संस्था का अधिकार है. वे किसी भी तरह का पत्र लिख सकते हैं क्योंकि वे प्रशासन चला रहे हैं और गलत फैसले को लागू कर सकते हैं लेकिन इससे यह सही फैसला नहीं बन सकता.’
उन्होंने सीईओ पर सरकार के आगे झुकने का आरोप लगाया. अधिकारी ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीईओ ने अपनी विफलताओं को छिपाने के लिये सरकार को हावी होने का मौका दिया.’
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शॉ के मामले ने बिगाड़ा खेल
कार्यकारी समिति के एक पूर्व सदस्य का मानना है कि जिस तरह से शॉ के मामले से निपटा गया वह खेल मंत्रालय और नाडा के हाथों में खेलने जैसा था. शॉ को टरबुटैलाइन के सेवन का दोषी पाये जाने के बाद आठ महीने के लिये प्रतिबंधित किया गया. लेकिन उन पर प्रतिबंध फरवरी के महीने से लगाया गया.

बीसीसीआई अब नाडा के दायरे में है.
उन्होंने कहा, ‘नाडा को बाहर रखने के लिये आपको अपनी प्रणाली मजबूत करने की जरूरत थी. इसके बजाय हमने क्या देखा. हमने देखा कि डोप परीक्षण में नाकाम होने के बावजूद शॉ को आईपीएल में खेलने की अनुमति दी गयी और सब कुछ लिखित में हो जाने के बाद उसने एनसीए की सुविधाओं का उपयोग किया.’
खेल मंत्रालय ने रोका टीमों का वीजा
बीसीसीआई कानूनी समिति के एक पूर्व सदस्य का मानना है कि सीओए को खेल मंत्रालय की दबाव की रणनीति के आगे नहीं झुकना चाहिए था. मंत्रालय ने दक्षिण अफ्रीका ए और महिला टीमों के आगामी भारत दौरे के लिये वीजा संबंधी पत्र रोक दिया था.

BCCI के सीईओ राहुल जौहरी.
जौहरी ने समझौते पर किए साइन
बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी समझौते पर हस्ताक्षर करने पर सहमत हो गए. इससे देश की सबसे धनी खेल संस्था नाडा के अंतर्गत आ गई और वह राष्ट्रीय खेल महासंघ भी बन गया. बीसीसीआई के वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि यह सरकार के दबाव में किए गए इस फैसले से बोर्ड वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने के बावजूद अपनी स्वायत्तता खो सकता है.
'जौहरी और सीओए को नीतिगत फैसले करने का अधिकार नहीं'
बोर्ड के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा, ‘सीईओ (राहुल जौहरी) या सीओए को को इस तरह के नीतिगत फैसले करने का अधिकार नहीं है. यह बीसीसीआई की संचालन संस्था का अधिकार है. वे किसी भी तरह का पत्र लिख सकते हैं क्योंकि वे प्रशासन चला रहे हैं और गलत फैसले को लागू कर सकते हैं लेकिन इससे यह सही फैसला नहीं बन सकता.’
उन्होंने सीईओ पर सरकार के आगे झुकने का आरोप लगाया. अधिकारी ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीईओ ने अपनी विफलताओं को छिपाने के लिये सरकार को हावी होने का मौका दिया.’
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