चिपको आंदोलन के दौरान महिलाएं पेड़ों से लिपट गई थीं.
नई दिल्ली. मायानगरी मुंबई (Mumbai) इन दिनों एक ऐसे प्रदर्शन की वजह से चर्चा में है, जिसमें लोग पर्यावरण को बचाने के मकसद से पेड़ कटाई का विरोध कर रहे हैं. मामला मुंबई की आरे कॉलोनी (Aarey colony) का है. यहां प्रशासन की ओर से करीब 2500 पेड़ों की कटाई शुरू की गई है. इन पेड़ों को काटकर यहां मेट्रो रेल डिपो बनाने की योजना है, लेकिन मुंबईकर पेड़ कटाई के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. यह देश का कोई पहला ऐसा जनांदोलन नहीं है, जो पर्यावरण को बचाने के लिए किया जा रहा है. इससे पहले भी कुछ बड़े जनांदोलन हुए हैं, जिन्होंने हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए बड़ी अहम भूमिका निभाई है. आइए जानते हैं इनके बारे में...
1. बिश्नोई आंदोलन
वर्ष 1730 में जोधपुर के महाराजा अभय सिंह ने अपना नया महल बनवाने की योजना बनाई, लेकिन जब इसके लिए लकड़ी की जरूरत पड़ी तो सामने आया कि राजस्थान में तो लकड़ियों का अकाल है. महाराज ने लकड़ियों का इंतजाम करने के लिए सैनिकों को भेजा. सैनिक पेड़ का इंतजाम करने के लिए बिश्नोई समाज के गांव खेजरी पहुंचे. यहां पर पेड़ बड़ी संख्या में थे. गांव की निवासी अमृता देवी को इसकी भनक लगी तो उन्होंने इसका विरोध किया.
उन्होंने पेड़ से लिपटकर अपने प्राणों का बलिदान कर दिया. उन्हें देखकर उनकी बेटियां भी पेड़ों से लिपट गईं. उनकी भी जान चली गई. यह खबर जब गांव में फैली तो पेड़ों को बचाने के लिए बिश्नोई समाज के लोगों ने आंदोलन शुरू किया. इसमें 363 लोगों ने उस आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी. बिश्नोई समाज के लोग पेड़ों की पूजा करते थे. इसके बाद 1972 में देश में शुरू हुआ चिपको आंदोलन इसी से प्रेरित था.
2. चिपको आंदोलन: जब पेड़ों को बचाने उनसे लिपट गए थे लोग
पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत उत्तराखंड (उस समय यूपी का हिस्सा) के चमोली जिले में गोपेश्वर में की गई थी. इस आंदोलन की शुरुआत चंडीप्रसाद भट्ट, गौरा देवी और सुंदरलाल बहुगुणा समेत अन्य लोगों की ओर से 1973 में की गई थी. इन लोगों ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया. इस आंदोलन को जंगलों को अंधाधुंध और अवैध कटाई से बचाने के लिए किया गया था.
इस आंदोलन के तहत लोग पेड़ों को बचाने के लिए उनसे लिपट जाते थे, जिसके कारण इसका नाम चिपको आंदोलन पड़ा. लोग ठेकेदारों को पेड़ नहीं काटने देते थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहूगुणा को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने इसके लिए कमेटी बनाई. कमेटी ने ग्रामीणों के पक्ष में फैसला दिया. 1980 में लोगों की जीत हुई और तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने हिमालयी वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर 15 साल के लिए रोक लगा दी थी. यह आंदोलन बाद में कई अन्य राज्यों तक फैल गया था.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Maharashtra, Mumbai, Treeeeeee
बीमार होने पर नवजात की नीली नसों को गर्म लोहे से दगवाने की है प्रथा, अब तक 2000 से ज्यादा बच्चे हो चुके हैं शिकार
HI से शुरुआत, धर्म का बंधन तोड़ क्लासमेट से की शादी, सबसे बदकिस्मत भारतीय क्रिकेटर की लव स्टोरी का हैप्पी एंड!
दीपिका कक्कड़ से हितेन तेजवानी तक, ये सेलेब्स कर चुके हैं दूसरी शादी, आज जी रहे हैं खुशहाल जिंदगी