कालिदास कोलम्बकर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत शिवसेना से की थी और शिवसेना के उम्मीदवार के तौर पर वो 5 बार विधानसभा चुनाव जीते
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता और विधायक कालिदास कोलम्बकर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस का हाथ झटक कर कोलम्बकर बीजेपी में शामिल हो गए. कोलम्बकर का इस्तीफा कांग्रेस के लिए बड़े झटके से कम नहीं क्योंकि वो दक्षिण-मध्य- मुंबई के वडाला विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर 7 बार विधायक रह चुके हैं.
कालिदास कोलम्बकर आठवीं बार वडाला क्षेत्र से मैदान में हैं. लेकिन इस बार उनकी जीत का दारोमदार खुद उनकी छवि पर है. वो लंबे समय से इलाके का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जिस वजह से उनके काम और व्यवहार का उन्हें पुरस्कार मिल सकता है. इस बार कोलम्बकर बीजेपी के उम्मीदवार हैं. उनके सामने कांग्रेस, मनसे, वीबीए ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
नारायण राणे की ही तरह कालिदास कोलम्बकर के प्रति भी शिवसेना की नाराज़गी बरकरार है. यही वजह है कि कोलम्बकर के चुनाव प्रचार से शिवसेना के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने दूरियां बनाई रखी हुई हैं. दरअसल, शिवसेना का कोलम्बर पर आरोप है कि उन्होंने नारायण राणे के साथ ही शिवसेना छोड़ दी थी और वो सत्ता के साथी हैं पार्टी के प्रति वफादार नहीं.
800 वोटों से जीते चुनाव
साल 2014 में मोदी लहर के बावजूद वो कांग्रेस के उन गिने चुने विधायकों में से हैं जिन्होंने बेहद करीबी अंतर से वडाला का चुनाव जीता था. कालिदास ने अपने प्रतिद्व्द्वी बीजेपी के उम्मीदवार मिहिर कोटेचा को मात्र 800 वोटों से हराया था. साल 2009 में भी कालिदास कोलंबकर वडाला सीट से चुनाव जीते थे.
5 बार रहे शिवसेना से विधायक
कालिदास कोलम्बकर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत शिवसेना से की थी. शिवसेना के उम्मीदवार के तौर पर वो 5 बार विधानसभा चुनाव जीते. लेकिन शिवसेना में उद्धव ठाकरे को लेकर उठे विवाद के बाद नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ दी थी. नारायण राणे के ही पदचिन्हों पर चलते हुए कालिदास कोलम्बकर ने भी शिवसेना को अलविदा कह दिया. उन्हें नारायण राणे का बेहद करीबी माना जाता है. साल 2005 में शिवसेना छोड़ने के बाद वो नारायण राणे के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए.
हालांकि साल 2017 में जब नारायण राणे ने अपनी नई पार्टी का ऐलान किया तो कालिदास उसमें शामिल नहीं हुए और उन्होंने कांग्रेस में ही बने रहने का फैसला किया. इस दौरान वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के काफी करीब हो गए और नतीजतन बीजेपी में शामिल हो गए.
पीएम मोदी की रैली में हुए थे शामिल
दरअसल, लोकसभा चुनाव के वक्त ही कालिदास कोलम्बकर के बीजेपी में शामिल होने के संकेत मिल गए थे. वो न सिर्फ महाराष्ट्र में पीएम मोदी की चुनावी रैली में शामिल हुए थे बल्कि उन्होंने दादर में मौजूद अपने कार्यालय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तस्वीर भी लगवाई थी. कालिदास ने एनडीए के सहयोगी शिवसेना के मुंबई साउथ –सेंट्रल से उम्मीदवार राहुल शिवाले के लिए लोकसभा का चुनाव प्रचार किया था.
कालिदास कोलम्बकर का कहना था कि वो कांग्रेस से बेहद दुखी हैं क्योंकि उनके विधानसभा क्षेत्र में विकास का कोई काम नहीं हो सका. वडाला में विकास हर चुनाव में बड़ा मुद्दा रहा है. कोलम्बकर इलाके के लोगों के साथ व्यक्तिगत तौर पर जुड़ाव रखते हैं जो उन्हें लोकप्रिय बनाता है. लोग उनसे किसी पार्टी नेता की बजाए उनकी व्यक्तिगत छवि की वजह से मिलते हैं और उनकी समस्याओं का निराकरण भी कोलम्बकर शिद्दत से करते हैं.
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Tags: Maharashtra asembly election 2019, Maharashtra Assembly Election 2019
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