नई दिल्ली. अर्जुन तेंदुलकर ने जब से रणजी ट्रॉफी में शतक जड़ा है, तब से एक शख्स की बड़े जोर-शोर से चर्चा हो रही है. और वो शख्स है योगराज सिंह. योगराज की पहली पहचान तो टेस्ट क्रिकेटर की है. लेकिन बहुत सारे युवा क्रिकेटप्रेमी उन्हें युवराज सिंह के पिता के तौर पर ज्यादा जानते हैं. रौबदार पर्सनालिटी के मालिक इस शख्स को अर्जुन तेंदुलकर की तकदीर बदलने का श्रेय भी दिया जा रहा है.
दरअसल, कुछ दिनों पहले आपने अर्जुन तेंदुलकर को योगराज की निगरानी में प्रैक्टिस करते देखा होगा. हमने सोशल मीडिया पर इस तरह के कई वीडियो देखे, जिसमें योगराज अर्जुन को टिप्स देते देखे जा सकते हैं. सख्त मिजाज योगराज के बारे में अगर जानना है तो युवराज सिंह के पुराने वीडियो देख लेने चाहिए. युवी बताते हैं कि जब वे छोटे थे और स्केटिंग में मेडल जीतकर गर्व से घर लौट रहे थे, तो पिता योगराज ने उनके इस मेडल को कार से बाहर फेंक दिया था. योगराज ने युवी को सख्त हिदायत दे दी थी कि उन्हें सिर्फ क्रिकेट खेलना है. युवी के शब्दों में कहें तो उम्र के एक पड़ाव पर वे यह तय नहीं कर पा रहे थे कि पिता से प्रेम ज्यादा करते हैं या नफरत. कहानी लंबी है. पर लब्बोलुआब यह है कि अगर युवराज की गिनती आज भारत के दिग्गज क्रिकेटरों में होती है तो इसके पीछे योगराज की भी बड़ी मेहनत शामिल है.
अगर आप सोच रहे हैं कि बात अर्जुन तेंदुलकर से शुरू होकर युवराज सिंह पर कैसे आ गई है, तो इसकी भी वजह है. दरअसल, डेब्यू रणजी मैच में शतक मारने वाले अर्जुन तेंदुलकर कुछ दिन पहले ही योगराज के पास पहुंचे थे. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब युवराज सिंह ने अपने पिता योगराज को कहा था कि सचिन तेंदुलकर चाहते हैं कि अर्जुन उनसे कोचिंग लें तो योगराज का जवाब साफ था. उनका जवाब था कि वे खुशी-खुशी ऐसा करेंगे लेकिन अपनी शर्तों पर. और तमाम शर्तों में पहली शर्त यह थी कि उन्हें अपना बैकग्राउंड भूलकर सिर्फ क्रिकेट पर फोकस करना होगा. यह भूलना होगा कि वे किसके बेटे हैं.
लेकिन कहानी बस अनुशासन की नहीं है. दरअसल, बतौर क्रिकेटर अर्जुन तेंदुलकर की पहली पहचान बाएं हाथ के तेज गेंदबाज की है, जो थोड़ी बहुत बैटिंग भी जानता है. लेकिन पारखी नजर रखने वाले योगराज ने अर्जुन के भीतर कुछ और ही ढूंढ़ लिया. उन्होंने पाया कि अर्जुन की पेस बहुत ज्यादा नहीं है. जबकि वे बैटिंग को जितनी गंभीरता से लेते हैं, उससे ज्यादा काबिलियत रखते हैं. इस तरह योगराज ने कुछ चीजों को पलट दिया. उन्होंने अर्जुन को बैटिंग पर ज्यादा फोकस करने को कहा.
लेकिन जब योगराज ने अर्जुन को बैटिंग पर फोकस करने को कहा होगा, तब उन्होंने भी शायद ही सोचा होगा कि इसका नतीजा इतनी जल्दी आएगा. अर्जुन योगराज से ट्रेनिंग लेने के कुछ हफ्ते बाद ही रणजी ट्रॉफी में डेब्यू करते हैं और अपने पहले ही मुकाबले में शतक ठोक देते हैं. क्रिकेट में तकदीर बदलने का अगला किस्सा फिर कभी.
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