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बंदूकों से खेलने का था शौक, उग्रवादियों को पहुंचाए हथियार, वर्ल्‍ड चैंपियन बॉक्‍सर ने किया सनसनीखेज खुलासा

सरिता देवी ने याद किया गुजरा हुआ वक्‍त. (BFI/Twitter)

सरिता देवी ने याद किया गुजरा हुआ वक्‍त. (BFI/Twitter)

भारत की पूर्व दिग्गज और वर्ल्‍ड चैंपियन बॉक्सर ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है. वह मणिपुर में उग्रवादियों को बंदूकें पहुं ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

सरिता देवी वर्ल्‍ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीत चुकी हैं गोल्‍ड मेडल
मणिपुर के गांव में बीता है बचपन, घर पर था उग्रवादियों का आना-जाना

नई दिल्‍ली. देश की दिग्‍गज मुक्‍केबाज रहीं और 2005 में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली सरिता देवी (Sarita Devi Boxer) ने एक खुलासा किया है. उन्‍होंने बताया कि वह बचपन में उग्रवादी बनने की राह पर थी. हालांकि, बॉक्‍सिंग ने उनकी जिंदगी को बदल दिया. सरिता अपनी कैटेगरी में नेशनल चैंपियन रहने के साथ ही लाइटवेट क्लास में वर्ल्ड चैंपियन रही हैं. उन्हें इस उपलब्धि के लिए अर्जुन अवार्ड मिला है.

सरिता देवी ने आईआईटी गुवाहाटी के एक कार्यक्रम में 90 के दशक के उन दिनों को याद किया जब मणिपुर में उग्रवाद चरम पर था. उन्होंने कहा, मैं उग्रवादियों से प्रभावित होकर उनकी तरफ बढ़ रही थी. मैं एक छोटे से गांव में रहती थी. जब मैं 12-13 साल की थी तो हर दिन उग्रवादियों को देखती थी. घर पर रोजाना करीब 50 उग्रवादी आते थे. सरिता देवी ने कहा, मैं उनकी बंदूकों के साथ खेलती और उग्रवादी बनना चाहती थी. हालांकि, बॉक्सिंग ने मुझे बदल दिया और अपने देश का गौरव बढ़ाने वाले काम करने के लिए प्रेरित किया.

एक जगह से दूसरी जगह ले जाती थीं हथियार
पूर्व विश्व चैंपियन सरिता देवी ने स्वीकार किया कि एक समय वह उग्रवादियों के हथियारों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करती थी. उन्होंने कहा, मैं उनके जैसा बनने का सपना देखती थी और मुझे बंदूकों से खेलना बहुत पसंद था. मुझे नहीं पता था कि खेलों से आप खुद को और देश को प्रसिद्धि दिला सकते हैं.

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सरिता देवी ने बताया कि एक रोज उनके भाई ने उनकी पिटाई की जिसके बाद जिंदगी पूरी तरह बदल गई. सरिता ने कहा, मैं खेलों से जुड़ी और फिर मैंने 2001 में पहली बार बैंकॉक में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इसमें मैंने रजत पदक जीता. सरिता देवी ने कहा, गोल्‍ड मेडल जीतने वाली चीन की मुक्‍केबाज को सम्‍मान देते हुए जब उनका राष्ट्रगान बजाया गया तो मैं भावुक हो गई. इसके बाद मैंने और कड़ी मेहनत की. 2001 से 2020 तक कई प्रतियोगिताओं में ढेरों पदक जीते. खेल ने मेरी जिंदगी पूरी तरह पलट कर रखी दी. मैं अपने देश के युवाओं में इसी तरह का बदलाव देखना चाहती हूं.

Tags: Boxing, Sarita Devi

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