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ये हैं आगरा की मैरीकॉम, एक ही पंच में कर देती है सामने वाले को ढेर!

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बॉक्सिंग

बॉक्सिंग रिंग में मानसी

मानसी 10 सालों से बॉक्सिंग सीख रही है. अब तक चार बार बेस्ट बॉक्सर महिला यूपी रह चुकी हैं. स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: हरि कांत शर्मा
आगरा. आपने दंगल फिल्म का मशहूर डायलॉग तो सुना ही होगा …”हमारी छोरियां छोरों से कम नहीं है”. ऐसी एक छोरी आगरा के स्पोर्ट्स स्टेडियम के रिंग में खूब पसीना बहा रही है. जूनियर इसे आगरा की मेरीकॉम कहते हैं. 23 साल की मानसी शर्मा आगरा के राजपुर शमसाबाद रोड की रहने वाली है.

मानसी 10 सालों से बॉक्सिंग सीख रही है. अब तक चार बार बेस्ट बॉक्सर महिला यूपी रह चुकी हैं. स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 4 गोल्ड और कई खिताब अपने नाम कर चुकी हैं. बॉक्सिंग रिंग में मानसी बिजली की तरह चमकती है. मानसी की कहानी काफी संघर्षों से भरी हुई है.

घरवालों ने कहा चेहरा खराब हो जाएगा तो कौन करेगा शादी ? बॉक्सिंग छोड़ दो
मानसी बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही सपोर्ट में जाने का शौक था. इसलिए उन्होंने आगरा के बी डी जैन इंटर कॉलेज में एडमिशन लिया. क्योंकि वहां स्पोर्ट्स खिलाया जाता था. शुरुआत में वह फुटबॉल मैच खेलती थी. प्रैक्टिस के लिए आगरा के एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम आती थी. मानसी की डेडीकेशन और खेल के प्रति लगाव देखकर उनके कोच ने उन्हें बॉक्सिंग खेलने की सलाह दी. लेकिन घरवाले नहीं चाहते थे कि मानसी बॉक्सिंग खेलें. घर वालों का कहना था कि बॉक्सिंग में चेहरा खराब हो गया तो कोई शादी भी नहीं करेगा. बॉक्सिंग लड़कियों का खेल नहीं है. इसलिए बॉक्सिंग छोड़ दो. मानसी ने हार नहीं मानी और घर वालों को बताए बगैर बॉक्सिंग के मैदान उतर गयी. घर से फुटबॉल की ट्रेनिंग लेने की कह कर निकलती थी औऱ स्टेडियम में बॉक्सिंग सीखती. झांसी में आयोजित स्टे्ट बॉक्सिंग चैंपियन 2013 में गोल्ड जीतकर घरवालों को बताया की में बॉक्सर हूं. घरवाले भी हैरान रह गए. तब टीचर्स के समझाने के बाद घरवाले बॉक्सिंग करने के लिए हामी भरी.

आपके शहर से (आगरा)

 6 महीने रिंग के मैदान से रही बाहर
साल 2015 में झांसी में नेशनल चैंपियनशिप के लिए ट्रायल चल रहा था उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को अच्छी फाइड दी. लेकिन पक्षपात के चलते उनका सलेक्शन नही हो पाया. स्पोर्ट्स में इस पक्षपात को देखकर उनका मन खिन्न हो गया और बॉक्सिंग की रिंग से अपने पैर पीछे खींच लिए. 6 महीने तक बॉक्सिंग की रिंग से बाहर रही. लेकिन कोच के समझाने के बाद उन्होंने एक बार फिर से शुरुआत की. इस बार मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी. परिणाम ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता. साथ ही खेलो इंडिया सीनियर चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक जीता. 2016 में आयोजित हुई जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में तीसरा स्थान प्राप्त कर कांस्य पर कब्जा किया.

अब बस देश के लिए मेडल लाना है बाकी
मानसी बताती है कि उन्हें अब लोग औऱ उनके जूनियर आगरा की मैरीकॉम कहते हैं. जूनियर भी उनसे बॉक्सिंग के गुण सीख रहे हैं. उनका सौभाग्य है कि वे विश्व चैंपियन महिला बॉक्सर निखत ज़रीन से उनकी 2018 में फाइट हुई थी. हालांकि 3 – 2 की कड़ी टक्कर से निखत जरीन ने उन्हें हरा दिया. लेकिन उन्हें ख़ुशी है कि उन्होंने विश्व चैंपियन के साथ मुकाबला किया. साथ ही उनका सपना है कि देश के लिए ओलंपिक में मेडल लेकर आएं. आगरा समेत पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन करें और उन सभी लोगों को जवाब मिले जो कहते हैं कि लड़कियां कमज़ोर हैं. बॉक्सिंग लड़कियों का खेल नहीं है. मानसी मैरीकॉम को आइडियल मान कर बॉक्सिंग के रिंग में खूब पसीना बहा रही है.

Tags: Boxing, Mary kom

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