याद रखना होगा 16 डिजिट का कार्ड नंबर, Amazon, Zomato, Netflix का तर्क- ऑनलाइन पेमेंट होगा थकाऊ

आईटी इंडस्ट्री बॉडी नैसकॉम ने जनवरी में आरबीआई के इस कदम के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त की थी.
आरबीआई (RBI) का तर्क है कि थर्ड पार्टी को कार्ड विवरण नहीं देने का उद्देश्य धोखाधड़ी के जोखिम को कम करना है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 25, 2021, 5:19 PM IST
नई दिल्ली. डेबिट या क्रेडिट कार्ड नंबर 16 अंकों का होता है और हर कोई इसे याद नहीं रख सकता है. खासकर ज्यादातर लोग एक से ज्यादा कार्ड का उपयोग करते हैं. लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए नियमों के अनुसार, आपके पास कोई विकल्प नहीं हो सकता है. हां एक विकल्प हो सकता है कि आप जहां भी जाएं कार्ड को साथ लेकर जाएं.
कार्ड डिटेल्स को स्टोर नहीं कर पाएंगी कंपनियां
आरबीआई ने नई गाइडलाइंस जारी किए हैं जो बताते हैं कि ऑनलाइन मर्चेंट, ई-कॉमर्स वेबसाइट और पेमेंट एग्रीगेटर ऑनलाइन ग्राहक के कार्ड डिटेल्स को स्टोर करने की अनुमति नहीं होगी. ये नियम अमेजन, फ्लिपकार्ट, गूगल पे, पेटीएम, नेटफ्लिक्स आदि पर लागू होंगे यानी ये कंपनियां आपके कार्ड नंबर को स्टोर नहीं कर पाएंगी.
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इसका मतलब यह है कि ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए आपको अपना सीवीवी (CVV) दर्ज करने के बजाए अपने सभी कार्ड विवरण नाम, कार्ड नंबर और कार्ड की वैलिडिटीदर्ज करनी होगी. RBI के सर्कुलर के मुताबिक, ये नई गाइडलाइंस जुलाई 2021 से शुरू होंगे.
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आप सोच सकते हैं कि इन नए नियमों से कैशलेस देश बनाने की प्रक्रिया में बाधा आएगी. लेकिन आरबीआई का तर्क है कि थर्ड पार्टी को कार्ड विवरण नहीं देने का उद्देश्य धोखाधड़ी के जोखिम को कम करना है.
नैसकॉम ने जताई चिंता
आईटी इंडस्ट्री बॉडी नैसकॉम (NASSCOM) ने पहले ही जनवरी में इस तरह के कदम के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त की थी. CNBC-TV18 के मुताबिक फ्लिपकार्ट, अमेजन, नेटफ्लिक्स, माइक्रोसॉफ्ट और जोमैटो जैसी 25 कंज्यूमर इंटरनेट कंपनियां के समूह ने भी आरबीआई को लिखा है. उनका तर्क है कि ये नियम ग्राहक के ऑनलाइन पेमेंट अनुभव को गंभीर रूप से बाधित करेंगे.
कार्ड डिटेल्स को स्टोर नहीं कर पाएंगी कंपनियां
आरबीआई ने नई गाइडलाइंस जारी किए हैं जो बताते हैं कि ऑनलाइन मर्चेंट, ई-कॉमर्स वेबसाइट और पेमेंट एग्रीगेटर ऑनलाइन ग्राहक के कार्ड डिटेल्स को स्टोर करने की अनुमति नहीं होगी. ये नियम अमेजन, फ्लिपकार्ट, गूगल पे, पेटीएम, नेटफ्लिक्स आदि पर लागू होंगे यानी ये कंपनियां आपके कार्ड नंबर को स्टोर नहीं कर पाएंगी.
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आप सोच सकते हैं कि इन नए नियमों से कैशलेस देश बनाने की प्रक्रिया में बाधा आएगी. लेकिन आरबीआई का तर्क है कि थर्ड पार्टी को कार्ड विवरण नहीं देने का उद्देश्य धोखाधड़ी के जोखिम को कम करना है.
नैसकॉम ने जताई चिंता
आईटी इंडस्ट्री बॉडी नैसकॉम (NASSCOM) ने पहले ही जनवरी में इस तरह के कदम के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त की थी. CNBC-TV18 के मुताबिक फ्लिपकार्ट, अमेजन, नेटफ्लिक्स, माइक्रोसॉफ्ट और जोमैटो जैसी 25 कंज्यूमर इंटरनेट कंपनियां के समूह ने भी आरबीआई को लिखा है. उनका तर्क है कि ये नियम ग्राहक के ऑनलाइन पेमेंट अनुभव को गंभीर रूप से बाधित करेंगे.