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भूखे पेट दौड़ती थी भट्ठा मजदूर की बेटी, सामान डिलीवरी कर चलाया खर्च, अब बनी देश की गोल्‍डन गर्ल

इंदौर में चल रहे यूथ गेम्‍स में सोनम को मिली कामयाबी. (Khelo India/Twitter)

इंदौर में चल रहे यूथ गेम्‍स में सोनम को मिली कामयाबी. (Khelo India/Twitter)

बुलंदशहर की रहने और दिल्‍ली से खेलने वाली सोनम ने रविवार को खेलो इंडिया यूथ गेम्‍स में स्‍टीपलचेज में नया नेशनल रिकॉर्ड ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

सोनम ने स्‍टीपलचेज स्‍पर्धा में जीता गोल्‍ड मेडल
नया नेशनल रिकॉर्ड भी कायम किया

नई दिल्‍ली : इंदौर में चल रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्‍स में 18 साल की सोनम लड़कियों की 2000 मीटर स्‍टीपलचेज में नेशनल रिकॉर्ड के साथ चैंपियन बनीं. रविवार को वह इस स्‍पर्धा में 6:45:71 सेकंड का समय निकाल कर गोल्‍डन गर्ल बन गईं. सोनम ने 11 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा. 2012 में लखनऊ में हुई यूथ एथलेटिक्‍स चैंपियनशिप में पारुल चौधरी ने 7:06:49 सेकंड के साथ यह रिकॉर्ड कायम किया था.

बुलंदशहर के एक छोटे से गांव की रहने वाली सोनम के पिता वीर सिंह ईंट भट्ठे में मजदूर हैं. मां दूसरे लोगों के खेतों में काम करती हैं. परिवार में 9 लोग हैं और घर का गुजारा बेहद मुश्किल से होता है. सोनम ने 2020 में बाधा दौड़ से अपने करियर की शुरुआत की. कोच ने उनका स्‍टेमिना देखते हुए स्‍टीपलचेज में किस्‍मत आजमाने को कहा. इस बीच लॉकडाउन लग गया. बुलंदशहर से आकर दिल्‍ली में प्रेक्टिस करने वाली सोनम को खर्च चलाने के लिए डिलीवरी गर्ल का काम करना पड़ा.

पढ़ाई छूटी तो लड़कों के साथ दौड़ लगानी शुरू की

आर्थिक स्थिति बेहतर न होने की वजह से सोनम को आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी. गांव के लड़के सेना में जाने की तैयारी के लिए रनिंग करते थे. उन्‍हें देख सोनम ने भी दौड़ना शुरू कर दिया. लोकल टूर्नामेंट में जीतने पर उन्‍हें एक से दो हजार रुपये तक मिल जाते थे.

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सोनम ने पिता से कोचिंग दिलाने को कहा पर घर की हालत देख उन्‍होंने मना कर दिया. इसके बाद कोच संजीव कुमार सोनम का सहारा बने. कुछ कर गुजरने की हसरत लिए सोनम ने कई बार भूखे पेट रहकर भी दौड़ लगाई. उन्‍होंने पिछले साल असम में हुई जूनियर चैंपियनशिप में गोल्‍ड मेडल जीता था.

Tags: Sports news

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