भारतीय स्टार एथलीट दुती चंद ने अपने निजी जिंदगी को लेकर बड़ा खुलासा करके सबको चौंका दिया है. एशियाई खेलों में भारत के लिए दो सिल्वर मेडल जीतने वाली देश की सबसे तेज महिला एथलीट को अपना हमसफर मिल गया है. हालांकि, चौकाने वाली बात यह है कि उनकी जिंदगी का यह खास शख्स लड़का नहीं बल्कि लड़की है. यह लड़की उनके ही गांव की है. हालांकि, दुती चंद ने अपनी महिला साथी की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया है.
आपको बता दें कि अपने इस खुलासे के बाद दुती चंद भारत की पहली खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने समलैंगिक रिश्तों की बात को स्वीकार किया है.
उन्होंने कहा, 'मुझे कोई ऐसा मिल गया है जो मुझे जान से भी प्यारा है. मुझे लगता है कि हर किसी को रिश्तों की आजादी होनी चाहिए कि वह किसके साथ रहना चाहता है. मैंने हमेशा उन लोगों के अधिकारों की पैरवी की है जो समलैंगिक रिश्तों में रहना चाहते हैं. यह किसी व्यक्ति विशेष की अपनी इच्छा है.इस वक्त मेरा फोकस वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक पर है, लेकिन मैं भविष्य में उसके साथ सेटल होना चाहूंगीं.'

एशियन गेम्स में दुती चंद ने दो सिल्वर मेडल जीते, 100-200 मीटर रेस में दूसरे नंबर पर रहीं. (photo-pti)
साथ ही इस 23 साल की खिलाड़ी ने कहा, 'उन्होंने एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए उस वक्त हिम्मत जुटाई, जब पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आईपीसी के सेक्शन 377 को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था. मेरा सपना था कि मुझे कोई ऐसा मिले जो मेरे पूरे जीवन का साथी बने. मैं किसी ऐसे के साथ रहना चाहती थी, जो मुझे बतौर खिलाड़ी प्रेरित करे. मैं बीते 10 साल से धावक हूं और अगले 5 से 7 साल तक दौड़ती रहूंगी. मैं प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने पूरी दुनिया घूमती हूं, यह आसान नहीं है. मुझे किसी का सहारा भी चाहिए.'
गरीब परिवार से आती हैं दुती
दुती चंद का जन्म ओडिशा के चाकागोपालपुर में हुआ था और उन्होंने महज 4 साल की उम्र में रनिंग शुरू कर दी थी. दुती चंद बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थीं. उनका परिवार गरीबी रेखा के नीचे था. दुती के पिता एक बुनकर थे और रोजाना 10 रु. ही कमाते थे.

दुती चंद का परिवार
दुती चंद अपनी बड़ी बहन सरस्वती को अपना आइडल मानती हैं. सरस्वती खुद भी एक एथलीट थीं और वो खुद दुती को प्रैक्टिस कराती थीं. दुती चंद महज 10 साल की उम्र में इंडिया नेशनल प्रोग्राम के तहत ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. वो शुरुआती दिनों में नंगे पांव ट्रेनिंग करती थीं.
दुती चंद ने साल 2013 में स्कूल नेशनल गेम्स में टाटा नैनो कार जीती थी जिसके बाद उनका नाम नैनो पड़ गया. साल 2013 में ही वो नेशनल चैंपियन भी बनीं.
2014 में आईएएएफ ने किया निलंबित
आईएएएफ ने 2014 में अपनी हाइपरएंड्रोगेनिजम नीति के तहत दुती को निलंबित कर दिया था जिस वजह से उन्हें उस साल के कॉमनवेल्थ गेम्स के भारतीय दल से बाहर कर दिया गया था. इसके बाद दुती ने आईएएएफ के फैसले के खिलाफ खेल पंचाट में अपील दायर की और इस मामले में जीत दर्ज़ करते हुए वापसी की.
दुती चंद के बैन के दौरान बैडमिंटन के महान खिलाड़ी और कोच गोपीचंद ने उनकी मदद की. गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी ने दुती चंद को प्रैक्टिस का मौका दिया और उनका पूरा खर्च उठाया.
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Tags: Athletics, Dutee Chand
FIRST PUBLISHED : May 19, 2019, 11:11 IST