मिशन ओलिंपिक: विनेश फोगाट...बचपन में पिता की हत्या जिन्हें तोड़ नहीं पाई अब जापान में दिलाएंगी गोल्ड!

विनेश फोगाट हाल में ही 53 किग्रा वर्ग में दुनिया की नंबर एक महिला पहलवान बनीं विनेश फोगाट कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स दोनों में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं.(फोटो: पीटीआई )
Mission Olympics: महिला पहलवानों में टोक्यो ओलिंपिक में विनेश फोगाट (vinesh Phogat) सबसे बड़ी भारतीय उम्मीदों में से एक हैं. खासकर एशियाई खेलों में गोल्ड जीतने के बाद वह भारत को सुनहरी कामयाबी दिला सकती हैं. हालांकि गांव के अखाड़े से लेकर ओलिंपिक तक का उनका ये सफर किसी रोमांचक यात्रा से कम नहीं है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 16, 2021, 6:40 PM IST
नई दिल्ली: जुलाई अगस्त में जापान के टोक्यो में ओलिंपिक खेलों (Tokyo olympics 2021) का आयोजन होगा. 2020 में कोरोना के कारण एक साल टाले गए इन ओलिंपिक खेलों का पूरी दुनिया के खेल प्रेमियों को इंतजार है. भारत में भी इनका उतनी ही बेसब्री से इंतजार है. साथ ही इस बात की उत्सुकता है कि इस बार भारत मेडल टेली में क्या कमाल करता है. निश्चित रूप से कुछ खेल ऐसे हैं, जिनमें भारत को पदक की उम्मीद है. ऐसा ही एक खेल है कुश्ती. उसमें भी महिला कुश्ती. जब महिला कुश्ती की बात होती है, तो फोगाट बहनों का नाम जरूर आता है. इस बार के ओलिंपिक में भी विनेश फोगाट वह चेहरा हैं, जिनसे देश को मैडल की उम्मीद है. उनसे मैडल की उम्मीद यूं ही नहीं है. वह एशियाई खेलों में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं. 2016 में रियो ओलिंपिक में चोट के कारण उनका सफर बीच में ही खत्म हो गया था. लेकिन अब टोक्यो ओलिंपिक में विनेश भारत को पदक जरूरी दिलाएंगी, ऐसी उम्मीद हर भारतीय कर रहा है.
विनेश फोगाट का जन्म 25 अगस्त 1994 में हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था. इनके माता पिता प्रेमलता और राजपाल सिंह फोगाट हैं. इनके पिता महावीर सिंह फोगाट (पहलवान बबीता के पिता) के भाई हैं. जबकि पहलवान बबीता, रितु और गीता इनकी चचेरी बहन हैं. साल 2013 में हुई एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप से इन्होंने अपने कुश्ती के करियर की शुरूआत की थी.

पिता की हत्या हुई, लेकिन कोई भी चोट विनेश को तोड़ नहीं पाईविनेश फोगाट के लिए सब कुछ इतना आसान नहीं रहा. जब वह और उनकी बहन छोटी थीं, उसी समय जमीन विवाद में उनके पिता की हत्या हो गई. उन्होंने अपनी चचेरी बहनों के साथ ही पहलवानी के गुर सीखे. रियो ओलिंपिक में चोट के कारण उनका सपना टूट गया, लेकिन ये सब मिलकर भी विनेश के हौंसले को डिगा नहीं पाए. रियो ओलंपिक में चोट के बाद बाहर हुई महिला पहलवान विनेश फोगाट ने एशियाई खेलों में भारत को दूसरा गोल्ड मेडल दिलाया. एशियन गेम्स के इतिहास में ये पहला मौका था जब भारत ने महिला रेसलिंग में गोल्ड मेडल जीता. विनेश ने 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीता था.
टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली पहली खिलाड़ी बनीं
रियो ओलिंपिक में भी विनेश के पदक जीतने के चांस थे, लेकिन जब वह फ्रीस्टाइल स्पर्धा के 48 किलोग्राम भार वर्ग में चीन की सुन यानान के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबला लड़ रही थी और 1-0 से आगे थीं, तभी सुन के दांव से उनका घुटना चोटिल हो गया. इसके बाद उन्हें मुकाबले से हटना पड़ा. विनेश पुरानी बातों को याद करते हुए कहती हैं कि मैं कुश्ती में काफी अच्छी थी, लेकिन मुझे इसका कोई शौक नहीं था. लेकिन ताऊजी ट्रेनिंग में कोई कोताही नहीं बरतते थे. वह छड़ी लेकर हमसे ट्रेनिंग करवाते थे. अगर ऐसा नहीं होता तो मैं भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही होती.
विनेश फोगाट का जन्म 25 अगस्त 1994 में हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था. इनके माता पिता प्रेमलता और राजपाल सिंह फोगाट हैं. इनके पिता महावीर सिंह फोगाट (पहलवान बबीता के पिता) के भाई हैं. जबकि पहलवान बबीता, रितु और गीता इनकी चचेरी बहन हैं. साल 2013 में हुई एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप से इन्होंने अपने कुश्ती के करियर की शुरूआत की थी.

Gold Coast: India's Vinesh Phogat celebrates after winning gold medal WFS 50kg wrestling Nordic bout during the Commonwealth Games 2018 in Gold Coast, Australia on Saturday. PTI Photo by Manvender Vashist (PTI4_14_2018_000067B)
टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली पहली खिलाड़ी बनीं
रियो ओलिंपिक में भी विनेश के पदक जीतने के चांस थे, लेकिन जब वह फ्रीस्टाइल स्पर्धा के 48 किलोग्राम भार वर्ग में चीन की सुन यानान के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबला लड़ रही थी और 1-0 से आगे थीं, तभी सुन के दांव से उनका घुटना चोटिल हो गया. इसके बाद उन्हें मुकाबले से हटना पड़ा. विनेश पुरानी बातों को याद करते हुए कहती हैं कि मैं कुश्ती में काफी अच्छी थी, लेकिन मुझे इसका कोई शौक नहीं था. लेकिन ताऊजी ट्रेनिंग में कोई कोताही नहीं बरतते थे. वह छड़ी लेकर हमसे ट्रेनिंग करवाते थे. अगर ऐसा नहीं होता तो मैं भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही होती.