सचिन तेंदुलकर के टैक्स छूट के दावे को ट्रिब्यूनल ने सही माना था. (Sachin Tendulkar instagram)
नई दिल्ली. इनकम टैक्स…नौकरीपेशा मिडिल क्लास को सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाला शब्द. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को इस मामले में थोड़ी राहत दी. माना जाता है कि टैक्स (Income Tax) बचाने के लिए मिडिल क्लास तरह-तरह की जुगत भिड़ाता है. हालांकि, जुगाड़ का यह खेल सिर्फ मिडिल क्लास तक सीमित नहीं है. हर कोई अपनी कमाई जेब में ही रखना चाहता है, फिर चाहे मिडिल क्लास हो या अपर क्लास. यकीन न हो तो सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को ही देख लीजिए.
बात 2011 की है. सचिन ने कई मल्टीनेशनल कंपनियों से 5.92 करोड़ रुपये की कमाई की. टैक्स बचाने के लिए उन्होंने आईटी एक्ट के सेक्शन 80RR के तहत 1.77 करोड़ रुपये की छूट का दावा पेश किया. दरअसल, इस नियम के मुताबिक, अगर कोई एक्टर अपने काम के जरिए विदेशों से कमाई करता है तो उस रकम के एक हिस्से पर टैक्स छूट ले सकता है.
सचिन ने अपने दावे में कहा कि उन्होंने ये कमाई विज्ञापन और स्पॉन्सरशिप के जरिए की है न कि क्रिकेट खेलने से. मास्टर ब्लास्टर ने बताया कि आमदनी के लिए उनका मेन प्रोफेशन क्रिकेट खेलना नहीं बल्कि एक्टिंग करना है.
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ट्रिब्यूनल ने भी सचिन को मान लिया एक्टर
सचिन के तर्क सुनने के बाद टैक्स ट्रिब्यूनल ने उनके एक्टर होने के दावे को स्वीकार किया और उन्हें टैक्स में छूट दे दी. ट्रिब्यूनल ने इस बात को माना कि विज्ञापन करते वक्त सचिन को लाइट और कैमरे का सामना करना पड़ता है जो कि एक्टर का ही काम है. ऐसा नहीं है कि सचिन टैक्स बचाने में ही लगे रहे हों. वह 2010 में सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले खिलाड़ी थे. बता दें कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में नए टैक्स स्लैब की घोषणा की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोगों को राहत देते हुए टैक्स छूट की सीमा को बढ़ा दिया है.
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