मार्टिन कूपर (फाइल फोटो)
Martin Cooper Interview: मोबाइल फोन बनाने वाले मार्टिन कूपर हैरान हैं कि लोग चौबीसों घंटे फोन में कैसे घुसे रहते हैं. ये बात उन्होंने एक हालिया इंटरव्यू में कही है. उन्हें लगता है कि लोग मोबाइल के पीछे पागल हैं. पता नहीं लोग इसे कैसे मैनेज करते हैं? वे खुद बताते हैं कि वे अपने दिन के 24 घंटों में से केवल 5 फीसदी टाइम ही मोबाइल को देते हैं, मतलब लगभग 1 घंटा और 12 मिनट. परंतु उन्हें यह भी लगता है कि आने वाले समय में इंसान फोन का सही इस्तेमाल करना सीख जाएगा. बता दें कि मार्टिन कूपर को ‘फादर ऑफ सेल फोन’ भी कहा जाता है, जिनका एक इंटरव्यू फिलहाल काफी चर्चा में है.
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि फोन अब वक्त की जरूरत बन चुका है और इसके बिना जिंदगी अधूरी-सी लगती है. परंतु बहुत ज्यादा इस्तेमाल हमारी सेहत पर बुरा असर डाल रहा है. 50 साल पहले मोबाइल फोन का आविष्कार करने वाले मार्टिन कूपर ने एएफपी को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘जब मैं किसी को सड़क पार करते वक्त उसे अपने सेल फोन को इस्तेमाल करते हुए देखता हूं तो मैं दुखी हो जाता हूं… जिस तरह मेरे पोते और परपोते सेल फोन का इस्तेमाल करते… मैं उस तरह कभी फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकता हूं.’
टॉप-एंड आईफोन करते हैं इस्तेमाल
बता दें कि कूपर खुद एक ऐपल वॉच पहनते हैं और एक टॉप-एंड आईफोन का इस्तेमाल करते हैं. वह अपने ईमेल, फोटो, यूट्यूब और अपने हियरिंग एड के बीच आसानी से फ्लिक करते हैं. वह हर बार लोटेस्ट मॉडल को अपडेट करने के लिए तैयार रहते हैं और इसकी टेस्टिंग करते हैं. कूपर का कहना है कि आज सेल फोन अब लोगों का एक्सटेंशन बन गया है और यह बहुत कुछ कर सकता है.
शिक्षा और हेल्थ क्षेत्र में क्रांति
उन्होंने कहा कि फिलहाल हम बिल्कुल शुरुआत में हैं और हम अभी यह समझना शुरू कर रहे हैं कि वह क्या कर सकता है. भविष्य में हम उम्मीद कर सकते हैं कि सेल फोन शिक्षा और हेल्थ सर्विस में क्रांति लाएगा.
हर पीढ़ी हो रही है स्मार्ट
वह कहते हैं फिलहाल हम अपने फोन को नादानी में घूर रहे हैं, लेकिन यह ज्यादा नहीं चलेगा. हर पीढ़ी पिछले पीढ़ी से अधिक स्मार्ट हो रही है. ऐसे में वे सीखेंगे कि सेल फोन का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे करें? उन्हें उम्मीद की जल्द ही लोग इसका पता लगा लेंगे.
फोन कम इस्तेमाल करने की सलाह
गौरतलब है कि 1973 में मोबाइल का अविष्कार करने वाले कूपर अब लोगों से इसका इस्तेमाल कम करने की रिक्वेस्ट करते हैं. वह खुद भी मोबाइल का इस्तेमाल बेहद कम करते हैं. वह 24 घंटे में सिर्फ पांच प्रतिशत समय ही मोबाइल यूज करने में खर्च करते हैं.
इंजीनियरों की एक टीम का नेतृत्व
जिस समय वह मोटोरोला के लिए काम कर रहे थे, उस समय वे डिजाइनरों और इंजीनियरों की एक टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जो पहली मोबाइल तकनीक डेवलप करने में जुटे हुए थे. उस दौरान कंपनी ने इस परियोजना में लाखों डॉलर का निवेश किया था. मोटोरोला को उम्मीद थी कि वह बेल सिस्टम को मात दे सकेगी, जो कि 1877 में अपनी स्थापना के बाद से एक सदी से भी अधिक समय तक अमेरिकी टेलीकॉम पर हावी रहा.
70 का दशक क्रांतिकारी
बेल के इंजीनियरों ने द्वितीय विश्व युद्ध के ठीक बाद एक सेलुलर फोन प्रणाली का विचार पेश किया था. उन्होंने बताया कि मोबाइल की दुनिया में 70 का दशक काफी क्रांतिकारी था. उस समय ज्यादातर कार की बैटरी से चलने वाले फोन लगाए ज रहे थे. 1972 के अंत में कूपन फैसला किया कि वह एक ऐसा डिवाइस बनाएंगे,जिसे आप कहीं भी इस्तेमाल कर सकें.
एक किलो था पहले मोबाइल का वजन
कुछ समय बाद मार्टिन ने ऐसे फोन को मार्केट में उतारा जो पोर्टेबल था. उसे तार की आवश्यकता नहीं थी. इस फोन का वजन एक किलो (लगभग ढाई पाउंड) था -और बात करने में लगभग 25 मिनट की बैटरी लाइफ थी. यह फोन इतना भारी था, आप इसे 25 मिनट तक नहीं पकड़ सकते थे. शुरुआती मोबाइल फोन सस्ते नहीं थे. उनकी कीमत लगभग 5,000 डॉलर प्रति हैंडसेट थी.
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