24 सितंबर 2007. रात के करीब साढ़े 11 हो रहे हैं… जोगिंदर शर्मा बॉल लेकर दौड़ रहे हैं. पिछली बॉल पर ही मिस्बाह-उल-हक छक्का मार चुके हैं. स्कोर कार्ड पर 4 बॉल पर 6 रन बनाने की दरकार दिख रही है. ओवर-दी विकेट बॉलिंग कर रहे जोगिंदर स्टंप के पास आते हैं… फॉलो थ्रू कंप्लीट और बॉल मिस्बाह के पास… मिस्बाह पहले से पीछे की तरफ शॉट खेलने का मन बना चुके होते हैं. वह ऑफ स्टंप की तरफ मूव करके बॉल को पीछे मारते हैं. बॉल हवा में जाती है और उसके नीचे होते हैं श्रीसंत…
इधर, बॉल श्रीसंत के हाथों में, उधर करोड़ों भारतीयों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ‘फ्रैक्शन ऑफ सेकंड’ तक वह जैसे सब कुछ भूल चुके हों. किस्सों-कहानियों में 1983 वर्ल्ड कप की जीत का जिक्र सुनने वाले भारतीय खुशी से झूम उठते हैं. सिनेमाघरों, चौराहों, गली के नुक्कड़ों. छतों, घर के कमरों, घाटों पर जश्न मनना शुरू हो जाता है. ऐसा जश्न जिसे एक बड़ी आबादी ने इससे पहले कभी नहीं देखा था. सामूहिक जश्न. जैसे हर क्रिकेटप्रेमी की व्यक्तिगत उपलब्धि का जश्न हो.
ये जश्न चैंपियन होने का जश्न था. T20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के चैंपियन होने का… 15 साल बीत जाने के बाद भी उसकी खुशियां हर भारतीय के चेहरे पर साफतौर पर दिख जाती हैं…
क्रिकेट के तकरीबन डेढ़ सौ साल के इतिहास में यह अकेला साल है, जब मेन्स क्रिकेट में दो वर्ल्ड कप हुए. 28 अप्रैल 2007 को ODI का फाइनल हुआ और उसके 149 दिन बात टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल. ODI में बुरी तरह से बाहर हो चुकी टीम, T20 वर्ल्ड कप की चैंपियन बनती है. वह भी तब, जब उस टीम में तत्कालीन भारतीय क्रिकेट के पर्याय सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड, अनिल कुंबले और जहीर खान नहीं होते हैं…
… तो T20 वर्ल्ड कप के किस्सों की शुरुआत पहले वर्ल्ड कप से ही करते हैं….
जब हम पहले T20 वर्ल्ड कप की बात करते हैं तो इसके आगाज से अंजाम तक, हर पल की अनगिनत कहानियां हैं. पहली बार किसी एक वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान दो बार भिड़े. भारत ने पहली बार उसे बॉल आउट किया. जी वही, जिसमें उथप्पा, सहवाग और भज्जी हमारे शार्प शूटर साबित हुए. और क्या कभी कोई भूल सकता है युवराज सिंह के वो 6 छक्के, जिसने हर भारतीय की छाती चौड़ी कर दी थी. कैप्टन कूल एमएस धोनी भी हमें इसी वर्ल्ड कप में मिले, जिन्होंने सिखाया कि दुश्मन की जेब से बाजी कैसे छीनी जाती है. इरफान, आरपी, श्रीसंथ, गंभीर सबके अपने किस्से हैं…
तो शुरुआत करते हैं 11 सितंबर 2007 से. यही वो दिन था, जब इस महाकुंभ का पहला मुकाबला खेला गया. 13 दिन चले इस विश्व कप में भारतीय टीम के पहले ही मैच में पानी फिर गया. स्कॉटलैंड से मैच बारिश से धुल गया और दोनों टीमों के बीच अंक बांट दिए गए. भारत और स्कॉटलैंड के ही ग्रुप में पाकिस्तान भी था. उसने एक दिन पहले ही स्कॉटलैंड को हराया था. इस कारण भारत से उसका मुकाबला और दिलचस्प हो गया. एमएस धोनी की टीम के लिए मैच एक तरह से डू ऑर डाय हो गया. हारने पर अगले राउंड का दरवाजा बंद हो सकता था. यानी, अब भारत अगले राउंड में तभी जा सकता था, जब वह पाकिस्तान से हारे नहीं. लेकिन पाकिस्तान अगर भारत के सामने हो तो ऐसा कब होता है कि मुकाबला आसान हो जाए. करोड़ों खेलप्रेमियों की निगाहें अब भारत-पाक मुकाबले पर थीं. खेलप्रेमी अपनी-अपनी टीमों की जीत के लिए दुआएं कर रहे थे, पर ऊपरवाले ने तो कुछ और ही सोच रखा था. बाजी कुछ ऐसी रही कि जब मैच की आखिरी गेंद फेंकी गई तो दोनों टीमों का स्कोर बराबर हो गया. ना कोई जीता और ना कोई हारा. कॉमेंटेटर ने जोर से कहा-इट्स टाई.
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Tags: India Vs Pakistan, Ms dhoni, T20 World Cup, T20 World Cup 2007, Team india
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