रिपोर्ट – हरिकांत शर्मा
आगरा. जाने अनजाने में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले जेल में बंद कैदी अब धर्म और अध्यात्म की राह पर चलेंगे. कह सकते हैं कि अपने गुनाहों का प्रायश्चित करेंगे. इसके लिए यह कैदी अब भगवत गीता का सहारा लेंगे. दरअसल आगरा की सेंट्रल जेल में उत्तर प्रदेश की पहली भगवत गीता बैंक बनाई गई है. इस बैंक के जरिए जेल में बंद कैदी आसानी से श्रीमद्भगवद्गीता पुस्तक पढ़ने के लिये मुफ्त में ले सकें और अध्ययन कर सकेंगे. सेंट्रल जेल में इस बैंक की शुरुआत जेल अधीक्षक ने की है.
केंद्रीय कारागार के डीआईजी राधा कृष्ण मिश्रा के अनुसार, केंद्रीय कारागार में अब गीता बैंक की स्थापना की गई है, जिसमें 101 श्रीमद्भागवत गीता रखी गई हैं. उन्होंने बताया कि गीता बैंक खोलने का काम भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के सहयोग से हुआ है और अब यह गीता बैंक यूपी के सभी जिलों में खोलने की शुरुआत की जा रही है. उन्होंने बताया कि बंदियों की मनोदशा बदलने के लिए जेल में गीता बैंक की शुरुआत की गई है. गीता के प्रवचन सुनकर और पढ़कर वह जब जेल से निकलें तो अच्छे नागरिक बनें, ऐसे में उन्हें गीता का ज्ञान दिया जा रहा है.
आध्यात्मिक की राह पर चलें कैदी
केंद्रीय कारागार में गीता बैंक की स्थापना करने वाले भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के अध्यक्ष रामकृष्ण गोस्वामी ने बताया कि समाज में आतंकवाद, अलगाववाद या कोई भी अपराध हो उसकी जड़ सामाजिक चेतना का विकसित होना है. चेतना का विकास श्रीमद्भागवत गीता के ज्ञान के बिना संभव नहीं है. कारागार ही एक ऐसी जगह है जहां अपराध मुक्ति का सबसे बड़ा केंद्र बन सकता है. ऐसे में केंद्रीय कारागार से गीता बैंक की शुरुआत की गई है. आगरा की सेंट्रल जेल में लगभग 2200 से अधिक कैदी इस वक्त मौजूद हैं, जिन्हें जेल के कर्मचारी निःशल्क पढ़ने के लिए भगवद्गीता की किताब उपलब्ध कराएंगे .
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