हॉकी इंडिया के पूर्व अध्यक्ष मुश्ताक अहमद का बड़ा बयान, कहा- मुसलमान होने की वजह से की गई कार्रवाई

मोहम्मद मुश्ताक अहमद का सनसनीखेज आरोप
मोहम्मद मुश्ताक अहमद (Mohammed Mushtaq Ahmed) ने कहा कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई मुसलमान होने के कारण हो सकती है
- भाषा
- Last Updated: July 15, 2020, 6:50 AM IST
नई दिल्ली. खेल मंत्रालय की ओर से अपने चुनाव को राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन घोषित किए जाने के बाद इस्तीफा देने वाले हॉकी इंडिया के पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद मुश्ताक अहमद (Mohammed Mushtaq Ahmed) ने मंगलवार को कहा कि देर से आए इस फैसले में बुरी नीयत की बू आती है क्योंकि नियमों का उल्लंघन करने वाले अन्य लोगों को सजा नहीं दी गई. उन्होंने साथ ही संदेह जताया कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई उनके ‘अल्पसंख्यक समुदाय’ से होने के कारण हो सकती है. खेल सचिव रवि मित्तल को भेजे गए पत्र में अहमद ने यह आरोप लगाए हैं. संपर्क करने पर मंत्रालय के एक अधिकारी नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'मंत्रालय ने नियमों के अनुसार काम किया है. हमने हॉकी इंडिया को अपने पूर्व में भेजे पत्र में यह स्पष्ट कर दिया था. इसके अलावा इसमें कहने के लिए कुछ नहीं है.'
अहमद ने पत्र में लिखी कई बड़ी बातें
अहमद (Mohammed Mushtaq Ahmed) ने अपने पत्र में कहा, 'सुधांशु मित्तल, राजीव मेहता और आनंदेश्वर पांडे को क्रमश: खो-खो, तलवारबाजी और हैंडबॉल के अध्यक्ष के रूप में खेल संहिता का उल्लंघन करने के बावजूद पद पर बने रहने दिया गया.' उन्होंने कहा, 'मैं अपने इस अहसास को रिकॉर्ड में लाना चाहता हूं कि केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय के हॉकी इंडिया के अध्यक्ष के रूप में मेरे खिलाफ देर से किए गए इस फैसले बुरी नीयत की बू आती है क्योंकि मैं अल्पसंख्यक समुदाय से हूं.'
मेरा नाम मेरी समस्या-मुश्ताक अहमदखेल संहिता के कार्यकाल से जुड़े नियम के उल्लंघन पर अहमद (Mohammed Mushtaq Ahmed) को पद छोड़ने को कहा गया क्योंकि इसके तहत कोई पदाधिकारी लगातार तीन कार्यकाल तक पद पर नहीं रह सकता. अहमद ने कहा, 'इससे मुझे लगता है कि मेरा नाम मोहम्मद मुश्ताक अहमद होना समस्या है.' अहमद 2010-14 तक हॉकी इंडिया के कोषाध्यक्ष रहे और फिर 2014 में चार साल के लिए महासचिव बने. उन्हें 2018 में चार साल के कार्यकाल के लिए हॉकी इंडिया का अध्यक्ष चुना गया.
इस उल्लंघन के बारे में हॉकी इंडिया को 2019 में बताया गया था लेकिन उसने कहा कि अहमद का कोषाध्यक्ष का कार्यकाल संस्था को मंत्रालय की मान्यता मिलने से पहले था और कार्यकाल तय करते हुए इसकी गणना नहीं होनी चाहिए. मंत्रालय ने हालांकि इस महीने की शुरुआत में इस पक्ष को खारिज कर दिया और अहमद को इस्तीफा देना पड़ा. मंत्रालय ने कहा कि उसने हॉकी इंडिया को अगस्त 2010 में हुए चुनाव के आधार पर फरवरी 2014 में मान्यता दी थी और इसलिए कोषाध्यक्ष के रूप में अहमद के कार्यकाल को पहला कार्यकाल मानता है. अहमद ने मंत्रालय के हॉकी इंडिया को लिखे पत्र की प्रति भी लगाई जिसमें कहा गया है कि अक्टूबर 2018 में हुए चुनाव महासंघ के दूसरे चुनाव माने जाएंगे.
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अहमद (Mohammed Mushtaq Ahmed) ये पत्र अवर सचिव अरुण कुमार सिंह ने हॉकी इंडिया की सीईओ एलेना नोर्मन को लिखा था. अहमद ने अपने पत्र में साथ ही कहा कि भारतीय तलवारबाजी संघ के अध्यक्ष के रूप में मेहता का चुनाव अवैध है क्योंकि भारतीय खो-खो महासंघ के अध्यक्ष पद पर रहने के बाद वह किसी अन्य महासंघ में अध्यक्ष पद पर काबिज नहीं हो सकते. उन्होंने साथ ही कहा कि भारतीय तलवारबाजी संध का चुनाव खेल संहिता का उल्लंघन है क्योंकि प्रत्येक राज्य सदस्य के तीन मत थे.मंत्रालय ने सर्वसम्मत मतदान के कारण चुनाव को सही ठहराया था.
अहमद ने पत्र में लिखी कई बड़ी बातें
अहमद (Mohammed Mushtaq Ahmed) ने अपने पत्र में कहा, 'सुधांशु मित्तल, राजीव मेहता और आनंदेश्वर पांडे को क्रमश: खो-खो, तलवारबाजी और हैंडबॉल के अध्यक्ष के रूप में खेल संहिता का उल्लंघन करने के बावजूद पद पर बने रहने दिया गया.' उन्होंने कहा, 'मैं अपने इस अहसास को रिकॉर्ड में लाना चाहता हूं कि केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय के हॉकी इंडिया के अध्यक्ष के रूप में मेरे खिलाफ देर से किए गए इस फैसले बुरी नीयत की बू आती है क्योंकि मैं अल्पसंख्यक समुदाय से हूं.'
मेरा नाम मेरी समस्या-मुश्ताक अहमदखेल संहिता के कार्यकाल से जुड़े नियम के उल्लंघन पर अहमद (Mohammed Mushtaq Ahmed) को पद छोड़ने को कहा गया क्योंकि इसके तहत कोई पदाधिकारी लगातार तीन कार्यकाल तक पद पर नहीं रह सकता. अहमद ने कहा, 'इससे मुझे लगता है कि मेरा नाम मोहम्मद मुश्ताक अहमद होना समस्या है.' अहमद 2010-14 तक हॉकी इंडिया के कोषाध्यक्ष रहे और फिर 2014 में चार साल के लिए महासचिव बने. उन्हें 2018 में चार साल के कार्यकाल के लिए हॉकी इंडिया का अध्यक्ष चुना गया.
इस उल्लंघन के बारे में हॉकी इंडिया को 2019 में बताया गया था लेकिन उसने कहा कि अहमद का कोषाध्यक्ष का कार्यकाल संस्था को मंत्रालय की मान्यता मिलने से पहले था और कार्यकाल तय करते हुए इसकी गणना नहीं होनी चाहिए. मंत्रालय ने हालांकि इस महीने की शुरुआत में इस पक्ष को खारिज कर दिया और अहमद को इस्तीफा देना पड़ा. मंत्रालय ने कहा कि उसने हॉकी इंडिया को अगस्त 2010 में हुए चुनाव के आधार पर फरवरी 2014 में मान्यता दी थी और इसलिए कोषाध्यक्ष के रूप में अहमद के कार्यकाल को पहला कार्यकाल मानता है. अहमद ने मंत्रालय के हॉकी इंडिया को लिखे पत्र की प्रति भी लगाई जिसमें कहा गया है कि अक्टूबर 2018 में हुए चुनाव महासंघ के दूसरे चुनाव माने जाएंगे.
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अहमद (Mohammed Mushtaq Ahmed) ये पत्र अवर सचिव अरुण कुमार सिंह ने हॉकी इंडिया की सीईओ एलेना नोर्मन को लिखा था. अहमद ने अपने पत्र में साथ ही कहा कि भारतीय तलवारबाजी संघ के अध्यक्ष के रूप में मेहता का चुनाव अवैध है क्योंकि भारतीय खो-खो महासंघ के अध्यक्ष पद पर रहने के बाद वह किसी अन्य महासंघ में अध्यक्ष पद पर काबिज नहीं हो सकते. उन्होंने साथ ही कहा कि भारतीय तलवारबाजी संध का चुनाव खेल संहिता का उल्लंघन है क्योंकि प्रत्येक राज्य सदस्य के तीन मत थे.मंत्रालय ने सर्वसम्मत मतदान के कारण चुनाव को सही ठहराया था.