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सचिन तेंदुलकर ने 1000वें वनडे मैच को बताया खास, बोले- 'वनडे क्रांति' 1996 विश्व कप में हुई थी

सचिन तेंदुलकर भारत के 200वें, 300वें, 400वें, 500वें, 600वें, 700वें और 800वें वनडे में खेल चुके हैं. (AFP)

सचिन तेंदुलकर भारत के 200वें, 300वें, 400वें, 500वें, 600वें, 700वें और 800वें वनडे में खेल चुके हैं. (AFP)

भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) भारत के 200वें, 300वें, 400वें, 500वें, 600वें, 700वें और 800वें ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. दुनिया के महान क्रिकेटरों में शुमार सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने पिछले 48 वर्षों में भारत के 999 वनडे में से 463 मैच खेले हैं और उनका मानना है कि उपमहाद्वीप में ‘वनडे क्रांति’ 1996 विश्व कप के दौरान शुरू हुई. सचिन ने वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत के 1000वें वनडे की पूर्व संध्या पर कहा, ‘मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेरा सपना भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलना था. सिर्फ यही बात मेरे दिमाग में थी और इसी के साथ वनडे आए लेकिन उस युग में जब आप बच्चे थे तो आप वनडे का सपना नहीं देखते थे.’

सचिन तेंदुलकर ने 100एमबी ऐप पर कहा, ‘यह हम सभी के लिए एक उपलब्धि है और पूरे देश को इस पर गर्व होना चाहिए. उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेट मजबूती से आगे बढ़ता रहेगा. मैं उन्हें आने वाली सीरीज के लिए और विशेष रूप से 1000वें वनडे मैच के लिए शुभकामनाएं देता हूं.’ भारतीय टीम अपना 1000वां वनडे मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ 6 फरवरी को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में खेलेगी.

उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘वनडे में हाइप 1996 विश्व कप में हुई थी और तभी सबसे बड़ा बदलाव हुआ था. इससे पहले 1983 हो गया था और वह अद्भुत था. हां, तब स्टेडियम पूरे भरे थे लेकिन 1996 विश्व कप के बाद चीजें बदलनी शुरू हो गईं और बड़े बदलाव दिखने लगे. मैंने उन बदलावों का अनुभव किया और वनडे को नया आयाम मिला.’ तेंदुलकर भारत के 200वें, 300वें, 400वें, 500वें, 600वें, 700वें और 800वें वनडे में खेल चुके हैं.

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सचिन अपना ज्यादातर क्रिकेट एक गेंद के साथ खेलने वाले 50 ओवर के मैच और मैदानी पाबंदियों (जिसमें 30 गज के सर्कल के बाद एक अतिरिक्त फील्डर खड़ा होता है) में खेले. इसे देखते हुए लगता है कि अगर वह इस युग में खेले हो तो शायद उनके 18000 (18426) से ज्यादा वनडे रन अब 22,000 या फिर 25,000 रन तक पहुंच गए होते.

48 साल के इस दिग्गज ने कहा, ‘मैंने सब देखा. अगर मुझे सही तरह याद है तो हम 2000-01 के अंत तक जिम्बाब्वे के खिलाफ सफेद जर्सी में खेले थे. मुझे याद है मेरा सफेद गेंद का अनुभव न्यूजीलैंड में 1990 में त्रिकोणीय सीरीज थी. भारत में जो मैंने पहला डे-नाइट मैच खेला था, हमें दिल्ली के जेएलएन स्टेडियम में रंगीन टी-शर्ट और सफेद पैंट दी गई थी.’

सचिन को लगता है कि पहली बार भारत डे-नाइट क्रिकेट के बारे में गंभीर 1993 हीरो कप में हुआ था जो ईडन गार्डन्स पर दूधिया रोशनी में खेला गया था. तेंदुलकर ने कहा, ‘यहां तक कि उस युग में सफेद गेंद के मैच देश के पूर्वोत्तर हिस्से में सुबह 8:45 या 9 बजे शुरू होते थे. एक ही सफेद गेंद हुआ करती थी और जब यह गंदी हो जाती तो इसे देखना मुश्किल होता और यह रिवर्स भी होती. अब आपके पास दो सफेद गेंद होती है.’

उन्होंने कहा, ‘अब हमारे पास अलग नियम हैं. अब दो नई गेंद का नियम है और फील्डिंग को लेकर पाबंदियां भी बहुत अलग हैं लेकिन वनडे क्रिकेट का बुखार 1990 के दशक में शुरू हुआ. इसमें तेजी से बदलाव 1996 से हुआ.’

Tags: Cricket news, India vs west indies, Indian cricket, Sachin tendulkar

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