रिपोर्ट:- हरि कांत शर्मा
आगरा:-अब तक हम और आप इतिहास की किताबों में पढ़ते थे कि छत्रपति शिवाजी महाराज 1666 में आगरा आए थे.उनके साथ उनके पुत्र संभाजी भी थे.कहा जाता है कि उस वक्त आगरा में औरंगजेब का शासनकाल था.औरंगजेब के दरबार में शिवाजी महाराज को उचित सम्मान नहीं दिया गया.उसका उन्होंने विरोध किया और इस विरोध के चलते औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज को उनके पुत्र के साथ बंदी बना लिया था.बंदी बनाने के बाद उन्हें आगरा के लाल किले में कैद रखा गया,जहां से वह भागने में सफल हुए.लेकिन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग ने नए रिसर्च में साबित किया है कि छत्रपति शिवाजी महाराज को लाल किले में नही बल्कि कोठी मीना बाजार स्थित फिदाइ हुसैन की हवेली में कैद करके रखा गया था .
क्या-क्या और कहां से मिले साक्ष्य ?
भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर शुभम आनंद बताते हैं कि इस खोज की शुरुआत 2017-18 में शुरू हो गई थी.हमने ट्रेस किया कि कहां-कहां शिवाजी महाराज का आगरा में उस वक्त पड़ाव था.सभी जानते हैं कि 1666 में छत्रपति शिवाजी महाराज आगरा आए थे.उस वक्त सबसे पहले ग्वालियर रोड पर स्थित एक गांव मूलचंद की सराय पर शिवाजी महाराज ने अपना पहला पड़ाव डाला था.इसके बाद जय सिंह के लड़के मान सिंह ने उन्हें अपनी छावनी में ठहराया और अगले दिन शिवाजी महाराज को औरंगजेब से मिलवाया.उसके बाद सभी को पता है कि उचित सम्मान न मिलने की वजह से छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद कर लिया गया था.
बीकानेर के म्यूजियम में मिले कागजों से तय हुआ कि फिदाई हुसैन की हवेली में कैद थे शिवाजी
इस पूरी खोज में दो सबूत अहम माने गए हैं.सबसे पहले आगरा की सीमाएं कहां-कहां तक थीं.इसकी जानकारी जयपुर सिटी के लाइब्रेरी में मिले नक्शे के आधार पर हुई.जहां आगरा की सीमाओं की जानकारी थी.वर्तमान में जिस जगह जयपुर हाउस है वहां पर जयपुर राजघराने की संपत्ति हुआ करती थी.राजा मानसिंह के दरबारी राम सिंह दिन प्रतिदिन की रिपोर्ट जयपुर भेजते थे.यह सारी रिपोर्ट्स बीकानेर के म्यूजियम में मिली हैं.इन्हीं के आधार पर तय हुआ है कि आगरा की कोठी मीना बाजार में फिदाई हुसैन की हवेली है जहां पर शिवजी को नजरबंद रखा गया था.
1837 में अंग्रेजों ने तोड़ दी थी फिदाई हुसैन की हवेली.
1837 में अंग्रेजों ने कोठी मीना बाजार स्थित फिदाई हुसैन की हवेली को तोड़ दिया था.इस हवेली को तोड़ने के बाद इसी जगह पर आगरा के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर का आवास बनाया गया था.लेकिन 1857 की क्रांति में अंग्रेजों को मजबूरन इसे छोड़ना पड़ा और उसके बाद जय किशन दास ने इसे खरीद लिया था.अब रिसर्च के बाद मिले साक्ष्यों के आधार पर यह साबित हुआ है छत्रपति शिवाजी महाराज को आगरा लाल किले में नहीं बल्कि कोठी मीना बाजार स्थित फिदाई हुसैन की हवेली में रखा गया था और यहीं से वे मथुरा के रास्ते होते हुए आगरा से निकलने में कामयाब हुए थे.
कोठी मीना बाजार में बनाया जाएगा छत्रपति शिवाजी का स्मारक.
यह जानकारी सामने आने के बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि अब कोठी मीना बाजार में छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक बनाया जाएगा.इसके लिए आगरा के तीन बार के सांसद व उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बकायदा इसकी कवायद की थी.इस रिसर्च में प्रोफेसर शुभम आनंद व स्वर्गीय अमी आधार नेता शामिल थे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |