OpenAI का कहना है कि चैटजीपीटी अपनी गलतियां मान सकता है. (फोटो- Reuters)
नई दिल्ली. पिछले कुछ दिनों से इंटरनेट पर चैटजीपीटी (ChatGPT) की खूब चर्चा हो रही है. चैटजीपीटी एक तरह की ऐप है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये ऐप गूगल के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है. चैटजीपीटी के नाम से जाने जाने वाले एआई बॉट (AI bot) ने इंटरनेट को हिलाकर रख दिया है, लेकिन वास्तव में यह क्या है और यह कैसे काम करता है?
चैटजीपीटी एक कन्वर्सेशन डायलॉग मॉडल है, जो आम इंसानों की भाषा को समझने और प्रतिक्रिया देने में सक्षम है. इसके लिए यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (Machine Learning) का सहारा लेता है.
चैटजीपीटी का नाम जीपीटी या जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफार्मर (Generative Pre-Trained Transformer) से लिया गया है, जो एक डीप लर्निंग लैंग्वेज मॉडल है जो इंसान की तरह लिखित टेक्स्ट जनरेट करने में माहिर है.
क्या है डीप लर्निंग
डीप लर्निंग एक मशीन लर्निंग मेथड है जिसमें न्यूरल नेटवर्क की 3 या अधिक परतें होती हैं. यह नेटवर्क इंसानी दिमाग के व्यवहार को पकड़ने का प्रयास करता है.
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GPT (3.5) का वर्तमान आईटेरशन वही है जो चैटजीपीटी पर आधारित है. GPT 3.5 के विपरीत, चैटजीपीटी विस्तृत, इंसान जैसा लिखित टेक्स्ट जनरेट कर सकता है और संदर्भ के लिए पहले की बातचीत को याद कर सकता है.
फॉलो-अप सवालों का जवाब दे सकता है चैटजीपीटी
जीपीटी के निर्माता ओपनएआई (OpenAI) का कहना है कि चैटजीपीटी फॉलो-अप सवालों का जवाब दे सकता है, अपनी गलतियां मान सकता है. यह उन अनुरोधों को अस्वीकार कर सकता है, जिन्हें वह सही नहीं मानता.
कभी-कभी गलत उत्तर दे सकता है चैटजीपीटी
पहले के जीपीटी मॉडल की तरह, ChatGPT कभी-कभी गलत उत्तर दे सकता है. ओपनएआई का कहना है कि इस इश्यू को ठीक करने में लगा है. ये इश्यू प्रॉब्लेमेटिक है क्योंकि मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए वे जिस डेटा का उपयोग करते हैं उसमें सच्चाई का कोई सोर्स नहीं है.
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