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इंसानों की जगह नहीं ले सकता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जिंदगी को बनाता है बेहतर: एनआर नारायण

एनआर नारायण मूर्ति (फाइल फोटो)

एनआर नारायण मूर्ति (फाइल फोटो)

इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कभी भी इंसान की जगह नहीं ले सकता है. उनका ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

एनआर नारायण AI से बढ़ी सुरक्षा पर अपने विचार व्यक्त किए.
इंफोसिस के संस्थापक ने कहा कि कंप्यूटर इंसानी दिमाग का मुकाबला नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लोगों की जिंदगी आसान बनाता है.

नई दिल्ली. इंफोसिस के संस्थापक और वर्तमान में कैटरमन वेंचर्स के अध्यक्ष एनआर नारायण मूर्ति ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के 67 वें स्थापना दिवस पर लोकप्रिय चैटबॉट चैटजीपीटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से बढ़ती असुरक्षा पर अपने विचार व्यक्त किए. मूर्ति ने जोर देकर कहा कि उनका मानना है कि एआई इंसानों की जगह नहीं ले सकता और यह केवल जिंदगी को आरामदायक बनाएगा.


उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह एक गलत धारणा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों की जगह लेगा. उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी ने इंसान की लाइफ को और अधिक आरामदायक बना दिया है. मूर्ति का मानना है कि मनुष्य के पास दिमाग की शक्ति है और कोई भी कंप्यूटर उसका मुकाबला नहीं कर सकता है.

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एन चंद्रशेखरन की किताब का हवाला
इस दौरान उन्होंने टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन द्वारा लिखित पुस्तक ‘ब्रिजिटल नेशन: सॉल्विंग टेक्नोलॉजीज पीपुल प्रॉब्लम’ का हवाला भी दिया. उन्होंने कहा कि चंद्रा ने ब्रिजिटल नेशन किताब लिखी है. यह किताब इसे बारे में है. इसमें बताया गया है कि कैसे आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपना सहायक बनाकर उसे इस्तेमाल कर सकते हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि भारत जैसे देशों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करना चाहिए.

लोगों को पास होगा खाली वक्त
उन्होंने यह भी बताया कि एआई के आगमन से लोगों के पास ‘खाली समय’ की मात्रा बढ़ जाएगी, लेकिन लोगों को उस समय का उपयोग प्रोडक्टिली के लिए करना होगा. इंफोसिस के संस्थापक ने कहा कि एआई के इस्तेमाल से मनुष्य के पास अधिक खाली समय होगा.हालांकि, कोई भी इंसान खाली समय से संतुष्ट नहीं होगा. ऐसे में इंसान नई चीजों के बारे में सोचना शुरू कर देंगे और वे फिर से व्यस्त हो जाएंगे.

दुनिया का सबसे फ्लेक्सिबल साधन
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कैसे लोग कंप्यूटर और मोबाइल फोन के आगमन को लेकर असुरक्षित थे. एक समय था, जब कई लोग सोच रहे थे कि कंप्यूटर हमें और अधिक स्वतंत्र बना देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि दिमाग दुनिया का सबसे फ्लेक्सिबल साधन है. इसमें बहुत ज्यादा आंकांक्षाएं भी होती हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तकनीक का आविष्कार करेंगे. इंसान का दिमाग हमेशा एक कदम आगे होता है और उस तकनीक का मालिक बन जाता है.

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