(सांकेतिक फोटो)
आज के समय में हर किसी के पास स्मार्टफोन, लैपटॉप या कंप्यूटर होता है. इन गैजेट में इंटरनेट होना ज़रूरी है, और इंटरनेट के बिना ये डिवाइस ज्यादा काम के नहीं होते हैं. लेकिन इंटरनेट से कई तरह की खामियां होन का भी डर रहता है. आए दिन मैलवेयर अटैक की खबरें आती रहती हैं. इंटरनेट के ज़रिए यूज़र के डिवाइस में ये मैलवेयर आसानी से एंट्री करते हैं. लेकिन हम से कई लोगों को यहीं नहीं मालूम होता है कि मैलवेयर होता क्या है?
‘मैलीशियस सॉफ़्टवेयर’ को ही मैलवेयर कहते हैं. मैलवेयर ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जिसे खास तौर पर किसी कंप्यूटर या उसमें इंस्टॉल किए गए दूसरे सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाया जाता है. मैलवेयर संवेदनशील जानकारी (क्रेडिट कार्ड के नंबर या पासवर्ड) चुरा सकता है.
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ये यूज़र्स की जानकारी के बिना उसके ईमेल अकाउंट से जाली ईमेल भेज सकते हैं. मैलवेयर में वायरस, वर्म, स्पायवेयर, ऐडवेयर, और ट्रोजन शामिल हो सकते हैं. इनके अलावा, इसमें कई दूसरी चीज़ें भी शामिल हो सकती हैं.
कैसे होता है मैलवेयर अटैक?
ज़्यादातर मामलों में अटैक हुए यूज़र्स को पता ही नहीं चलता है कि वह शिकार बन गए हैं. आम तौर पर यूज़र या नेटवर्क की गलती नहीं होती है. लेकन कई बार थर्ड पार्टी लाइब्रेरी या टेंपलेट को वेबसाइट पर शामिल करने पर संक्रमण वेबसाइट तक भी ले आती है.
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कैसे पहचाने मैलवेयर अटैक हो गया है.
आपकी साइट पर मैलवेयर होने का पता आसानी से लगाया जा सकता है. यूज़र को बिना परमिशन के दूसरे यूआरएल पर ले जाना, पॉप-अप विज्ञापन, बदले हुए सर्च रिजल्ट, आपकी मर्ज़ी के बिना ब्राउज़र टूलबार या साइड-सर्च बार का जुड़ना और कंप्यूटर की गति कम होना, कुछ ऐसे हिंट है, जिसका मतलब ये होता है कि मैलवेयर अटैक हुआ है.
कई तरहे के होते हैं मैलवेयर
Virus: ये सबसे कॉमन मैलवेयर है, जो यूज़र के सिस्टम के किसी सॉफ्टवेयर में खतरनाक कोड को अटैच कर देता है.
Worms: ये एक ऐसा मैलवेयर है जो नेटवर्क में बहुत तेजी से फैलता है. ये काफी तेजी से अपनी कॉपी बना लेते हैं और दूसरे डिवाइस तक पहुंच जाते हैं.
Spyware: इस प्रकार के मैलवेयर को जासूसी करने के मकसद से बनाया जाता है, जो कि आमतौर पर बैकग्राउंड में काम करता रहता है.
Trojans: ये मैलवेयर खुद को ओरिजिनल सॉफ्टवेयर की तरह पेश करता है, और कंप्यूटर में छुप कर निजी जानकारी चुराता है.
Ransomware: ये एक ऐसा मैलवेयर का प्रकार जो डिवाइस में एंटर करके यूज़र के संवेदनशील जानकारी लेकर उसे एनक्रिप्ट कर देता है, ताकि उसे कोई और न खोल सके. फिर ऐसा करने के लिए वह यूज़र से पैसो की मांग करता है.
Adware: जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है ये विज्ञापन दिखाकर यूज़र्स को पैसे की चपत लगाचा है, और डिवाइस के डेटा को इकट्ठा कर लेता है.
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