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10 सालों तक खुद को साबित नहीं कर पाया, फिर हुआ 'पुनर्जन्म', ठोके 39 शतक

कैसे बदला दिलशान का करियर?

कैसे बदला दिलशान का करियर?

श्रीलंका के पूर्व ओपनर तिलकरत्ने दिलशान (Tillakaratne Dilshan) एक ऑलराउंडर के तौर पर श्रीलंकाई टीम में आए थे लेकिन 10 स ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. 18 नवंबर 1999...ये वो तारीख है जब श्रीलंका की टीम में एक ऐसे खिलाड़ी ने कदम रखा था जो बल्लेबाजी, गेंदबाजी, फील्डिंग और विकेटकीपिंग सबकुछ कर लेता था. खिलाड़ी का नाम था तिलकरत्ने दिलशान (Tillakaratne Dilshan) जो कि ऐसे खिलाड़ी थे जो कि टीम का संतुलन बनाते थे. अपनी इसी खासियत के दम पर दिलशान ने 16 सालों तक क्रिकेट खेला. दिलशान ने श्रीलंका के लिए 87 टेस्ट मैचों में 16 शतकों की मदद से 5492 रन बनाए. वनडे में दिलशान ने 10290 रन ठोके, जिसमें 22 शतक शामिल हैं. वहीं टी20 में दिलशान ने एक शतक और 13 अर्धशतकों की मदद से 1889 रन बनाए. दिलशान की दिलचस्प बात ये है कि 16 सालों तक क्रिकेट खेलने वाला ये खिलाड़ी शुरुआती 10 सालों तक अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पाया था. साल 2008 में दिलशान को टीम से निकाला गया और फिर जन्म हुआ एक ऐसे खिलाड़ी का जो श्रीलंकाई क्रिकेट में कुमार संगाकारा, सनथ जयसूर्या, महेला जयवर्धने की बराबरी तक पहुंच गया. आइए जानते हैं कि कैसे बदला तिलकरत्ने दिलशान का करियर.

    तिलकरत्ने दिलशान का करियर
    तिलकरत्ने दिलशान (Tillakaratne Dilshan) ने बतौर मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज श्रीलंकाई टीम में कदम रखा. वो ऑफ स्पिन भी करते थे और रनों को रोकना उन्हें बखूबी आता था. हालांकि दिलशान गेंदबाज से ज्यादा बल्लेबाज थे. साल 1999 में डेब्यू करने वाले दिलशान ने 2005 तक वनडे क्रिकेट में एक भी शतक नहीं लगाया. दिलशान ने वनडे करियर का पहला शतक नीदरलैंड्स के खिलाफ ठोका, जिसमें उन्होंने नाबाद 117 रन बनाए. इसके बाद अगले दो सालों तक वो फिर एक भी शतक नहीं लगा सके. इन दो सालों में दिलशान ने 48 मैचों में सिर्फ 7 अर्धशतक लगाए. दिलशान का ये प्रदर्शन उन्हें श्रीलंकाई टीम से बाहर कराने के लिए काफी था. साल 2008 में भारत के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज में फ्लॉप रहने के बाद दिलशान को टीम से हटा दिया गया.

    2009 में दिलशान का नया जन्म!
    पांच महीने तक श्रीलंकाई टीम से बाहर रहने के बाद दिलशान (Tillakaratne Dilshan) को एक बार फिर टीम में जगह मिली. पाकिस्तान दौरे के लिए दिलशान को टीम में मौका मिला लेकिन इस बार उनका रोल बिलकुल अलग था. श्रीलंका के कोच ट्रेवर बेलिस और कप्तान महेला जयवर्धने ने दिलशान को बतौर ओपनर मैदान में उतारने की रणनीति बनाई. दिलशान इसी मौके का इंतजार कर रहे थे और इसी फैसले ने उनका करियर 360 डिग्री तक बदल दिया. बतौर ओपनर अपने पहले ही मैच में कराची के मैदान पर दिलशान ने महज 33 गेंदों में 42 रन ठोक दिये. श्रीलंका का ये फॉर्मूला काम करता दिखा. दिलशान यहीं नहीं रुके और दूसरे वनडे में उन्होंने 76 और फिर लाहौर में नाबाद 137 रनों की पारी खेल डाली. साल 2009 में ही दिलशान ने भारत के खिलाफ 2 और साउथ अफ्रीका के खिलाफ भी एक शतक ठोका. ओपनिंग पर उतरते ही दिलशान की बल्लेबाजी पूरी तरह बदल गई. साल 2009 में खेले 19 मैचों में दिलशान ने 55.55 की औसत से 1000 रन ठोक डाले.

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    फिर नहीं थमे दिलशान
    साल 2010 में दिलशान (Tillakaratne Dilshan) ने 20 मैचों में 51.16 की औसत से 921 रन बनाए, जिसमें उनके बल्ले से 3 शतक निकले. इसके बाद साल 2011 में दिलशान ने 2 शतकों की मदद से 820 रन बनाए. आपको याद दिला दें साल 2011 में जो वर्ल्ड कप टीम इंडिया ने जीता था दिलशान उस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे. दिलशान ने 2011 वर्ल्ड कप में 9 मैचों में 500 रन बनाए, जिसमें दो शतक और दो अर्धशतक शामिल रहे.

    2012 और 2013 में दिलशान (Tillakaratne Dilshan) ने 1100 से ज्यादा रन ठोके और इन दो सालों में दिलशान के बल्ले से 7 शतक निकले. इसके बाद साल 2015 वर्ल्ड कप में भी दिलशान का बल्ला बोला. इस साल उन्होंने 4 शतक और 6 अर्धशतकों की मदद से 1207 रन ठोक डाले. कहां दिलशान ने अपने करियर के 8 सालों में सिर्फ एक वनडे शतक लगाया था और उसके बाद उन्होंने ओपनर बनते ही 21 शतक ठओक दिए. टेस्ट क्रिकेट में भी दिलशान ने यही करिश्मा किया. इस बल्लेबाज ने 2009 में ही टेस्ट में ओपनिंग शुरू की और उस साल दिलशान ने 11 मैचों में 6 शतक लगा डाले. ये उनके टेस्ट करियर का सबसे अच्छा साल रहा. दिलशान ने श्रीलंका की ओर से टी20 इंटरनेशनल में भी शतक ठोका है. वो श्रीलंका के इकलौते ऐसे बल्लेबाज हैं जिसने तीनों फॉर्मेट में शतक ठोकने का कारनामा किया है. साफ है ओपनर बनते ही दिलशान का करियर बदल गया. यही उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रहा.

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    Tags: India Vs Sri lanka, Sports news, Tillakaratne Dilshan

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