सेमेन्या के फैसले के दुनिया भर के खेल जगत में ‘हाइपरएंड्रोजैनिक’ खिलाड़ियों को लेकर तीखी बहस शुरू कर दी है (firstpost)
साउथ अफ्रीका के ट्रैक फेडरेशन ने तय किया है कि वह अपनी एथलीट कैस्टर सेमेन्य के केस में आए फैसले के खिलाफ अपील करेगा. सेमेन्या के फैसले ने दुनिया भर के खेल जगत में ‘हाइपरएंड्रोजैनिक’ खिलाड़ियों को लेकर तीखी बहस शुरू कर दी है. हाइपरएंड्रोजैनिक वे लोग होते हैं जिनका लैंगिक विकास सामान्य लोगों से भिन्न होता है.
साउथ अफ्रीका के खेल मंत्रालय के मुताबिक कोर्ट ऑफ एरबीट्रेशन में सेमेन्या के केस की सुनवाई करने वाले तीन जजों के पैनल में से दो जज से वह सहमत नहीं हैं. उनके मुताबिक सेमेन्या के केस कुछ तथ्यों को नजरअंदाज किया गया. जजों ने सुनवाई करते हुए लापरवाही बर्ती है जिसके कारण फैसला सेमेन्या के खिलाफ आया है. साउथ अफ्रीका के एथलेटिक्स फेडरेशन और सेमेन्या ने आईएएफ के खिलाफ कोर्ट ऑफ एट्रीबीशन में सेमेन्या के हाइपरएंड्रोजैनिक होने को लेकर केस किया था. हालंकि सेमेन्या यह केस हार गई थी.
एक मई को दिए अपने फैसले में कोर्ट ऑफ एरबीट्रेशन ऑफ स्पोर्ट्स ने कहा था कि जिन महिला एथलीटों का टेसटोसटेरोन का स्तर ज्यादा है उन्हें दवाई और ट्रीटमेंट की मदद से उस कम करना होगा. सिर्फ तभी वह महिलाओं की श्रेणी में भाग ले सकेगी.
साउथ अफ्रीका के खेल मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन ने कहा कि यह अपील जल्द से जल्द दायर की जाएगी. स्विट्जरलैंड के फेडरल ट्रिबयूनल में वह केस की सुनवाई करने वाले जजों के खिलाफ शिकायत करेंगे कि उन्होंने पहले भी इस तरह के मामलों में लापरवाही दिखाई है. इसके साथ ही जजों ने सभी तथ्यों पर बराबर ध्यान नहीं दिया है.
क्या था मामला
सेमेन्या ने एक मिनट 55.45 सेकेंड का समय निकालकर बर्लिन में 800 मीटर की दौड़ का गोल्ड मेडल हासिल किया. तब अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स संगठन ने सेमेन्या परीक्षण किए जाने का आदेश दिया. हालांकि वह इससे पहले भी टेस्ट कर चुकी थीं. सेमेन्या में टेस्टोस्टेरोन का स्तर किसी भी महिला के नमूने में पाए जाने वाले स्तर से तीन गुना ज्यादा निकला. उन पर प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन खेल पंचाट (कैस) ने उनके पक्ष में फैसला दिया. सेमेन्या ने 2012 लंदन और 2016 रियो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता है. इसके अलावा वह विश्व चैंपियनशिप में तीन गोल्ड और एक ब्रॉन्ज पदक जीत चुकी हैं.
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Tags: Athletics, South africa