हॉकी इंडिया पर खेल संहिता के उल्लंघन का आरोप, हाई कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

हॉकी इंडिया पर खड़े किए गए हैं सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और हॉकी इंडिया (Hockey India) को 28 सितंबर तक अपना पक्ष रखने के लिये कहा है.
- भाषा
- Last Updated: August 27, 2020, 4:45 PM IST
दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने हॉकी इंडिया पर राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाने वाली एक याचिका के संबंध में गुरुवार को केंद्र सरकार और इस खेल महासंघ से अपना पक्ष रखने के लिये कहा. याचिका में कहा गया है कि हॉकी इंडिया ने आजीवन सदस्य, आजीवन अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पदों को सृजित करके खेल संहिता का उल्लंघन किया क्योंकि नियमों के तहत इन पदों का सृजन नहीं किया जा सकता है.
29 सितंबर तक हॉकी इंडिया को रखना है अपना पक्ष
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने एक पूर्व हॉकी खिलाड़ी की याचिका पर खेल मंत्रालय, हॉकी इंडिया और उन दो व्यक्तियों के लिये नोटिस जारी किये जिन्हें इस खेल संस्था में आजीवन सदस्य और सीईओ नियुक्त किया गया है. अदालत ने इनसे 28 सितंबर तक अपना पक्ष रखने के लिये कहा है.
भारत की 1975 की विश्व कप विजेता टीम के सदस्य असलम शेर खान ने अपनी याचिका में हॉकी इंडिया के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (एमओए) में उन अनुच्छेदों को हटाने की मांग की है जिनके तहत आजीवन सदस्य, आजीवन अध्यक्ष और सीईओ पद सृजित किये गये जिनके पास असीमित कार्यकाल और पूर्ण मतदान अधिकार हैं.CPL 2020: मैदान पर इस बल्लेबाज ने मचाया कोहराम, 8 छक्के जड़कर बनाए 85 रन
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नरिंद्र बत्रा की आजीवन सदस्यता को रद्द करने की मांग
एडवोकेट वंशदीप डालमिया के जरिये दायर की गयी याचिका में नरिंदर ध्रुव बत्रा की आजीवन सदस्यता और इलेना नोर्मन की सीईओ के रूप में नियुक्ति रद्द करने की मांग भी की गयी है. याचिका में कहा गया है कि खेल संहिता और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) के लिये आदर्श चुनाव दिशानिर्देशों के तहत किसी खास अवधि के लिये सात पदाधिकारियों और पांच अतिरिक्त सदस्यों को ही चुना जा सकता है और हॉकी इंडिया ने जो तीन पद सृजित किये हैं वे इसके अनुरूप नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ में भी आजीवन सदस्य सृजित करने संबंधी इसी तरह के प्रावधानों को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था.
29 सितंबर तक हॉकी इंडिया को रखना है अपना पक्ष
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने एक पूर्व हॉकी खिलाड़ी की याचिका पर खेल मंत्रालय, हॉकी इंडिया और उन दो व्यक्तियों के लिये नोटिस जारी किये जिन्हें इस खेल संस्था में आजीवन सदस्य और सीईओ नियुक्त किया गया है. अदालत ने इनसे 28 सितंबर तक अपना पक्ष रखने के लिये कहा है.
भारत की 1975 की विश्व कप विजेता टीम के सदस्य असलम शेर खान ने अपनी याचिका में हॉकी इंडिया के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (एमओए) में उन अनुच्छेदों को हटाने की मांग की है जिनके तहत आजीवन सदस्य, आजीवन अध्यक्ष और सीईओ पद सृजित किये गये जिनके पास असीमित कार्यकाल और पूर्ण मतदान अधिकार हैं.CPL 2020: मैदान पर इस बल्लेबाज ने मचाया कोहराम, 8 छक्के जड़कर बनाए 85 रन
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एडवोकेट वंशदीप डालमिया के जरिये दायर की गयी याचिका में नरिंदर ध्रुव बत्रा की आजीवन सदस्यता और इलेना नोर्मन की सीईओ के रूप में नियुक्ति रद्द करने की मांग भी की गयी है. याचिका में कहा गया है कि खेल संहिता और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) के लिये आदर्श चुनाव दिशानिर्देशों के तहत किसी खास अवधि के लिये सात पदाधिकारियों और पांच अतिरिक्त सदस्यों को ही चुना जा सकता है और हॉकी इंडिया ने जो तीन पद सृजित किये हैं वे इसके अनुरूप नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ में भी आजीवन सदस्य सृजित करने संबंधी इसी तरह के प्रावधानों को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था.