मुझे लगता है कि आप भारत में इतना समय बिताने के बाद थोड़ी बहुत हिंदी समझते हैं?
नहीं. मेरी हिंदी बहुत अच्छी नहीं है और ये मुझे टीम मीटिंग की याद दिलाती है जो हम तब किया करते थे जब लड़के हिंदी में बात करने लगते थे तो मैं थोड़ा खो जाता था. इसका कारण यह है कि मैं वास्तव में इस भाषा को सीखने के लिए उतना लगा नहीं. मुझे नहीं लगता था कि मैं कोच के रूप में लंबे समय तक टिकने वाला था. शायद मैंने सोचा कि यह एक बुरा इन्वेस्टमेंट होगा. लेकिन मैंने थोड़ा-थोड़ा सीखा हर किसी से. मैंने सोचा कि हमारी टीम की बैठकों में यह बहुत महत्वपूर्ण है.
भारत में पहली बार किसी विदेशी कोच का होना काफी आकर्षक था. टीम में तब सुपरस्टार्स और यूथ का मिश्रण था. इनमें तेंदुलकर, गांगुली, द्रविड़ और फिर युवराज, कैफ और नेहरा जैसे खिलाड़ी थे. इनसे निपटना कितना चुनौतीपूर्ण था?
मैं बहुत भाग्यशाली था. मेरे पास वरिष्ठ खिलाड़ियों का एक बड़ा समूह था जो नेतृत्व करते थे, उनमें सभी ईमानदार खिलाड़ी थे और इन सबके बीच में लक्ष्मण एक महत्वपूर्ण कड़ी थे और आज उन्हें इंडिया की कोचिंग करता देखकर अच्छा लगता है. मेरे कोचिंग काल में हमारे पास ये युवा प्रतिभाशाली हरभजन थे, कैफ थे, सहवाग थे, जहीर थे और आशीष थे इन सबके बारे में आप जानते हैं, ये सभी कितने प्रतिभाशाली थे, कप्तान सौरव के साथ हमने एक ग्रुप बनाने की कोशिश की. वास्तव में सिर्फ एक परिवार बनने की कोशिश की, जो मुझे बहुत महत्वपूर्ण लगा.
क्या आप खिलाड़ियों को एकजुट रखने में कोई अलग कोशिश करते थे? आपका संदेश का तरीका क्या होता था?
सभी को यही संदेश भी दिया गया कि हम एक टीम हैं और टीम हम में से किसी से भी अधिक महत्वपूर्ण है. यह एक सरल संदेश था. वास्तव में खेल खिलाड़ियों द्वारा ही खेला जाता है और मैं भाग्यशाली था कि मैं इतनी अच्छी टीम का कोच था.
क्या हम यह कह सकते हैं कि जॉन राइट की कोचिंग का मॉडल शायद भारतीय क्रिकेट के लिए एक तरह से आदर्श था जिसमें हमने देखा कि कप्तान सौरव और खिलाड़ियों की आपस में बहस भी होती थी और आपने अपनी किताब में भी इसका जिक्र भी किया है. आपने वीरेंद्र सहवाग को भी एक बार डांट लगाई थी और उन्होंने कई वर्षों तक आपसे बात नहीं की थी.
मैं आपकी एक बात सुधारना चाहूंगा और वह यह कि सहवाग और मैं हमेशा अच्छे दोस्त रहे हैं. आपके सामने हमेशा ऐसा समय आएगा जब आप एकदूसरे को चुनौती देंगे. कैफ ने भी मुझे कई मौकों पर चुनौती दी क्योंकि उनके पास ऐसा करने का हर तरह का अधिकार था. मुझे लगता है कि एक कोच के रूप में आप सिर्फ टीम की सेवा कर रहे हैं.
कोच के रूप में आपमें युवा प्रतिभाओं को चुनने की बेहतरीन कला रही है. आईपीएल में भी आपने जिस तरह से खिलाड़ियों को चुना… क्योंकि पार्थिव पटेल ने एक बार मुझसे कहा था कि आप अहमदाबाद आए और अचानक आपने बुमराह के बारे में पूछताछ की और उन्हें कुछ अन्य फ्रेंचाइजी में जाना था और आपने पार्थिव से कहा कि वह उन्हें मुंबई के लिए खेलने के लिए मनाएं और बाद में आपने हार्दिक पांड्या को भी मुंबई की टीम में शामिल कर लिया.
मैं फ्रेंचाइजी के साथ काम करने के लिए बहुत भाग्यशाली था. मुझे याद है कि मैं राहुल संघवी से मिला और राहुल ने प्रबंधन से बात की और उन्होंने बहुत जल्दी निर्णय लिया. जब आप खिलाड़ियों को देखते हैं और आप विशेष चीजों की तलाश करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपकी किस्मत आपका साथ दे तो आप कई बार सही होते हैं. मैंने वास्तव में भारतीय क्रिकेट के साथ शामिल होने के अवसर का आनंद लिया है. मैं उस क्रिकेट से प्यार करता हूं जो भारत खेलता है. भारतीय खिलाड़ियों में खेल के लिए प्यार है और यह उनके खेलने के तरीके और निपुणता से दिखता है जिसमें वे ये खेल खेलते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 31, 2023, 16:50 IST