टोक्यो. निशानेबाज अवनि लेखरा (Avani Lekhara) ने टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics) में इतिहास रचा जब उन्होंने इन खेलों के एक ही चरण में 2 मेडल हासिल किए. अवनि पैरालंपिक के एक ही चरण में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं लेकिन वह इसके बावजूद संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है कि वह मौजूदा खेलों में इससे बेहतर प्रदर्शन कर सकती थीं लेकिन वह दबाव में आ गईं.
पैरालंपिक में पहली बार खेल रहीं 19 साल की लेखरा 10 मीटर एयर राइफल स्टैडिंग एसएच1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. यह भारत का निशानेबाजी में भी पहला ही पदक था. उन्होंने शुक्रवार को टोक्यो खेलों की 50 मीटर राइफल थ्री पॉजिशन एसएच1 स्पर्धा का कांस्य पदक हासिल किया. वह इस तरह दो पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला और खेलों के एक ही चरण में कई पदक जीतने वाली देश की दूसरी खिलाड़ी बनीं.
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अवनि ने प्रसारक यूरोस्पोर्ट और भारतीय पैरालंपिक समिति द्वारा कराई वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘जब मैंने स्वर्ण पदक जीता तो मैं सिर्फ स्वर्ण पदक से ही संतुष्ट नहीं थी (हंसती हैं), मैं उस अंतिम शॉट को बेहतर करना चाहती थी। इसलिये यह कांस्य पदक निश्चित रूप से संतोषजनक नहीं है. फाइनल्स का आपके ऊपर यही असर होता है, आप नर्वस हो जाते हो.’
उन्होंने रविवार को होने वाली मिश्रित 50 मीटर राइफल प्रोन स्पर्धा का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैं जश्न नहीं मना रही क्योंकि मेरा ध्यान अगले मैच पर लगा है. मेरा लक्ष्य अपनी अगली स्पर्धा में भी शत प्रतिशत देने का है.’ लेखरा ने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की प्रशंसा दोहराते हुए कहा कि वह हमेशा उनकी तरह बनना चाहती थीं. शुक्रवार को बल्कि उन्होंने अपना दूसरा पदक जीतकर उनसे बेहतर प्रदर्शन किया.
लेखरा ने कहा, ‘जब मैंने अभिनव बिंद्रा सर की आत्मकथा पढ़ी थी तो मुझे इससे प्रेरणा मिली थी क्योंकि उन्होंने अपना शत प्रतिशत देकर भारत के लिए पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था. मैं हमेशा उनकी (बिंद्रा की) तरह बनना चाहती थी और हमेशा अपने देश का नाम रोशन करना चाहती हूं.’
19 साल की लेखरा ने कहा, ‘मैं खुश हूं कि मैं देश के लिए एक और पदक जीत सकी और मैं अभी तक इस पर विश्वास नहीं कर पा रही. मुझे स्टैंडिंग में सर्वश्रेष्ठ देना था. मुझे लगा कि हर कोई ऐसा ही महसूस कर रहा था इसलिए मैंने दूसरों के बारे में सोचे बिना अपना सर्वश्रेष्ठ किया. मैंने कभी भी बैठकर पदक नहीं जीता था, यह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय पदक है, इसलिए मैं ज्यादा नर्वस थी. मुझे अपने शॉट पर ध्यान लगाना था. इसलिए पिछले मैच में मैं एक बार में एक शॉट पर ध्यान लगा रही थी और यह हो गया.’
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उन्होंने अपने सभी कोच विशेषकर पूर्व ओलंपियन निशानेबाज सुमा शिरूर को शुक्रिया कहा. उन्होंने कहा, ‘हमारी बहुत ही अच्छी टीम है, मेरे कोच, जेपी नौटियाल सर, सुभाष राणा सर, सुमा (शिरूर) मैम, मेरा सहयोगी स्टाफ और टीम के सभी सदस्य और सभी अन्य एथलीट का शुक्रिया.’
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