नई दिल्ली. भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत (Pramod Bhagat) ने टोक्यो पैरालंपिक में इतिहास रच दिया. वह फाइनल में पहुंच गए हैं और गोल्ड मेडल से महज एक कदम ही दूर हैं. बैडमिंटन मेन्स सिंगल्स के एसएल3 क्लास सेमीफाइनल में प्रमोद भगत ने जापान को फुजिहारा को 2-0 से हराया. उन्होंने 21-11, 21-16 से मुकाबला जीता. अब तक कोई भी भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक या पैरालंपिक खेलों में बैंडमिटन में गोल्ड मेडल जीतने का कारनामा नहीं कर सका है. प्रमोद के पास भारत की तरफ से बैडमिंटन में पहला गोल्ड जीतने का मौका है.
महज 5 साल की उम्र में पोलियो के कारण एक पैर खराब होने के बाद चुनौतियों का सामना करने वाले प्रमोद अपनी हिम्मत और जज्बे के दम पर कोर्ट पर विरोधी खिलाड़ियों के लिए बड़ी चुनौती बन गए. जब वह 13 साल के थे, उस समय वह एक बैडमिंटन मैच देखने गए और यह खेल उन्हें इतना अधिक पसंद आया और उन्होंने इसे चुनने में ज्यादा समय नहीं लगाया.
Tokyo Paralympics: प्रमोद भगत गोल्ड जीतने से एक कदम दूर, फाइनल में पहुंचकर रचा इतिहास
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नॉर्मल खिलाड़ियों के खिलाफ खेला था पहला टूर्नामेंट
अगले 2 सालों में वह खेल में फुटवर्क, फिटनेस के साथ जुड़ गए. प्रमोद जब 15 साल के थे, तब उन्होंने नॉर्मल खिलाड़ियों के खिलाफ अपना पहला टूर्नामेंट खेला था. यानी उन्होंने अपने एक सही पैर के दम पर ही नॉर्मल खिलाड़ियों को टक्कर दी. उन्होंने अपने पहले ही टूर्नामेंट में कमाल कर दिया था. फैंस ने उनका काफी उत्साह बढ़ाया और इस उत्साह की बदौलत ही आज वो यहां तक पहुंचे. फैंस के उत्साह के उन्हें अपने बैडमिंटन करियर को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया.
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