टीम इंडिया के लिए फिटनेस बड़ी समस्या बनी हुई है. (AFP)
नई दिल्ली. बीसीसीआई (BCCI) ने 1 जनवरी को हुई अपनी रिव्यू मीटिंग में कई बड़े फैसले लिए. इस साल के आखिर में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप के लिए 20 खिलाड़ियों को शॉर्ट लिस्ट करने के साथ ही प्लेयर्स को इंजरी से बचाने और उनकी फिटनेस बेहतर करने के लिए यो-यो टेस्ट (yo-yo test) के साथ ही डेक्सा स्कैन (Dexa Scan) को अनिवार्य कर दिया गया है. खिलाड़ी अगर इन टेस्ट में फेल हुए तो उन्हें टीम में जगह नहीं मिलेगी.
यो-यो टेस्ट टीम इंडिया के लिए नया नहीं है. 2019 वर्ल्ड कप से पहले कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री के वक्त में इसकी शुरुआत हुई. अंबाती रायडू, सुरेश रैना, पृथ्वी शॉ, वरुण चक्रवर्ती, संजू सैमसन और मोहम्मद शमी जैसे खिलाड़ी अलग-अलग समय पर यो-यो टेस्ट में फेल हो गए थे. इस टेस्ट ने खिलाड़ियों की परफॉर्मेस पर असर डाला, खासतौर से फुर्ती और गति के मामले में. हालांकि, कोविड के समय यह टेस्ट बंद हो गया. इस दौरान खिलाड़ियों की फिटनेस जांचने के लिए 2 किमी दौड़ (7.30 मिनट से कम वक्त में) को विकल्प बनाया गया. जब यो-यो टेस्ट बंद हुआ था, तब इसमें 17 का स्कोर क्लियर करना पड़ता था. टीम इंडिया के प्लेयर्स की इंजरी को देखते हुए बीसीसीआई को फिर से इस टेस्ट की जरूरत महसूस हुई है.
अब सिर्फ यो-यो टेस्ट से नहीं चलेगा काम
भारतीय टीम के पूर्व कंडीशनिंग कोच रामजी श्रीनिवासन कहते हैं कि अगर प्रोफेशनल तरीके से देखें, तो यो-यो टेस्ट में बैटर के लिए 18 और तेज गेंदबाजों के लिए 19 का स्कोर जरूरी है. लेकिन, अब सिर्फ यो-यो पर निर्भर रहने से काम नहीं चलेगा. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रामजी ने कहा, मैंने 2011 में बीसीसीआई और एनसीए से डेक्सा स्कैन कराने की सिफारिश की थी. इस टेस्ट से शरीर में वसा का स्तर, कमजोर मांसपेशियां, पानी की मात्रा और हड्डियों के घनत्व को समझने में मदद मिलती है. कुछ टीमें 10 साल से इस टेस्ट को कर रही हैं. टीम इंडिया के लिए भी इसे बहुत पहले अनिवार्य हो जाना चाहिए था.
क्रिकेटर्स में 10 प्रतिशत से कम होना चाहिए वसा
रामजी के मुताबिक, शरीर में वसा की मात्रा 10 प्रतिशत से कम होनी चाहिए. फुटबॉलर 5-8 फीसदी के बीच होते हैं लेकिन, क्रिकेटर्स इसे 10 तक बढ़ा सकते हैं. शरीर में कम वसा और मजबूत मांसपेशियां होने से ताकत और गति तो बढ़ती है साथ ही, पीठ और घुटने की चोटों को भी रोका जा सकता है.
ऐसे होता है डेक्सा स्कैन
डेक्सा एक प्रकार का बोन डेंसिटी टेस्ट (BDT) है. इस प्रोसेस में एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. डेक्सा सेफ, दर्द रहित और जल्दी से होने वाला टेस्ट है. इसका मकसद हड्डियों की मजबूती को मापना है. इस टेस्ट में 2 प्रकार की बीम बनती है जिसमें एक बीम की ऊर्जा काफी हाई होती है, वहीं, दूसरी बीम की ऊर्जा लो होती है. दोनों बीम हड्डियों के अंदर से गुजरकर एक्स-रे करती हैं, जिससे पता चल जाता है कि हड्डियों की मोटाई कितनी है. डेक्सा मशीन के जरिए इस पूरे प्रोसेस को किया जाता है. यह पूरा स्कैन हड्डी में किसी प्रकार के फ्रैक्चर की संभावनाओं को भी बता देता है. यही नहीं, इस टेस्ट के जरिए बॉडी का फैट प्रतिशत, भार और टिशू के बारे में भी जानकारी मिल जाती है. लगभग 10 मिनट का यह टेस्ट बता देगा कि कोई खिलाड़ी शारीरिक रूप से कितना फिट है.
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