नई दिल्ली. भारतीय हॉकी टीम को साल 1964 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाने वाले कप्तान चरणजीत सिंह (Charanjit Singh) का निधन हो गया है. वह 91 साल के थे. पद्मश्री से सम्मानित इस दिग्गज हॉकी खिलाड़ी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को शोक जताया. पीएम मोदी ने कहा कि चरणजीत सिंह ने भारतीय हॉकी की सफलता में प्रमुख भूमिका निभाई. चरणजीत सिंह का हिमाचल प्रदेश के ऊना में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘जाने-माने हॉकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह के निधन से दुखी हूं. उन्होंने भारतीय हॉकी टीम की सफलता में प्रमुख भूमिका निभाई, खास तौर से 60 के दशक में रोम और टोक्यो ओलंपिक में. उनके परिजनों और मित्रों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं.’
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चरणजीत के परिवार में 2 बेटे और एक बेटी है. पांच साल पहले भी चरणजीत को स्ट्रोक हुआ था और तब से वह लकवाग्रस्त थे. उनके बेटे वीपी सिंह ने कहा, ‘वह छड़ी के सहारे चलते थे लेकिन पिछले 2 महीने से उनकी हालत और खराब हो गई.’ चरणजीत की पत्नी का 12 साल पहले निधन हो गया था. उनका बड़ा बेटा कनाडा में डॉक्टर है और छोटा बेटा उनके साथ रहता था.
चरणजीत सिंह भारत की 1964 टोक्यो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हॉकी टीम के कप्तान थे. वह 1960 रोम ओलंपिक की रजत पदक विजेता टीम में भी थे. इसके अलावा वह 1962 एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता टीम के भी सदस्य थे.
2 बार के ओलंपियन चरणजीत की कप्तानी में भारत ने 1964 ओलंपिक के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता. अंतरराष्ट्रीय हॉकी में अपने शानदार करियर को अलविदा कहने के बाद वह शिमला की हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक भी रहे.
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