नई दिल्ली. भारतीय बैडमिंटन टीम ने थॉमस कप के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया. भारतीय टीम पहली बार खिताबी मुकाबले में पहुंची है. भारत की इस ऐतिहासिक जीत के हीरो रहे एचएस प्रणय, जिन्होंने निर्णायक मुकाबला जीतकर भारत को डेनमार्क पर 3-2 से जीत दिलाई. हालांकि प्रणय के लिए यह जीत बिल्कुल भी आसान नहीं थी. पूरे देश की नजर उनके मैच पर थी, मगर दुनिया के 13वें नंबर के खिलाड़ी रास्मस गेमके के खिलाफ कोर्ट पर फिसलने के कारण उनके टखने में चोट लग गई. उन्होंने ‘मेडिकल टाइमआउट’ भी लिया.
इसके बाद मुकाबले के दौरान वो दर्द में भी नजर आए. मगर भारतीय खिलाड़ी ने हार नहीं मानी और पहला गेम गंवाने के बावजूद जोरदार वापसी की और इतिहास के पन्ने पर अपना नाम दर्ज करवा लिया. प्रणय ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में हार न मानने की मानसिकता ने उन्हें दर्द में भी खेलने के लिए प्रेरित किया. प्रणय ने 13-21, 21-9, 21-12 से जीत दर्ज कर भारत का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया.
दर्द न बढ़ने के लिए कर रहे थे प्रार्थना
मैच के बाद भारतीय खिलाड़ी ने कहा कि दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थीं. फिसलने के बाद मुझे दर्द हो रहा था. मैं ठीक से चल भी नहीं कर पा रहा था. दिमाग में हार नहीं मानने की बात चल रही थी. प्रणय ने कहा कि मैं बस कोशिश करके देखना चाहता था कि चीजें कैसी चल रही है. मैं प्रार्थना कर रहा था कि दर्द न बढ़े. मेरा दर्द दूसरे गेम के दौरान कम होने लगा था और तीसरे गेम के दौरान मैं काफी बेहतर महसूस कर रहा था.
दबाव बनाए रखने की थी रणनीति
प्रणय ने कहा कि हमने दूसरे और तीसरे गेम में जिस रणनीति का इस्तेमाल किया, वह बहुत महत्वपूर्ण था. रणनीति दबाव बनाए रखने की थी और मुझे पता था कि अगर मैं दूसरे हाफ में अच्छी बढ़त बनाता हूं तो मुकाबले में बने रहने का एक और मौका मिलेगा.
विश्व चैंपियनशिप के सिल्वर मेडलिस्ट किदाम्बी श्रीकांत, सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की दुनिया की आठवें नंबर की युगल जोड़ी ने भारत को फाइनल की दौड़ में बनाये रखा, लेकिन 2-2 की बराबरी के बाद एचएस प्रणय ने टीम को इतिहास रचने में मदद की.
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